Tuesday 22 January 2013

पीएमओ के पत्र का हिन्दी अनुवाद....


10 जनवरी 2013

प्रिय श्री के. बी. उर्फ अण्णा हजारेजी

आपने मा. प्रधान मन्त्रीजी को दि. 17.11.2012 को भेजे गये पत्र में लोकपाल सम्बन्धी बिन्दुओं पर संसद में दि. 27 अगस्त 2011 को पारित किये गए प्रस्ताव पर सरकार की ओर से कोई कारवाई न होने के बारे में लिखा है।

2.    आपको विदित है कि दि. 27 अगस्त 2011 को संसद के दोनों सदनों में हुई बहस के फलस्वरूप संसद में निम्न बातों पर तत्वत: सहमति हुई थी: अ) नागरिक संहिता, ब) निम्न स्तरीय सरकारी कर्मचारियों को समुचित व्यवस्था के तहत लोकपाल के दायरे में लाना, और, क) राज्यों में लोकायुक्तों की स्थापना करना। तदनुसार इन तीन बिन्दुओं की सूचना सम्बन्धित खातों की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी को, जिसने कि दि. 04.08.2011को लोक सभा में लोकपाल विधेयक 2011 सादर किया था, उस कमेटी को दी गई। स्टैंडिंग कमेटी ने सभी सम्बन्धितों से विस्तृत चर्चा विमर्श के पश्चात्‌ अपनी 48 वी रिपोर्ट पेश की जिसमें कमेटी द्वारा सादर किये गये विधेयक में व्यापक बदलाव प्रस्तावित थे। स्टैंडिंग कमेटी ने यह भी सिफारिश की कि राज्यों में लोकायुक्त की स्थापना करने हेतु आवश्यक प्रावधान केन्द्रीय विधेयक में रखे जाएं ता कि जिन राज्यों में लोकायुक्त यन्त्रणा मौजूद नहीं है उन्हें इस बारे में प्रेरित किया जा सके, और जहॉं पहले से लोकायुक्त विद्यमान्‌ हैं उन राज्यों की कार्यप्रणाली में समानता आ पाए। लोकपाल तथा लोकायुक्त को सांविधानिक दर्जा देने की सिफारिश भी कमेटी द्वारा की गई है।

3.    स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों पर गौर करने पर सरकार ने लोक सभा में प्रस्तुत किया गया लोकपाल विधेयक 2011 खारिज किया, और क्लास ए से डी तक सभी कर्मचारी यानि कि समूची ब्यूरोक्रसी को अपने दायरे में लाने वाली केन्द्र में लोकपाल तथा राज्यों में लोकायुक्त व्यवस्था कायम करने हेतु नया व्यापक ‘‘लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक 2011’’ लोक सभा में दि. 22.12.2011 को दाखिल किया। स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश कि लोकपाल व लोकायुक्त को संवैधानिक दर्जा मिले, तदर्थ सरकार ने 116 वॉं संविधान संशोधन विधेयक 2011 भी संसद में प्रस्तुत किया है।

4.    लोक सभा में दि. 27.12.2011 को इन विधेयकों पर विमर्श लिया गया। तत्पश्चात्‌ लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक कुछ संशोधनों के साथ पारित हुआ किन्तु संविधान संशोधन के लिए आवश्यक मताधिक्य न मिल पाने की वजह से 110वॉं संविधान संशोधन पारित नहीं हो पाया। उक्त लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक पर राज्य सभा में दि. 29.12.2011 को बहस हुई लेकिन निर्णय नहीं हो पाया। राज्य सभा ने इस दौरान 21.05.2012 को प्रस्ताव संमत कर इस विधेयक का व्यापक अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने हेतु राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी को सौंप दिया। सिलेक्ट कमेटी ने 23.11.2012 को अपनी रिपोर्ट सभागृह के पटल पर रखी। इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि उक्त लोकपाल तथा लोकायुक्त कानून लागू हो जाने के बाद राज्यों की विधान सभाएं 365 दिनों के अन्दर कानून बना कर राज्यों में लोकायुक्त को कायम करें इसका प्रावधान इस विधेयक में होना जरूरी है। आपको सूचित करना चाहता हूं कि इस सिफारिश पर अमल करने हेतु हम प्रयत्नशील हैं। भ्रष्टाचार के समूल उच्चाटन हेतु सशक्त लोकपाल लाने के लिए सरकार वचन बद्ध है तथा इस के वास्ते लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक 2011, संसद में यथा शीघ्र पारित हो इस लिए हमारे प्रयास जारी हैं।

5.    नागरिक संहिता के बारे में समय बद्ध सेवा व नतीजा मिलने का तथा तकरार निवारण समय सीमा में होने का नागरिकों का अधिकार विधेयक 2011’ इस विधेयक को लोक सभा में 20 दिसम्बर 2011 को पेश किया गया। उक्त विधेयक को संसद की कामगार, जनता की तकरारें तथा कानून व न्याय सम्बन्धी संसदीय स्टैंडिंग कमेटी को सौंपा गया। स्टैंडिंग कमेटी ने उसपर अपनी रिपोर्ट संसद को 28 अगस्त 2012 को दी। उस रिपोर्ट की सिफारिशों पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

6.    आपको अवगत रहे कि इस प्रकार मा. प्रधान मन्त्री जी द्वारा दि. 27 अगस्त 2011 को दिये गये पत्र में अभिव्यक्त संसद के मन्तव्य की तीनों ही सिफारिशों पर अमल करने हेतु आवश्यक कदम उठाये गये हैं।

7.    सूचित करना चाहता हूं कि सरकार की भी यही मंशा है कि उक्त दोनों ही विधेयक संसद में यथा सम्भव शीघ्र पारित हों।

      आदर पूर्वक,

                                                         भवदीय,



                                                         (वी. नारायणसामी)

1 comment:

  1. Anna ji

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