Tuesday 31 December 2013

राष्ट्रीय स्तर पर संघटन के लिए आवाहन...

तीन साल के जन आंदोलन की लडाई के बाद अखिर 46 साल से अटका हुआ लोकपाल विधेयक संसद में पास हो गया। लोकपाल कानून से हम 40 से 50 प्रतिशत भ्रष्टाचार रोख सकते है। सरकार को जल्दही लोकपाल कानून कार्यान्वित करना पडेगा। साथ साथ ही 365 दिन के अंदर हर राज्यों में सशक्त लोकायुक्त कानून लाने के लिए मॉडल ड्राफ्ट भेजना पडेगा। सिर्फ लोकपाल कानून आनेसे भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना पुरा नही होगा। लोकपाल का सही अंमल होना जरुरी है। इसको लिए हमें इसपर निगरानी करनी होगी। साथ साथ ही राईट टू रिजेक्ट, राईट टू रिकॉल, ग्रामसभा को पुरे अधिकार, जनता की सनद ऐसे सशक्त कानून के लिए लंबी लडाई लडनी होगी। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर ईमानदार लोगों का संघटन बनाना होगा। गांव स्तर, तहसिल, जिल्हा और राज्यस्तर पर अगर संघटन बन जाएगा तो राज्य और देश की संसद पर जन संसद का दबाव निर्माण होगा। फिर भ्रष्टाचार को रोकनेवाले सशक्त कानून बन पायेंगे। अब तक लाखो लोग इस संघटन से जुड गये है। जो कार्यकर्ता भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए इस लडाई मे शामील होना चाहते है, उन्हे अनुरोध है कि, उन्होने अपना बायोडेटा भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन, राळेगणसिद्धी, ता. पारनेर, जि. अहमदनगर (email : annahazareoffice@gmail.com) पर भेजना है। ताकि हम आपके साथ आगे लगातार संपर्क बनाए रखेंगे।

आपका,
अण्णा हजारे
31 दिसंबर 201

Thursday 12 December 2013

जन लोकपाल के बारे में व्ही. नारायण सामी जी को चिठ्ठी...

दि. 12 दिसंबर 2013
भ्र.वि.. 45/2013-14

प्रति,
मा. श्री नारायण सामीजी
राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय

महोदय,
       जैसे की आप जानते है, जनलोकपाल बील को पारित करने की मांग को लेकर मैने 10 दिसंबर 2013 से अपना अनशन अपने गांव रालेगणसिद्धी मे शुरु किया है। आप यह भी जानते है कि लोकसभा मे पास हुवा लोकपाल बील स्टँडींग कमिटी ने भी पास किया राज्यसभा मे गया था। राज्यसभा के सिलेक्ट कमिटीने अपनी रिपोर्ट सरकार को 23 नवम्बर 2012 को ही सौंप दी है, और कोई एैसी वजह दिखाई नही देती जिस से जनलोकपाल बील को पारित करने में कोई समस्या हो। लेकिन एक साल बीत गया अभी तक लोकपाल बील सरकार ने राज्यसभा मे नही रखा गया।
         आपने मुझे जो पत्र भेजा है वो आप की जानकारी के लिये मै फिर से यहा प्रस्तूत कर रहा हूँ। शीतकालीन सत्र 2012 मे इसे आना था, नही आया। फिर आपने पत्र लिखा, मुझे आश्वस्त किया कि बजट सत्र मे आयेगा, तब भी नही आया। फिर वर्षाकालीन सत्र मे बील लायेंगे ऐसा पत्र आया था लेकिन बील नही आया, और अब शीतसत्र शुरू है।  आपने बार बार आश्वासन देकर भी बिल राज्यसभा मे ना आने का कारण समझ मे नही आता। अधिवेशन से दो दिन पहले हमने पता किया था लेकिन शीतकालीन अधिवेशन के कार्य सूची मे बील का नामनही है। और अधिवेशन शुरू होने के बाद भी इस सत्र की कार्यसूची मे भी बील शामिल नही है। इसका साफ मतलब है कि, सरकार मुझे और पुरे देश को धोखा दे रही है। आप की सरकार ने धोकाधडी की इसी कारण चार राज्यों मे जो चुनाव हुये उसमे जनता ने गुस्से मे आकर आप की पार्टी को सबक सिखाया है। अगर इस सत्र दौरान बील नही आया तो देश मे होनेवाले लोकसभा चुनाव मे जनता आपके सरकार एवं पक्ष को सबक सिखायेगी। अतः विना विलंब समाज और देश के भलाई के लिए  
         बील पारित होना बेहद जरूरी है। कल प्रसार माध्यमों से आपने कहा कि, इसी सत्र मे सरकार कानून बनवायेगी। अतः उनकी सूचना आपने राज्यसभा सचिवालय को दी है। हैरानी की बात यह है कि, जब सत्र शुरू होने के दो दिन पूर्व हमने जानकारी ली तब पता चला की यह बील सदन की कार्यसूची मे अभी तक शामिल नही है और अभी तक कार्यसुची मे बील नही है तो इस सत्र मे बील कैसे लायेंगे। जनलोकपाल बील जैसे अहममुद्दे पर सरकार का यह रवैय्या बेहद गैर जिम्मेदाराना और जनतंत्र को बडा धोखा है। मै फिर एक बार दोहराता हूँ कि, बिना जनलोकपाल बील पारित हुये मै अपना अनशन खत्मनही करुँगा। देश के लिये अंतिमबलिदान के लिए मै तय्यार हूँ।

