Thursday 12 September 2013

जन लोकपाल के लिए दोनो सदनों की संयुक्त बैठक बुलाओ...

12 सितंबर 2013

सम्माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी
प्रधान मन्त्री, भारत सरकार

विषय : जन लोकपाल बिल के सम्बन्ध में आप के कार्यालय द्वारा प्रेषित पत्र क्र.D.O.No.407/67/2012-AVD-IV (B)  दि. 24 जुलाई 2013 जिस में जनलोकपाल बिल को इसी सत्र में लाने का आश्वासन दिया था।
  
सस्नेह वन्दे। उपरोल्लेखित पत्र में आप ने आश्वासित किया था कि, जनलोकपाल बिल संसद के इसी वर्षाकालीन सत्र में लाने का आपका पूरा प्रयास है। वर्षाकालीन सत्र अब सम्पन्न हो चुका है, लेकिन जनलोकपाल बिल संसद में पेश नहीं किया गया। उम्मीद लगाए बैठी देश की जनता के भाग्य में फिर से घोर निराशा ही आ गई। संविधान में यह प्रावधान है कि जो विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, उसे राज्य सभा यदि छह महीने से ज़्यादा समय तक रोक कर रखे, तो राष्ट्रपति महोदय मन्त्री परिषद की अनुशंसा पर सदन की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं। सरकार अगर चाहती तो जन लोकपाल बिल के लिए यह रास्ता अपना सकती थी।
 बढते ही जा रहे भ्रष्टाचार के कारण देश की सामान्य जनता का जीना मुश्किल हो गया है। दिन ब दिन बढती जा रही महँगाई की वजह भ्रष्टाचार ही तो है। विकास कार्य के नामपर लगाये जाने वाले धन के एक रुपये में से दस पैसा भी योजना पर नहीं लग रहा। देश का विकास कहॉं से होगा?

इसी वास्ते देश की जनता ने जन लोकपाल कानून बनाने की मॉंग की थी। 16 अगस्त 2011 को सशक्त लोकपाल कानून बने इस मॉंग को ले कर जब मैं रामलीला मैदान पर अनशन कर रहा था, तब देश भर में जनता उस आन्दोलन में कूद पडी थी। करोडों की संख्या में जनता सडक पर उतर आई थी। क्यों कि मेरे अनशन का मुद्दा वही था जो कि इस देश की 120 करोड जनता की अपनी अन्दर की आवाज़ थी। यही वह कारण था जिस की वजह से आज़ादी मिलने के बाद देश में पहली बार इतनी भारी संख्या में लोग सडक पर उतर आए थे। उन में विशेष कर देश की युवा शक्ति का योगदान बहुत बडा था। भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण हो यही तो देश की युवा शक्ति चाहती है।

देश की जनता करोडों की तादाद में सडक पर उतर आती है तो सरकार पर भी खतरे के बादल मँडराने लगते हैं। शायद इसी खतरे को महसूस कर संसद की बैठक बुलवाई गई और ‘‘जनता की सनद, क्लास अ से ड तक के सभी अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाना और हर राज्य में लोक आयुक्त कानून बनाना’’ इन मुद्दों पर संसद में 27.12.2011 को रेज़ोल्यूशन पारित किया गया।

 27.12.2011 को अपने हस्ताक्षरांकित पत्र में आपने मुझसे यह कहा था कि रेज़ोल्यूशन पास हो चुका है तथा इन तीन मुद्दों पर संसद में सर्व सम्मति बन गई है। हमजल्द से जल्द शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल बिल पास करेंगे। तब से ले कर अब तक, एक के बाद एक सत्र होते गए और अब तीसरा शीतकालीन सत्र आने में है। अभी तक जन लोकपाल बिल पास नहीं हुआ है।

आपके पत्र पर विश्वास रख कर मैंने अपना अनशन समाप्त किया। यदि मुझे पता होता कि आपकी सरकार इस देश की 120 करोड आबादी के साथ धोखाधडी करने वाली है तो हरगिज मैंने अनशन नहीं तोडा होता।

 भूमइधिग्रहण बिल, फूड सिक्योरिटी बिल, जेल में बन्द होते हुए भी चुनाव लड सकने की अनुमति देने वाला बिल, पेंशन बिल जैसे कई बिल सरकार ने इस सत्र में पास करवा लिये हैं, लेकिन जन लोकपाल बिल नहीं लाया गया। ज़ाहिर है कि जन लोकपाल बिल लाने की सरकार की मंशा ही नहीं है। कई बार आपको इस विषय में पत्र लिख चुका हूं, मगर सरकार है कि बार बार राज्य सभा की ओर उंगली उठाती रहती है।

27 अगस्त को लोक सभा में सर्व सम्मति से पारित होने पश्चात्यह बिल दो साल तक राज्य सभा में अटका पडा रहता है, इस पर से तो यही निष्कर्ष निकलता है कि सरकार जान बूझ कर इस बिल को अटका रही है।

पूर्व में जब आप ही की पार्टी की सरकारें सत्तासीन थीं तब यानि कि सन्‌ 2001, 2005 एवम्‌ 2008 में भी जन लोकपाल बिल संसद में पेश किया गया था लेकिन पास नहीं हो पाया था। और इसकी एक मात्र वजह है सरकार के पास इच्छाशक्ति का अभाव होना। अब के भी लोक सभा में 27 अगस्त को सर्व सम्मति से पारित बिल राज्य सभा को भेजा गया है और राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी में अटका के रखा गया है। उसे आगे लाने का प्रयास जान बूझ कर नहीं किया गया है।
  
