Thursday 28 March 2013

जनतंत्र मोर्चाके तहत जनतंत्र यात्रा


पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में 31 मार्च से 18 अप्रैल 2013
‘‘जनतंत्र मोर्चाके तहत जनतंत्र यात्रा ’’
जनतंत्र मोर्चाका मुख्य उद्देश्य हैराष्ट्रीय स्तरपर संपूर्ण परिवर्तन के लिए प्रयास करना...
यानि कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण हेतु जन-लोकपाल, राईट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार मिलें, कार्यालयीन विलम्ब (काग़ज़ात का सात दिन में निपटारा हो, किसी सरकारी टेबिल पर उससे ज़्यादा फाईल रुकें) नागरिकसनद, राईट टू रिकॉल, इन विषयों पर जनशक्ति का दबाव निर्माण कर सशक्त कानून करवाने के लिए सरकार को बाध्य करना, और कानूनों को अमल में लाने हेतु सरकार पर दबाव निर्माण करना।
स्वाधीनता प्राप्ति के 65 वर्षों के अनन्तर भी किसानों के हालात ‘‘माल खाये मदारी और नाच करे बंदर’’इस क़दर ही हैं। कृषि उपज को उचित दाम मिलने के कारण किसान ख़ुदकुशी करने पर मजबूर हैं। ऐसे कई सारे सवाल हैं किसानों के, अनगिनत समस्याएं हैं मजदूरों की। उन्हें सुलझाने का प्रयास करना है। कम्पनी मालिकों और सरकार की मिलीभगत होने के कारण मजदूरों की समस्याओं की तरफ अनसुनी हो रही है। उत्पादन में वृद्धि के लिए कहीं कहीं पर मजदूरों का मानो ख़ून चूसा जा रहा है। कोई आवाज़ उठाए तो उसे बर्ख़ास्त किया जाता है। ऐसों को इन्साफ दिलवाना है। संविधान का पालन आज संसद में भी नहीं हो रहा। समाज के वंचित वर्ग- दलित, आदिवासी, घुमन्तू, मछुआरे, पिछडी जनजातियॉं, अल्पसंख्याक आदि के जीवन में सुधार लाने की योजनाओं की सोच के बदले विदेशी कम्पनियों के लिए सोचने को वरीयता दी जा रही है।
नित नये शिक्षा संस्थान बना कर शिक्षा क्षेत्र के महर्षिकहलाने वाले लोग शिक्षा के क्षेत्र का बाज़ारीकरण कर रहे हैं। नतीजतन आम आदमी को उच्च शिक्षा ले पाना मुश्किल हो गया है। ग़रीब परिवार के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रहने के कारण सामाजिक आर्थिक विषमता की खाई बढती ही जा रही है।
शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाना जरूरी बन गया है। प्रकृति का शोषण जिस क़दर बढता जा रहा है उस कारण आने वाले में समय में इस धरती का भविष्य क्या होगा? दुनिया भर के सुधी बुधी लोग इस चिन्ता से ग्रसित हैं। तापमान (ऊष्मा) बढता जा रहा है। उसीके बदौलत प्राकृतिक वातावरण में बदलाव हो रहे हैं। पर्यावरण का समतोल बनाये रखने के लिए सशक्त कानून करने के लिए सरकार को बाध्य करने का काम जनतन्त्र मोर्चा करेगा।
विदेशी कम्पनियों को देश में बुलाने को आतुर सरकार उनकी ख़ातिर बडे पैमाने पर किसानों की ज़मीनों का अधिग्रहण कर रही है। जो किसान विरोध करेंगे उन पर डण्डे चलाये जाते हैं। उस पर भी बात बने तो गोलियॉं भी चलती हैं। किसानों की ज़मीनों पर ज़बरन्कब्ज़ा कर विदेशी कम्पनियों को सौंपा जा रहा है। इसका सीधा असर है कि इस देश की हवा, पानी, ज़मीन का दूषितीकरण बढती मात्रा में होता जा रहा है। इस नुकसान की आपूर्ति हो पाना कतई सम्भव नहीं है। जनतन्त्र मोर्चा किसानों को इन्साफ दिलवाने के लिए प्रयासरत रहेगा। ऐसी कई समस्याएं हैं जिन पर समाधान खोजने के बजाय जनता पर नाइन्साफी-अनाचार करने वाले निर्णय सरकार द्वारा थोपे जाते रहे हैं। यों तो 26 जनवरी 1950 के दिन जब देश गणतन्त्र बना, उसी दिन देश में जनता की सत्ता कायम हुई। सरकारी कोष में जमा होने वाला धन वास्तव में जनता का है। अब चूं कि सारी जनता इस धनराशि का व्यवस्थापन-नियोजन नहीं कर पाएगी इस लिए हम भारत वासियों ने प्रातिनिधिक जन तन्त्र के ज़रिये राज्य की विधान सभा में विधायक एवं संसद में सांसदों को जनता की सेवा करने के लिए चुन कर भेजा है। जनता द्वारा चुने गये इन विधायक महोदय सांसद महोदय ने जनता के कोष का उचित नियोजन करना अपेक्षित है। ठीक उसी तरह, हमारा देश कानून व्यवस्था को मानने वाला होने के कारण जनता के हित में, राष्ट्र के हित में सशक्त तगडे कानून बनवाने की भी उनसे अपेक्षा की जाती है। इसी कारण जनता ने उन्हें चुन कर भेजा है। हालां कि हमारी बदकिस्मती ही कही जाएगी कि विधान सभा लोक सभा जैसे विधि मण्डलों के होते हुए भी सशक्त कानून नहीं बन रहे हैं।