भवदीय,
कि.बा.तथा अण्णा हजारे

जनलोकपाल के बारे में विपक्ष नेता अरुण जेटली जी को चिठ्ठी...

दि. 12 दिसंबर 2013
भ्र.वि.. 44/2013-14


प्रति,
मा. श्री अरूण जेटलीजी,
नेता-विपक्ष, राज्यसभा
नई दिल्ली- 110001

महोदय,
         मुझे आपका 10 दिसंबर का पत्र आज प्राप्त हुवा। आपके प्रतिसाद के लिए धन्यवाद। आपने इस पत्र से मुझे आश्वस्त किया है कि, आप स्वयं और आपकी पार्टी सक्षम लोकपाल के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा की आप जानते है, राज्यसभा के सिलेक्ट कमिटी को यह बील सौपा गया था और सिलेक्ट कमिटी ने 23 नवम्बर 2012 को ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। देश मे एैसे कई मुद्दे है जिस पर विपक्ष ने संसद मे और संसद के बाहर आक्रमक रवैय्या अपनाया है। छोटे-छोटे मुद्दोंपर भी विपक्ष ने रास्तोंपर आकर आंदोलन किया है। आश्चर्य इस बात का है कि, विगत एक साल मे विपक्ष ने जनलोकपाल के मुद्दोंको लेकर कोई आंदोलन किया है। जनलोकपाल के लिए विपक्ष ने हीं संसद मे आग्रह किया। बाहर आंदोलन किया है। एक साल से सरकार राज्यसभा मे बील नही लाती है और विपक्ष कुछ नही करते। सरकार के नियत पर तो मुझे संदेह है ही आपितु विपक्ष की नियत पर भी सवालिया निशान लग जाता है। मै जानता हुँ कि, जनतंत्र मे विपक्ष की भुमीका बहुत जिम्मेदाराना तथा लोगों के हितों की पुरी तरह रक्षा करने की होती है। अतः मै इस बात को भी दोहराता हूँ कि, अगस्त 2011 के अनशन समाप्ती के लिए संसद ने मुझे जो आश्वासन लिखीत रुप से एवं आम सहमती से दिया है। लोकसभा विपक्ष नेता श्रीमती. सुषमा स्वराज जी ने जब जनलोकपाल लाने का देश की जनता को आश्वासन दिया था। उसे निभाने मे विपक्ष की भुमीका अहंमहै और संसद की गरीमा को संभालना विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। मै फिर एक बार दोहराता हूँ कि, बिना जनलोकपाल बील पारित हुये मै अपना अनशन खत्म नही करुंगा। देश के लिए अंतिम बलिदान के लिए मै तैयार हूँ। 

भवदीय,

कि.बा.तथा अण्णा हजारे

Monday 9 December 2013

जनलोकपाल के लिए 10 दिसम्बर 2013 से निर्णायक आंदोलन...

