1 मई 2015 के बाद कराए जानेवाले सभी चुनाओं
में बॅलेटींग युनिट पर प्रदर्शित किए जानेवाले मतपत्र/ ई.व्ही.एम. में
अभ्यार्थीयों के (उम्मीदवारोंके) फोटो भी मुद्रीत होंगे। यह निर्वाचन आयोग का लोकतांत्रिक
और संवैधानिक फैसला है।
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जुलमी
अंग्रेजों का अन्याय, अत्याचार सहन करने की क्षमता खत्म होने के कारण देश की जनताने1857 में
आजादी की लढाई शुरु की।
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1857 से 1947
इन नब्बे साल में शहीद भगतसिंग, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखो शहीदोने अपनी कुर्बानी
दी।
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1947 में देश
आजाद हुआ। अंग्रेज हमारे देश से चला गया।
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जिन लाखो शहीदो
ने कुर्बानी दी उनका सपना था अंग्रेजों को देश से निकालना और देश मे लोकतंत्र को
लाना । जो लोगोंका, लोगोने, लोकसहभाग से चलाया हुवा तंत्र वह लोकतंत्र ।
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1947 में
अंग्रेज हमारे देश से चला गया लेकिन देश मे जो लोकतंत्र आना था वह लोकतंत्र नहीं
आया क्योंकि पक्ष और पार्टीतंत्र ने उसे आने ही नहीं दिया ।
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1947 मे देश
को आजादी मिली 1949 में भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी ने हमारा सुंदर संविधान
बनाया । उस संविधान में पक्ष और पार्टी का नाम कही पर भी नही है ।
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हमारा संविधान
अनुच्छेद 84 के (क) और (ख) यह कहता है कि, भारत में रहनेवाला कोई भी भारतीय नागरिक उसकी उम्र 25 साल की हुई है ऐसे
वैयक्तिक व्यक्ति लोकसभा का चुनाव लड सकता है ।
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भारत में
रहने वाला कोई भी व्यक्ति जिनकी उम्र 30 साल की हुई है वह कोई भी व्यक्ति राज्यसभा
का चुनाव लड सकता है । संविधान पक्ष और पार्टी के समुह को चुनाव लडने की
अनुमती नही देता है ।
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26 जनवरी
1950 को हमारे देश में प्रजासत्ताक मनाया गया । जनता देश की मालिक बन गई। अब पक्ष
और पार्टीयाँ बरखास्त होनी चाहिए थी क्योंकि संविधान में पक्ष और पार्टी का नाम ही
नही है । इसलिए महात्मा गांधीजीने काँग्रेसवालोंको कहा था, जनता मालिक होने के
कारण काँग्रेस पार्टी बरखास्त करो अब पार्टी का काम नही ।
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1952 में देश
में पहला चुनाव होनेवाला था उस वक्त पक्ष
और पार्टीयाँ बरखास्त तो हुई नहीं उलटा काँग्रेस पार्टी और बाकी पार्टीयों ने
संविधान में पक्ष और पार्टी को चुनाव लडने की अनुमती ना होते हुए घटनाबाह्य
चुनाव लडने का निर्णय लिया गया ।
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यह चुनाव
पक्ष और पार्टी का चुनाव संविधान विरोधी होने के कारण तत्कालिन चुनाव आयोगने इस पर
आपत्ती उठाना जरुरी था लेकिन चुनाव आयोग ने आपत्ती ना उठाने के कारण 1952 से आज तक
घटनाबाह्य चुनाव हो रहे है ।