 जैसा कि संविधान में प्रावधान है छह महीनों से ज़्यादा समय तक राज्य सभा में पारित हुए बिना पडे रहे जन लोकपाल बिल के लिए अधिक न रुकते हुए राष्ट्रपति महोदय मन्त्री परिषद की अनुशंसा पर संसद की संयुक्त बैठक बुला सकते थे। ऐसी कार्यवाही करनी चाहिये ऐसा हमारा संविधान कहता है। लेकिन चूं कि जन लोकपाल बिल लाने की सरकार की इच्छा ही नहीं है, इस लिए जान बूझ कर सरकार ने इस बिल को अटका कर रखा है। मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूं कि, आप मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर महामहिम राष्ट्रपति जी से आग्रह करें कि, दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाएं और यह बैठक केवल सशक्त जनलोकपाल बिल के लिए ही हो। यह इसलिए आवश्यक है कि, आप और हमारी संसद वादा खिलाफी के कलंक से बच सके।


लेकिन सरकार और संसद से भी सर्वोपरि है जन संसद। जनता की तरफ से मैं अब फिर से जन संसद के सामने जाऊंगा और जनता को बताऊंगा कि कैसे इस सरकार ने जान बूझ कर जन लोकपाल बिल को अटकाया है। फिर एक बार मैं जनता से गुहार लगाऊंगा कि जैसा आन्दोलन 16 अगस्त 2011 को रामलीला मैदान में हुआ था, वैसा आन्दोलन अब पूरे देश भर में होना चाहिए। देश की जनता जागृत हुई है, युवकों में जागृति है। यही समय है भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण का। समय है देश के लिए संघर्ष करने का। संसद के आगामी शीत कालीन सत्र के पहले ही दिन जब रामलीला मैदान में मैं अनशन आरम्भ कर दूंगा, उस व़क्त फिर एक बार जनता को रामलीला मैदान में उतर कर अपना समर्थन प्रकट करना है।
वैसे ही अपने अपने राज्यों में, ज़िलों में, तहसीलों में, गॉंवों में आन्दोलन में शरीक होना है। अब तो जन लोकपाल बिल को ला कर ही रहना है। फिर एक बार 16 अगस्त 2011 जैसा विशाल आन्दोलन देश में चौतरफा फैलाना है। देश के हर नागरिक ने इस आंदोलन में शामिल होना है।

भवदीय,

(कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे)

पुनश्चः आपने मुझे दो पत्र लिखे थे। स्मरण के लिए प्रतिलिपि साथ में जोड कर भेज रहा हूं।







7 comments:

  1. आज के परिवेश में प्रजातंत्र का स्वरुप ही बिगड़ गया है | राजनीतिक पार्टियों ने आपस में मिलकर निज स्वार्थवश इसे अपंग बना दिया है | अब यह एक निरंकुश शासन व्यवस्था का पर्याय मात्र है | न्याय प्रणाली भी महत्वहीन व निर्जीव !
    वास्तव में सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन ही एक मात्र विकल्प है | इसके लिए एक प्रभावशाली नेटवर्क और "राजतिलक" का होना आवश्यक है, इससे परिवर्तन में कोई संशय भी नहीं रहेगा और सम्पूर्ण व्यवस्था को सुचारू रूप से निर्विघ्न लागू किया जा सकेगा |

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    1. प्रभावशाली नेटवर्क और "राजतिलक" को स्पस्ट कीजिये अपना फेस book प्रोफाइल हो तो भी बताइये

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  2. janlokpal har bharatiya ka adhikaar hain

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  3. jab tak anna ji fir se MMS ko ulta latka ke sutai nahi karenge, kuchh nahi hone wala.
    Koi bhi politicians apne hathon se apne pair pe kulhadi nahi marega.......inko to jab tak fande me latka ke neech se aag nahi jalayenge ye aise hi lokpal to talte rahenge.

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  4. अन्ना जी ,आपके पत्र बहुत अच्छे है पर आपको क्या लगता है अभी भी कि इससे काम चल जायेगा .नहीं कभी नहीं सो बरसों में भी नहीं .कोई नया रास्ता ही निकलना पड़ेगा वो नया रास्ता क्या होगा ये चिंतन मंथन कि बात है जिसके लिए शायद आप तैयार नहीं है| आपसे निवेदन है कि आप और सोचिये इस प्रजातंत्र में कुछ और सूझे .अब और आन्दोलन कि जरुरत नहीं है और न अनशन की .ये कोई भी आपकी बात मानने को तैयार होंगे ही नहीं|आप जैसे १० अन्ना हो जाये तब भी नहीं .

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  5. बीजेपी और कांग्रेस पार्टिया एक ही फ़ोन कंपनी के दो अलग अलग माडल सी दिखती है.लगभग एक से features सिर्फ ringtoneअलग अलग.

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  6. We have required to big strike again till lokpal & right to reject bills passed. Don't worry annaji we all youth of indian will be carried out big voiilation against corrupted leaders.

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