Friday 15 February 2013

संसद सर्वोपरी हैं, उसका निर्णय अंतिम हैं, कॅबिनेट उसमें बदलाव नही कर सकती|



सेवा में,
मान.डॉ.मनमोहन सिंगजी,
पंतप्रधान,भारत सरकार,
नई दिल्ली,

विषय:- संसद सर्वोपरी हैं, उसका निर्णय अंतिम हैं, कॅबिनेट उसमें बदलाव नही कर सकती|

सन्माननीय पंतप्रधानजी
सादर प्रणाम...

महोदय,
संसद का बजेट सत्र शीघ्रही शुरू होने जा रहा हैं और आप उसकी तैय्यारीओंमें व्यस्त होंगे| आशा करता हूं की इस व्यस्तता के बावजूद आप मेरे इस पत्र मे उपस्थित किये गये मुद्दोंपर गौर करेंगे|

जैसा की आप जानते हैं कि१६ अगस्त २०११ मे रामलीला मैदान पर जो अनशन किया था| १० दिन के बाद आपने स्वयं मुझे दि.२७ अगस्त को पत्र लिखकर संसद के दोनो सदनोने पारित किये हुए रिजोल्युशन का हवाला देकर अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया था| आपके अनुरोध एवं इस रिजोल्युशन व्दारा संसदने तीन मुद्दोंपर अपनी प्रतिबध्दता जताई थी|
 
१. सिटीजन चार्टर 
        २. सभी श्रेणी के कर्मचारियों को लोकपाल कानून मे सम्मीलीन करना |
३. उपयुक्त जरियेसे राज्योंमे लोकायुक्त का गठन करना तिनो मुद्दे को लोकपाल के दायरेमें लायेंगे|

इन तीनों मुद्दों को लेकर विगत देढ सालमें चर्चा हो रही हैं और अब यह जरूरी हुआ है की मै आप तक मेरी भावनाएँ पहूंचा दूं|

१.सिटीजन चार्टर के मुद्दे को सरकारने मुझे लिखीत आश्वासन देने के बावजूद लोकपाल बिल से अलग कर दिया और कहां की उसको अलग कानून के रूप में लाया जायेगा| अगस्त २०११ में सत्ता-पक्ष एवं समुचे विपक्ष ने पुरी सहमती के साथ संसद के दोनों सदनोंमे रिजोल्युशन कर जिन मुद्दे पर देशवासियोंको वचन दिया था| वह अभी तक पुरा नही हो पाया| क्या हमारी सरकार इतनी दुबली बन चुकी हैं की संसद मे सर्व समहमीसे पास किया हुआ रिजोल्युशन के आधार पर दिया गया वचन निभाने मे वह सक्षम नही हैं?

२.सभी श्रेणीयोंके कर्मचारियों को लोकपाल के दायरें में लाने पर संसदने पुरी प्रतिबध्दता उक्त रिजोल्युशन व्दारा जताई थी| हाल ही में गठीत राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटीने जो रिपोर्ट सदन को पेश किया हैं उसमें भी इस प्रतिबध्दता को दोहराया था| अ,ब,क,ड श्रेणी के कर्मचारी, अधिकारी लोकपाल के अधिन लाना हैं, गौर तलब है के सिलेक्ट कमिटी मे भी सभी राजनैतिक दलोंके के प्रतिनिधी शामील हैं| अब मिडीया के जरिये यह पता चला हैं कि कॅबिनेटने अपने मिटींग मे यह तय किया हैं की श्रेणी ३ एवं श्रेणी ४ के कर्मचारियोंको लोकपालके दायरे से बाहर रखा जाएं| मुझे इस बात पर बडा आश्‍चर्य हो रहा है की जिस विषयमें संसद आम सहमीसे निर्णय कर चुकी हैं उस मुद्दोको कॅबिनेट खारिज कैसे कर सकती हैं| हमारे जनतांत्रिक ढांचे मे संसद सर्वोपरी हैं, या कॅबिनेट? प्रश्न निर्माण होता हैं|