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घटनाबाह्य
चुनाव के कारण पक्ष और पार्टीयों मे सत्ता स्पर्धा शुरु हो गई । हर पार्टी सोचने
लगी येन-केन प्रकार से चुनकर आना है और सत्ता काबीज करनी है ।
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चुनाव में
सत्ता स्पर्धा के कारण कई पार्टीयाँ अपने पार्टी का उम्मीदवार गुंडा है, भ्रष्टाचारी
है, लुटारु है, व्यभिचारी है यह पार्टी के लोग जानते है फिर भी ऐसे दागी उम्मीदवार
को कई पक्ष-पार्टी ने चुनाव का तिकीट देना शुरु हो गया क्योंकि उनके पिछे मतोंका
गठ्ठा है ।
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इस कारण
लोकसभा जैसे लोकशाही के पवित्र मंदिर में भ्रष्टाचारी, गुंडा, लुटारु उम्मीदवार चुनकर
गए । लोकशाही के पवित्र मंदिर में आज 170 लोग दागी बैठे हुए है ।
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पक्ष और
पार्टी के समुह ने घटनाबाह्य चुनाव लडने के कारण संसद में पार्टीयोंका समुह बन गया
और बाहर समाज में भी पक्ष और पार्टीयों का
समुह बन गया ।
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पक्ष और
पार्टीयों के समुह के कारण देश में भ्रष्टाचार बढते गया । समुह के कारण गुंडागर्दी
बढ गई। दहशदवाद बढ गया। समुह के कारण लुट बढ गई। संविधान के मुताबीक जनताने चुना हुआ चारित्र्यशिल वैयक्तिक उम्मीदवार संसद
में चुनकर जाता तो भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, दहशदवाद, लुट नही बढनी थी ।
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हमारे देश
में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, हेलिकॉप्टर घोटाला, कोयला घोटाला, व्यापम घोटाला जैसे
करोडो रुपयों के घोटाले हुए है । यह पक्ष और पार्टीयों के समुह के कारण हुए है।
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महात्मा
गांधीजी कहते थे देश को बदलाना है तो पहले गावं को बदलना होगा । जबतक गावं नही
बदलेंगे तब तक देश नही बदलेगा । आज देश के अधिकांश गावं में पक्ष और पार्टीयों
के समुह ने गावं के लोगो में अपने -अपने पक्ष के ग्रृप बनाकर आपस में झगडे लगाए है
। उस कारण अधिकांश गाव का विकास रुक गया ।
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हमारे देश की
लोकसभा यह लोगों की सभा होनी चाहिये । लोगोंकी
सभा तब बननी थी जब संविधान के मुताबीक जनता का वैयक्तिक चारित्र्यशिल उम्मेदवार
चुनकर जाता तो वह लोगों की सभा बननी थी ।
लेकिन आज घटनाबाह्य पक्ष और पार्टी के लोग संसद में जाने के कारण वह लोगों की सभा
ना बनते हुए पक्ष और पार्टी की सभा बन गई है ।
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युवा शक्ती
एक राष्ट्रशक्ती है । युवाशक्ती को जगाकर विधायक कार्य़ मे बढाते तो समाज, देश का
उज्वल भविष्य दूर नही है । लेकिन पक्ष और पार्टीयों के समुह ने महाविद्यालयीन
विद्यार्थीयों में अपने-अपने पक्ष-पार्टी के ग्रुप बनाने के कारण जो युवा शक्ती
समाज और राष्ट्र विकास में लगनी थी वह य़ुवाशक्ती आपस में झगडे-तंटो में लगा दी है
।
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आज उच्च
शिक्षा में मेडिकल, इंजिनीयरींग, लॉ जैसे कही कॉलेज निकाले गए । अधिकांश कॉलेज