16 अगस्त 2011 करोडों लोग सडकों पर उतर आए- जन लोकपाल कानून बनाने की मॉंग का समर्थन करने के लिए। भ्रष्टाचार की रोकथाम हेतु सरकार कुछ करें इस लिए देश भर में जनता ने आन्दोलन किये। जनलोकपाल की दिशा में प्रधान मन्त्रि महोदय ने कुछ बिन्दुओं पर सहमति जताते हुए आश्वासन भी दिये। इस बात को भी दो वर्ष हो चुके हैं, लेकिन तो कानून बना ही आश्वासन पूरे हुए। जब प्रधान मन्त्रि महोदय ही अपने लिखित आश्वासन की वादाखिलाफी करें तो जनता किससे गुहार लगाए? कहॉं जाए? संसद में सर्वसम्मति से भ्रष्टाचार की रोकथाम की दिशा में जनलोकपाल के कुछ बिन्दुओं पर प्रस्ताव पारित होने पर भी उसपर अमल हो पाए तो यह कहना गलत होगा कि यह तो संविधान की तथा संसद की अवमानना हो रही है। इस के मूल में यह कारण है कि खुद सरकार ही भ्रष्टाचार को रोकना नहीं चाहती।
अब तो एक ही मार्ग बचा है- एक संगठन राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाए। संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतन्त्रता के अधिकार का मतलब स्वैर आचार मान कर सरकार अपनी मनमर्ज़ी चला रही है। ऐसी सरकार पर जनशक्ति का दबाव बनाना पडेगा। लाखों लोगों को इस के लिए अहिंसा के रास्ते से ऐसा जेल भरो आन्दोलन करना पडेगा कि कोई भी जेल में बन्दियों को रखने के लिए जगह ही बच पाये। उसी प्रकार यदि देश व्यापी संगठन बन पाए तो जन तन्त्र के पवित्र मन्दिर विधानसभा और लोकसभा में केवल चरित्रवान्प्रतिनिधि ही चुन कर भेजे जाने हेतु लोक शिक्षण, लोक जागरण करना सम्भव होगा। जन तन्त्र मोर्चा इसी दिशा में पूरे देश भर में भ्रमण कर जनता को जागृत करने का अलख जगाएगा और संगठन बनाने का प्रयास करेगा।
यदि मौजूदा हालात में परिवर्तन लाना हो तो जरूरी है कि जनता चरित्रवान्प्रत्याशी को ही अपना प्रतिनिधि बना कर विधान सभा लोक सभा में भेजे। सामाजिक राष्ट्रीय भावना रखने वाले लोग राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होंगे तो ही सम्पूर्ण परिवर्तन करने वाले सशक्त कानून बनाना सम्भव होगा। जन तन्त्र का आधार है जागृत मतदाता। अगर जनता चाहे कि देश में परिवर्तन होना चाहिए, भारत देश भष्टाचार से विमुक्त हो जाए तो जरूरी है कि मतदाता एकत्रित हो कर दल या पार्टी को देखते हुए मात्र चरित्रवान्उम्मीदवार का चयन करे। आपस में फूट पडने दें, सहमति से काम ले। चरित्रवान्प्रतिनिधि चुन कर विधान सभा संसद में नहीं भेजे जाते तब तक देश में परिवर्तन नहीं हो पाएगा, ही भ्रष्टाचार पर लगाम कसेगी, जनता के साथ इन्साफ होगा। मौजूदा हालात के मद्देनज़र कोई उम्मीद नहीं बनती कि दलगत राजनीति के सहारे समाज देश उज्वल भविष्य के सपने देखें। लगभग सभी दल सत्ता के बल पर धन और धन के बल पर सत्ता इसी कुचक्र में फेरे लगा रहे हैं। ही कोई दल विशेष समाज के, राष्ट्र हित के पक्ष में सजग दिखाई देता है। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी. के. सिंह के साथ मिल कर हमने जनतन्त्र मोर्चाकी राष्ट्रीय स्तर पर स्थापना की है। लोक शिक्षा, लोक जागरण कर लोक संगठन बनाने हेतु जनतंत्र यात्राका आयोजन कर पूरे देश भर में डेढ साल लगातार भ्रमण करना निश्चित किया है। इस यात्रा का शुभारम्भ अमृतसर की शहीद भूमि जलियांवाला बाग़ से 31 मार्च 2013 को होगा। पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश इन राज्यों में 17 अप्रैल तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान 35 विशाल सभाओं का आयोजन हो चुका है तथा अनेक स्थानों पर छुटपुट कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। एक मज़बूत जन संगठन राष्ट्रीय स्तर पर बनाने प्रयास होगा। इन तीन राज्यों के बाद अन्य राज्यों में भ्रमण करने की योजना बन रही है।