         अगर संसद सर्वोपरी हैं, तो कॅबिनेट कौनसे कानून के अधिकरोंके तहत संसद के फैसले को बदल सकती हैं? क्या कॅबिनेट का एैसा करना संसद की अवमानना नही हैं? गांव एवं कसबोंमे बसा 'आम आदमी' भ्रष्टाचारसे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं| ग्रामसेवक, मंडल अधिकारी जैसे निचले स्तर के अधिकारीयोंके भ्रष्टाचार से जिनसे आम आदमी को आये दिन झुंझना पडता हैं| फिर इन अफसरोंको आपकी सरकार लोकपाल के दायरे से क्यों बचाना चाहती हैं? मेरी दृष्टीसे यह मुद्दा इसलिए भी अहमियत रखता हैं की अगर संसद के फैसले को कॅबिनेट बिना किसी संवैधानिक अधिकारके अपने मतानुसार बदल दें तो इससे हमारे संवैधानिक ढांचे परही सवालिया निशान लगता हैं| हो सकता है के कॅबिनेट जो करने जा रही है उसके परिणाम देश को हर बार भुगतनेे पडे और संसदका महत्व कम हो कर कॅबिनेट ही सर्वोपरी बन जाए| फिर इस देशको शायद भगवान ही बचा पाएं| आप संसदके नेता हैं और मंत्रीमंडल के मुखियां| आपको स्वयं निर्णय करना हैं की देश को संसद चलाएगी या सिर्फ सरकार| अत:मेरा आपसे नम्र अनरोध है की आप संसद की गरीमा को अहमियत देकर सभी श्रेणीयोंके कर्मचारियोंको लोकपाल के दायरे में लाकर संसद की प्रतिबध्दता को निभाएं|

३.संसद के उक्त रिजोल्युन मे यह बात कही गई थी की उचित उपायोंव्दारा राज्योंमे लोकायुक्त का गठन किया जायेगा| केंद्र, राज्य संबंधो के अहम मुद्दोंको लेकर भी संसद मे चर्चा हुई थी| अब अगर केंद्र सरकार यह कह रही है की लोकायुक्त का निर्माण राज्य सरकारों व्दारा किया जाए तो प्रश्न उपस्थित होता हैं की क्या इसे हम राज्य सरकारोंकी अपनी मर्जी पर छोड रहे हैं? ऐसा नही होना चाहिए अन्यथा अलग राज्योंके लोगोंको भ्रष्टाचार के विषयमें अलग न्याय मिलेगा जो उचित नही हैं| मैं इस बात का आग्रह करता हूं की अगर इस लोकायुक्त का निर्माण राज्योंके अधीन किया जा रहा हैं तो केंद्र सरकार आम सहमतीसे लोकायुक्त कानून का अच्छा मसौदा आम सहमीसे तैयार करे और फिर राज्य सरकारोंको अनुरोध करे की इस मसौदे को ही अपनाएं जाएं| भारत के लोकतंत्र में हर राज्यके लोगों को अलग न्याय नही होना चाहिए| किसी राज्यके नागरिक होनेसे पहलेे हम सब भारत के नागरिक है इस बात को नजर अंदाज नही किया जा सकता| अत: आपसे प्रार्थना है की लोकायुक्त के मसले को राज्यों पर ना छोडे और एक अच्छा मसौदा बनाए जो सभी राज्योंके लिये अनिवार्य हो| सिव्हील सोसायटी ने एक मसौदा आपकी सरकार को भेजा है, उत्तराखंड का मसौदा जनहित के लिये अच्छा मसौदा हैं|

      इन तीन मुद्दोंके अलावा एक और अहम मुद्देपर मै आप का ध्यान आकर्षित करना चाहुंंगा| देश मे भ्रष्टाचार की जड है हमारा कॉर्पोरेट क्षेत्र| काला एवं भ्रष्टाचार का पैसा यहांसे ही ज्यादातर निर्माण होता हैं| जल, जमीन और जंगल पर निजी कब्जा जमाने हेतू कॉर्पोरेट क्षेत्र भ्रष्टाचार को बडे पैमाने पर बढावा देता हैं| मै हैरान हुं की वामपंथी दलोंको छोड सभी राजनैतिक दल कॉर्पोरेट क्षेत्र के संरक्षण बनकर इस बात को सुनिश्‍चित कर रहे है की कॉर्पोरेट क्षेत्र लोकपाल के दायरे मे ना आये| यह दूर्भाग्यपूर्ण है और जनतंत्र की घोर विडंबना भी हैं| कॉग्रेस सहित देश की अन्य पार्टिया क्यों कॉर्पोरेट क्षेत्र को लोकपाल से बचाना चाहती हैं? इन राजनैतिक दलोंके और कॉर्पोरेट के कौनसे ऐसे संबंध हैं जिस संबंधो की वजह से इस देश के आम आदमी बजाय कॉर्पोरेट क्षेत्र के हीत की सबको चिंता लगी हुयी हैं? इस प्रश्न को लेकर मै बहुत दुखी हूं| इसका महत्व पूर्ण कारण हैं कि पर्यावरण के प्रश्न पर दुनिया के लोग चिंताग्रस्त हैं| वह पर्यावरण का असमतोल कार्पोरेट सेक्टर से जादा बढ रहा हैं| आज देश के कही गांव में पिने का पानी नही मिल रहा, पेट्रोल, डिझेल, रॉकेल, कोयाला की स्थिती को हम अनुभव कर रहे हैं| आनेवाले १५०/२०० सालमें देशमें बहुत बडा खतरा निर्माण होगा|