पक्ष और पार्टीयों ने आपस में बटवारा कर के पैसों केलिए दुकानें लगाकर बैठे है ।
इस लिए सामान्य परिवार के छात्र उच्च-शिक्षा नही ले पाते ।
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आझादी के 68
साल बित गये फिर भी हमें लोकतंत्र में सही सफलता नही मिली। उसका कारण है कई पक्ष
और पार्टी के समुह अपने-अपने पक्ष-पार्टी की चिंता ज्यादा करते है । समाज और देश
की चिंता करनी चाहिए वह नहीं होती है ।
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पक्ष और
पार्टी के इन समुह ने इकठ्ठा आ कर निर्णय लिया है कि पक्ष और पार्टी के चुनाव के
लिए पैसा लगता है इसलिए पक्ष-पार्टी को (20,000/-) बीस हजार रुपयों का डोनेशन मिलता
है तो उसका हिसाब जनता को नही देना है। कई पक्ष और पार्टीयाँ बडे-बडे उद्योगपतीयों
से लाखो-करोड रुपयों का डोनेशन लेती है। उनके बीस हजार रुपयों के तुकडे बनाते है।
उन तुकडो को बोगस नाम देते है और हमारे देश का कालाधन कई पक्ष-पार्टीयों के
माध्यम से सफेद होता है। यह इस देश को बडा खतरा है ।
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घटनाबाह्य
चुनाव लडकर पक्ष और पार्टी के उम्मीदवार संसद में जनता के सेवक बनकर गए है । आज रहने
के लिये बंगला, गाडी, टेलीफोन, बिजली, पाणी, एअर फेर, क्लास वन रेल, ए.सी. जैसे कई
रियायत लेते है । उसके अलावा हर महा पचास हजार रुपया तनखा भी लेते है। फिर भी आज
संसद में बैठे हुये पक्ष-पार्टी के कई लोग इकठ्ठा आ कर हमे पचास हजार रुपया तनखा
पुरा नही होता है, एक लाख रुपये तनखा मिलने की मांग कर रहे है । जनता मालिक होने
के कारण और जनप्रतिनिधी जनता के सेवक होने के कारण अपनी तनखा बढानी है तो जनता की
राय लेना आवश्यक है। फिर भी अपनी मर्जी से जनता का पैसा आपस में बटवारा कर लेते है
। यह बात लोकतंत्र के लिए ठीक नही है।
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जिस स्थिती
में यह देश जा रहा है उस स्थीती में देश को उज्वल भविष्य मिलना संभव नही है । अगर
देश को उज्वल भविष्य देना है तो उस की चाबी देश के जनता के हाथ में है ।
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आने वाले
दिनो में हर मतदार भारत माता की कसम ले कर प्रतिज्ञा करेगा की में कोई भी पक्ष और
पार्टी का गुंडा, भ्रष्टाचारी, लुटारु, दहशतवादी उम्मीदवार जो घटनाबाह्य है ऐसे
उम्मीदवार को मेरा वोट नही दूँगा। मैं सिर्फ जनता का वैयक्तिक चारित्र्यशिल
उम्मीदवार है ऐसे उम्मीदवार को ही मेरा वोट दूँगा । सिर्फ पक्ष-पार्टी की सत्ता
बदलकर देश में बदलाव नहीं आएगा। यह आजादी के 68 साल हम जनता ने अनुभव किया है। जब
तक व्यवस्था परिवर्तन नहीं होगा तब तक देश को उज्वल भविष्य नही मिलेगा । पक्ष-पार्टी
व्यवस्था परिवर्तन नही कर सकती यह आजादी के 68 साल से हम अनुभव कर रहै है। इसलिए
जनता के चारित्र्यशिल उम्मीदवार चुनकर गए
तो व्यवस्था परिवर्तन कर पायेंगे ऐसा विश्वास होता है। कई लोग कहते है, संसद में
पक्ष और पार्टी के उमेदवार नही होने से देश कैसा चलेगा? हमारा संविधान इतना अच्छा है कि जनता के उम्मीदवार को
संविधान मार्गदर्शन करेगा । प्रधानमंत्री कैसे चुनना है?