जनतन्त्र मोर्चा कोई चुनाव लडेगा, ही किसी दल विशेष को समर्थन देगा। देश में सम्पूर्ण परिवर्तन लाने एवं जनता से हो रही धोखाधडी, नाइन्साफी के खिलाफ संघर्ष करने की हमारी भूमिका रहेगी। जनतन्त्र मोर्चा का कार्यकर्ता किसी भी व्यक्ति या संस्था से धनराशि नहीं लेगा। पोस्टर, फोल्डर, बैनर जैसी वस्तुओं के रूप में दान स्वीकार्य होगा। लेकिन खुद किसी से भी पैसा नहीं लेगा। हरेक राज्य में जनतन्त्र मोर्चा का संगठन गॉंव, तहसील, ज़िला एवं राज्य स्तर पर बनेगा मगर उसमें कोई भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव आदि पदों पर विराजित नहीं होगा, बल्कि देश हित में, समाज हित में एक स्वयंसेवक बन कर काम करेगा।
सन्‌ 1942 में महात्माजी ने अंग्रेज़ों को चले जाओके नारे से ललकारा और देश वासियों को पुकारा करेंगे या मरेंगेसे। बिना किसी पद के जो भी स्वाधीनता के उस संग्राम में सडक पर उतर आया वह एक स्वयंसेवक बन कर आया। उसी के फल स्वरूप अंग्रेज़ों को यहॉं से हट जाना पडा, हम आज़ाद हुए। लेकिन आज़ादी के 65 वर्षों बाद भी देश की जनता को सच्ची आज़ादी नहीं मिली। हॉं, सिर्फ गोरे चले गए और काले गये। वही भ्रष्टाचार, वही तानाशाही, वही लूट खसोट, गुण्डागर्दी, वहशत। समय आया है अब हर युवा कार्यकर्ता को स्वयं सेवक बन कर आज़ादी के इस दूसरे संग्राम में उतर आने का। पिटे जाने या जेल में जाने की भी नौबत सकती है, उसके लिए तैयार रहना है। जेल भरोआन्दोलन इस क़दर किया जाए कि देश भर कहीं भी किसी भी जेल में खाली जगह बचे। इसी से देश में परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त होगा, गरीब जनता को राहत मिलेगी। 31 मार्च 2013 से शुरु होने जा रही यात्रा में जुडने के इच्छुक कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि वे ही कार्यकर्ता शरीक हों जो अपना खर्च खुद वहन कर अपने वाहन से पाएंगे।
तो जनतन्त्र मोर्चा अण्णा हजारे के पास धन संग्रह है। ऐसे में कार्यकर्ताओं को अर्थ सहयोग कर पाने के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं। फिर भी दिल में है विश्वास कि आने वाले डेढ साल में देश भर में यात्रा हो जाने पर लाखों नहीं करोडों की संख्या में जनता संगठित हो पाएगी। यही संगठन सरकार के उन लोगों को सबक सिखा पाएगा जो संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार के माने स्वैर आचार समझते हैं। गुण्डे, भ्रष्टाचारी, लुटेरे, व्यभिचारियों को देश की विधान सभाएं तथा संसद जैसे पवित्र मन्दिरों में घुसने से रोकेगा और वहॉं केवल चरित्रवान्व्यक्तियों को भेज पाएगा।
चुनाव के दौर में प्रत्येक मतदाता भारत माता की कसम खा कर प्रतिज्ञा करे कि किसी भी प्रलोभन के वशीभूत होते हुए सिर्फ चरित्रवान्व्यक्ति को ही अपना मत देंगे। यदि ऐसा होगा तो ही अच्छे कानून बना पाना सम्भव होगा, जो कि देश में परिवर्तन लाएंगे। देश की जनता को सही आज़ादी का अनुभव सम्भव होगा।
आज की तारीख में देश में मतदान का अनुपात है 50% उनमें से 20/22% वोट हासिल करने वाले चुने जाते हैं और हम सब पर राज करते हैं। लोक जागरण का उद्देश्य प्रयास रहे कि मतदान का अनुपात 85/90% तक बढ पाए।
अभी शुरु होने जा रही यात्रा का विवरण संलग्न है, अगली यात्राओं का राज्यानुसार विवरण हम जारी करते रहेंगे।
‘‘भारत माता की जय ’’
सधन्यवाद।
                                     
(कि.बा.उपनाम अण्णा हजारे)
राळेगणसिध्दी28 मार्च 2013