        अंतत: मै आपसे प्रार्थना करूंगा के इस देश की आम जनता के प्रति अपना दायित्व आप निभाएं| उक्त चार अहम मुद्दोपर जनता के पक्ष में निर्णय हो| मै आशा करता हूं की आप शीघ्रही मेरे इस पत्र पर गौर करेंगे और इस पत्र का जवाब देंगे|

मै भगवान से प्रार्थना करता हूं की आपका अच्छा स्वास्थ एवं दीर्घायुष्य प्रदान करें|


भवदीय,

(कि.बा.उपनाम अण्णा हजारे)

12.02.2013



15 comments:

  1. Replies
    1. Anna Jee, Can you post this in English as well. There are non-Hindhi readers following you accross India. Thanks. Sebastian A

      Delete
  2. Om."Vande-Matram" "Vande-Go-Matram" Annaji! Ye Besharm Pant Pradhan to matra(kora) kagji (puppet) hai, iska remote to italian Dayen Antanio Myno k hathon me hai, Ye to randi k bhandve k role me hai. 4June ki adhi raat ko Delhi k RamLila maidan me lakhon nihatthe Deshbhakt Satyagrahion (budhi mataon, bahno, brahmcharion, brahmcharinion, santon -mahatmaon, sanyasion, grihsthon, students) k upar sothe waqt barbar -jaan leva atankvadi hamla danvi govt dwara karvaya gaya aur v us rakshasi govt ka kathit mukhia Maun(Mand)Mohan tamasha dekhta raha, usi din se desh-bhakt janta isase nafrat karne lagi hai Isase nivedan-agrah karna siva bevkufi k kuchh bhi nahi. Yadi ap vastav me desh-bhakt hain to desh-bhakti k pratik HH Yog RishiPP Swamiji k sath milkar unke margdarshan me vyapak andolan karen to apke President banane ka sapna bhi pura ho sakta hai. Warna apke upar "Paid agent of anti-national Cong) ka kalank laga hi rahega.--DrKrantivir

    ReplyDelete
    Replies
    1. इसलिये तो संपूर्ण परिवर्तन की लडाई जरुरी हैं।
      हम सब मिलके भ्रष्टाचार के विरोध में संपूर्ण परिवर्तन का जन आंदोलन जारी रखेंगे...
      धन्यवाद...

      Delete
    2. Anna ji.....ab hum log aapko.....ISI marke ka PAGAL maan chuke hain......yahi sarkar ki saajish bhi thi ki logon ke saamne aapko bas Babu Rao siddh kar diya jaye.....patta nahi itna achha/aage jane ke baad aapko kya hua......itne bade Raksash ko maarne ke liye na to aapko Arvind ji ka saath chahiye.....na baba ji ka....na Narender modi ka.......sabme aapko kami hi kami dikhayee deti hai.....bas Pant Pardhan....Pant Pardhan......Ghante ki ladai ladenge aap.....itne logon ka chutiya katva diya.....aur thode din ruk jaiye agar next election mein thodi bahut bhi taqat inko dobara mili to ye pant pardhan aapko nikal ke na dikha de to kahna......hamen bahut sharmindgi hoti hai.....jab aapko ye log joote marte hain.....aur aap phir bhi dhang se ek joot ho ke ladne ki ran niti nahi bana pate.....itni saari iqathhi power ko aap lagbhag bekar kar chuke ho.....bhagwan aapko sadbhudi de.

      Delete
  3. Anna ji maine aapke dwara likha letter padha corporate world ko saari party isliye support karti hain kyonki election ke time yahi log paisa dete hain aur election jitne ke baad sarkar unhen fayada pahuchati hain .

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद. इसलिये तो संपूर्ण परिवर्तन की लडाई जरुरी हैं। हम सब मिलके भ्रष्टाचार के विरोध में संपूर्ण परिवर्तन का जन आंदोलन जारी रखेंगे...