सभापती कैसे चुनना है? संसद मे स्टॅंडींग, ज्वाइंट कमीटी
जैसी कमिटीया कैसी बनानी है? इन सभी बातों की जानकारी
संविधान में दी गई है। उसके आधार से जनता के उम्मीदवार संसद को चला सकते है ।
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अब आजादी की
दुसरी लडाई देश के जनता को लडनी होगी। इस लडाई में जनता ने पक्ष और पार्टी के
चुनाव चिन्ह जो घटनाबाह्य है उसको हटाना है और चारित्र्यशिल उम्मीदवार के फोटो के
सामने का बटन दबाकर अपना वोट देना है। हर मतदाताने सिर्फ इतना करने से यह लडाई सफल
हो जाएगी। इसलिए देश में समविचारी लोगों का संगठन बनाकर देश में आंदोलन खडा करना
होगा।
पहले लडाई में
जनता को नब्बे साल लडना पडा था क्योंकी अंग्रेज पराया था। उनको देश से निकालना
कठीण था । इसलिये कई लोगों को शस्त्र से हिंसा भी करनी पडी थी । अब इस लडाई को
इतना समय नही लगेगा। फिर भी 8, 10, 12 साल का समय लग सकता है। जनता कितने समय में
कितनी संगठित होती है उस पर निर्भर है। पहले लडाई में लाखो लोगों ने बलिदान किया
था। अब हमे बलिदान करने की जरुरत नही पडेगी क्योंकि हमारे देश के हमारे ही भाईयों
के साथ अहिंसा के मार्ग से यह लढाई लडनी है । इस लडाई में अहिंसा के मार्ग से
किसीसे भी झगडे-तंटे ना करते हुए सिर्फ अपने अमुल्य मत से मतपेटीयां और ई.व्ही.एम.
से मतदार बदलाव ला सकेंगे । सिर्फ हर मतदारों ने भारत माँ की कसम ले कर प्रतिज्ञा करनी
है कि मै किसी भी पक्ष-पार्टी के गुंडा, भ्रष्टाचारी, लुटारु, व्यभिचारी उम्मीदवार
को मेरा अमुल्य मत नही दूँगा । मै संविधान के मुताबीक सिर्फ जनता का पक्ष-पार्टी विरहीत
जो चारित्र्यशिल उम्मीदवार होगा ऐसे चारीत्र्यशिल उम्मेदवार को ही मेरा मत दूँगा ।
आनेवाले दस-बारा साल देश में गावं-गावं तक जागृती हो गई तो एक दिन ऐसा आयेगा की
देश में लोगोंका, लोगोने, लोकसहभाग से चलाया हुआ जनतंत्र (लोकतंत्र) आयेगा । देश
में हर राज्य में गाव स्तर पर लोकशिक्षण, लोकजागृती के कार्य करनेवाले
कार्यकर्ताओं का संगठन करने का प्रयास होना जरुरी है। ऐसा प्रयास करनेवाले
कार्यकर्ता आगे आ कर संगठित होकर प्रयास करना होगा ।
निर्वाचन आयोग द्वारा एक अच्छा निर्णय लिया गया है, एक मई 2015 के बाद
कराये जानेवाले सभी निर्वाचनों में इव्हीएम के बॅलेट युनिट पर प्रदर्शित किए
जानेवाले मतपत्र तथा डाक मतपत्र में विद्यमान निर्देश के अनुसार विवरों के
अतिरिक्त इस पर उम्मीदवारों के फोटो भी मुद्रित होंगे। उम्मीदवारों के नाम तथा प्रतीक (आकृति) के मध्य में नाम के दाहिने ओर मत
प्राथमिकता चिन्हित करने के कॉलम होंगे। ऐसा चुनाव आयोग ने 1 मई 2015 को निर्णय
लिया है।
अब हम देश की
जनता इकठ्ठा हो कर चुनाव आयोग से बिनती करनी है की, आप ने मतपत्र में इव्हिएम पर
प्रत्योशियों के फोटो लगाना सुनिश्चित किया है। यह लोकतांत्रिक और संविधानिक फैसला
है। लेकिन अब किसी फोटो के साथ प्रतीक (चुनाव चिन्ह) की जरुरत नहीं रह जाती है।
ऐसा चिन्ह रखना घटनाबाह्य होगा। हम सभी जनता ने मतपत्र/इव्हिएम पर से चुनाव चिन्ह को हटाने का आग्रह करना होगा।
क्यों की ऐसा चिन्ह घटनाबाह्य है। अगर चुनाव चिन्ह हट जाए तो देश में लोकतंत्र आना
आसान होगा। चलो, चुनाव चिन्ह हटाने के लिए हम आजादी की दुसरी लडाई के लिए संघटित
होते है।
भारत माता की जय। वंदे
मातरम्।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे