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Tuesday, 20 August 2013
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर यांच्या हत्तेसंबंधी अण्णा हजारे यांची प्रतिक्रिया...
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Monday, 5 August 2013
जन लोकपाल के लिए प्रधानमंत्री जी को चिठ्ठी...
सेवा में,
सम्माननीय श्रीमान् मनमोहन सिंह
जी
प्रधान मंत्री,
भारत सरकार सस्नेह वन्दे।
आपके कार्यालय द्वारा श्री
वी नारायण सामी जी द्वारा लिखित 24 जुलाई 2013 का पत्र प्राप्त
हुआ। वर्षा कालीन सत्र में संसद में लोकपाल बिल लाने का आश्वासन आपने दिया है। ठीक
है। वर्षा कालीन सत्र में यदि बिल पारित नहीं हो पाया तो मजबूरन शीत कालीन के सत्र
के प्रथम दिवस से रामलीला मैदान में मेरा अनशन आरम्भ होगा। पत्र में आप लिखते हैं कि
‘‘आपको विदित होगा कि लोकपाल व लोकआयुक्त बिल लोक सभा में 27
दिसम्बर 2011 पारित हो चुका है। यही बिल बहस हेतु
29 दिसम्बर 2011 को राज्य सभा में प्रस्तुत किया
गया, लेकिन उस पर राज्यसभा में ठोस निर्णय नहीं हो पाया।
25 मई 2011 को राज्य सभा ने यह बिल निरीक्षण अध्ययन
हेतु एक कमेटी को सौंपा। उक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 23 नवम्बर
2012 को दी। ’’ पत्र में आपने यह भी बताया है कि
‘‘आपको सूचित करना चाहता हूं कि इस रिपोर्ट के प्राप्त होने पर केन्द्र
सरकार ने राज्य सभा के सचिव को लोकपाल व लोक आयुक्त बिल 2011 में उक्त रिपोर्ट में किये गए सुझाव व सिफारिशों के अनुसार अधिकृत संशोधन करने
हेतु तथा राज्य सभा के बजट सत्र में बिल को पारित कराने हेतु आवश्यक निर्देश भी दिये।
किन्तु बजट सत्र में यह बिल नहीं आ पाया।’’
मेरे दिल में कुछ सवाल जो उठ
रहे हैं...। रामलीला मैदान में जब मेरा अनशन चल रहा था, तब जन लोकपाल
के समर्थन में देश भर में से करोडों की संख्या में लोग सडक पर उतर आये थे। अनशन के
12 दिन होने पर 27 अगस्त 2011 को संसद में सर्व सम्मति से प्रस्ताव
पारित हुआ। प्रधान मन्त्री जी, आपने ख़ुद मुझे अपना हस्ताक्षरांकित
पत्र भेज कर अनशन छोडने का आग्रह किया था। शीघ्रातिशीघ्र जन लोकपाल बिल लाने का आश्वासन
भी आपने दिया था। आपके आश्वासन व लोक सभा के प्रस्ताव पर पूरा भरोसा रख कर मैंने अनशन
समाप्त भी किया। मुझे अफसोस है कि इस बात को दो वर्ष पुरे हो रहे है। अब तक जन लोकपाल
बिल का कोई अता पता नहीं है। आप पत्र में लिखते हैं कि लोक सभा में सर्व सम्मति से
बिल पारित हुआ। तत्पश्चात् राज्य सभा में 29 दिसम्बर 2011 को भेजा गया, लेकिन
उस पर ठोस निर्णय नहीं हो पाया। अतीव दु:ख की बात है कि जिस मॉंग
को ले कर देश की जनता करोडों की संख्या में सडक पर उतर आती है, उस पर राज्य सभा में बिल आ कर भी कुछ भी नहीं हो रहा है? इस बारे में सार्थक प्रयास करने में सरकार नाकाम रही है यह बात साफ है। इस
लिए बिल आने में देर हो चुकी है।
पत्र में आपने यह भी लिखा है
कि राज्य सभा द्वारा नियुक्त कमेटी ने अत्यधिक विलम्ब के बाद 23 नवम्बर
2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट मिलने पर केन्द्र सरकार ने राज्य
सभा के सचिव महोदय को लोकपाल व लोक आयुक्त बिल 2011 में उक्त
रिपोर्ट के अनुसार अधिकृत संशोधन ला कर राज्य सभा के बजट सत्र में बिल को पारित कराने
हेतु आवश्यक निर्देश भी दिये। किन्तु बजट सत्र में यह बिल नहीं आ पाया। केन्द्र सरकार
द्वारा राज्य सभा के सचिव को बजट सत्र में बिल पारित कराने हेतु आवश्यक निर्देश दिये
जाने के बावजूद राज्य सभा सचिव द्वारा बिल राज्य सभा में बजट सत्र में नहीं पेश किया
जाता है। क्यों कि हो सकता है कि सघन प्रयास करने से सरकार या तो बगलें झॉंकती रही
हो, अथवा तो यह भी सम्भव है कि ख़ुद सरकार ही को इस बिल के पारित
कराने में दिलचस्पी नहीं रही होगी।
फिर एक बार आपने इस पत्र में
आश्वासन दिया है कि वर्षा कालीन सत्र में इस बिल को लाने के प्रयास जारी हैं। दो साल
की प्रदीर्घ अवधि बीतने के पश्चात् भी फिर से आप मात्र आश्वासित ही करना
चाहते हैं कि वर्षाकालीन सत्र में बिल लायेंगे। बार बार आश्वासन दिये जाते रहे हैं
और उन पर अमल नहीं होता। अब तो इन आश्वासनों पर से भी मेरा भरोसा उठता जा रहा है। इसी
लिए मैंने फैसला कर लिया है कि यदि आश्वासन के मुताबिक अब वर्षा कालीन सत्र में बिल
नहीं आया तो मजबूर हो कर शीत कालीन सत्र के पहले ही दिन से मैं दिल्ली के रामलीला मैदान
में अपना अनशन आरम्भ कर दूंगा।
धन्यवाद।
भवदीय,
(कि. बा.
उपनाम अण्णा हज़ारे)
5 अगस्त 2013.
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