      Delete
    2. आप जिस संपूर्ण परिवर्तन की लड़ाई की बात कर रहे हैं, कृपया उसकी रूपरेखा स्पष्ट करें। ताकि सब उससे परिचित हो और आपके दिशा-निर्देश के अनुसार संगठित होकर मार्गक्रमन करते रहें। बिना रूपरेखा और संगठीत प्रयास ऐच्छिक लक्ष पाना मुश्किल हैं। अन्यथा हम सब यहा खांमखां अपना कीमती टाइम बरबाद कर रहे हैं, ऐसा होगा। अब इस या किसी भी सरकार से जनहित की कोई उम्मीद रखना बेवकूफी होगी। इसलिए भारत में राजनैतिक परिवर्तन लाना बहुत जरूरी हैं। वर्तमान राजनैतिक ढाँचे से हठ्कर कुछ अलग करने की जरूरत हैं। ये तो हम वर्तमान के गलत राजनैतिक ढाँचे के दुष्परिणाम भुगत रहें हैं। इसमें इन राजनैतिक लोगोंकी कुछ गलती नहीं हैं। ये सब बेचारे सारे गलत राजतंत्र के शिकार हैं इसलिए तो देशवाशियोंकि इतनी गालियाँ खा रहे हैं।

      हमारे भारत को असल मैं 'राजनैतिक बीमारी' हुई हैं। जो भी राजनीति में घुस जाता है इस बीमारी के चपेट में आ जाता हैं। जो चपेट में नहीं आना चाहता, उसे बाहर हो जाना पड़ता हैं ये इसका नियम हैं। ऐसी बीमारी को ठीक करने के लिए उसकी जड़ तक जा कर इलाज करना बहुत जरूरी हैं। सही इलाज को ढूंढने की जरूरत हैं। इसलिए आपसे अनुरोध हैं की सरकार या उसके पंतप्रधान को भविष्य में चिट्ठी लिखना बंद कर दे और अपना कीमती समय और इस ब्लॉग को एक बड़ा अराजनैतिक संगठन बनाने के काम मे लगाए। ऐसे संगठन की रूपरेखा मैंने आपके पिछले ब्लॉग मे लिखी हुई हैं। इस काम को सिर्फ आप कर सकते हैं, अन्यथा भारत का भविष्य अंधकारमय हो सकता हैं। कृपया इस टिप्पणी पर गहराई से गौर करें।

      Delete
  4. THESE CONGRESS U P A 2 .BLACKMAIL (MAYAVWATI ,MULAYAM ) GOVERMENT BY RUN REMMT CONTROL BY SONIA

    ReplyDelete
    Replies
    1. अगर देश की जनता रास्ते पर उतर जाये तो ये सब रोखना असंभव नही है...
      धन्यवाद.

      Delete
    2. देश की जनता जनलोकपाल के मांग मे आपके साथ रास्ते पर तो उतर आई थी, क्या हुआ। इसको नकारात्मक सोच ना समझे। सकारात्मकता के साथ सोचे ऐसा क्यों हो रहा हैं।

      Delete
  5. Anna Ji i have lot of respect for you ... but what most of people feel now it's time to fight back through election only no other alternatives are left . i will request you please help Mr. Arvind k

    ReplyDelete
  6. kya annaji aapke pm ko patra likh dene matra se pm uske uper karvahi karenge aapne achha mudda udaya lekin gunge bahare pm ke samaksh. achcha hota arvind ke sath ise vyapak jansamarthan me aage aur. badate

    ReplyDelete
  7. Dear Anna-ji I write on behalf of Irom Sharmila Chanu whom in the past you have twice offered to support. She is now under trial for the same satyagraha that you undertook. In your case you became a national hero. She is being charged with a criminal offence and will almost certainly be found guilty. Her next trial date is on 22 May 2013. I know it is difficult for you to see her in Imphal. I hope given that you have about ten weeks to spare that you and members of your team and those of your supporters who love India, who believe that Indian citizens should be able to emulate the non-violent struggle of Gandhi-ji without being convicted as criminals will come to support her. And if I may press can you express an opinion on whether the crime of rape should always be a crime or do you believe that certain groups or the wearing of a uniform should automatically give you carte blanche to rape women citizens without accountability before the ordinary Justice System of the Republic of India. So far few have come out openly to support Justice Verma's three recommendations to deprive those with obscene criminal convictions and pre-trial charges from continuing as MLAs MPs and Ministers of State, to prevent husbands from torturing sodoming and raping their wives under the protection of the marriage licence, and to demand that soldiers protect the weak and the vulnerable instead of using their superior force to rape and commit acts of sexual violence against any women they so choose in the disturbed areas of India and then to have a blanket immunity from investigation trial and punishment as a non-negotiable demand from their Generals. I write for and on behalf of Irom Sharmila Chanu, Human Rights Defender, Security Ward, Jawaharlal Nehru I M S, Porompat, Imphal East, Manipur 795005 or you may respond to her in person on 22 May 2013 at the Delhi Patiala District & Sessions Court from 10AM onwards when the prosecution produce the case for the criminalization of Gandhian Satyagraha. with metta deziecoutinho@yahoo.co.uk Desmond Coutinho

    ReplyDelete