जनलोकपाल के लिए निर्णायक आंदोलन...

प्यारे भाई और बहनों,
  आप जानते होंगे कि पिछले 25 साल से मै जन आंदोलन के माध्यमसे भ्रष्टाचार के विरोध मे संघर्ष कर रहां हूँ। जनतंत्र के दबाव से महाराष्ट्र में जनहित मे कई कानून बने। लेकिन ये लडाई सिर्फ एक राज्य में सिमित नहीं रह सकती। इसलिए जनलोकपाल की मांग को ले कर हमने एप्रिल 2011 से राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया। 16 अगस्त 2011 को दिल्ली के रामलिला मैदान पर ऐतिहासिक आंदोलन हुआ। जिसमें देश की जनता करोडों की संख्या में रास्ते पर उतर आयी। सिर्फ भारत  में ही नही बल्कि पुरी दुनिया से इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला। जनशक्ती का दबाव बढने से संसद में प्रस्ताव पारित कर के प्रधानमंत्री जी ने मुझे याने कि देश की जनता को लिखित आश्वासन दे दिया। उसके बाद भी दो बार आंदोलन करना पडा। लोकसभा में लोकपाल बील पास हो गया। सिलेक्ट कमेटी ने भी पास किया। लेकिन एक साल से वह राज्यसभा में पडा है और हम इन्तजार कर रहे है।
         इस के दौरान मै लगातार सरकार से पत्र व्यवहार करता रहा। प्रधानमंत्री जी के दफ्तर से मुझे हर बार इस सत्र में बिल लाएंगे ऐसा लिखित आश्वासन कई बार मिलता रहा। लेकिन सरकार ने मेरे साथ और देश की जनता के साथ धोखाधडी की। फूड सिक्युरिटी बील, भूमइधिग्रहन बिल, पेन्शन बिल, जेल में होते हुए चुनाव लडनेवाला बिल ऐसे कई बिल सरकारने पास किए, लेकिन जनलोकपाल जानबुझ कर नहीं ला रहे है। विपक्ष ने भी जनलोकपाल के बारे में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायी है। लोकसभा के विपक्ष नेता श्रीमती सुषमा स्वराज जी और राज्यसभा के विपक्ष नेता श्री अरुण जेटली जी ने संसद मे जो आश्वासन दिया था वह नही निभाया। अब हमऔर इन्तजार नहीं कर सकते। देश की जनता और धोखाधडी नहीं सह सकती। मैने तो तय किया है कि, जब तक शरीर मे प्राण है तब तक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए लडता रहुंगा। इसलिए 10 दिसंबर से रालेगणसिद्धी के संत यादवबाबा मंदिर में मेरा अनशन शुरू होगा। मै देश की जनता को अनुरोध करता हूँ कि, आप सभी को इस आंदोलन में शामील होना है। ये परिवर्तन की लडाई है। ये स्वतंत्रता की दुसरी लडाई है। अब पिछे रह जाओगे तो खुद को कभी माफ नहीं करोगे। खास कर के देश के युवा इस आंदोलन को हाथ मे लेंगे तो परिवर्तन की घडी दूर नही होगी। लेकिन मै एक बात को नम्रता से कहुंगा कि, हमारा आंदोलन पुरे अहिंसात्मक और शांततपूर्ण मार्ग से होगा। 16 अगस्त 2011 के आंदोलन में आप सभी ने दुनिया को ये दिखा दिया है। आंदोलन मे शामील होने के लिए सभी को रालेगणसिद्धी में आने की जरुरत नहीं। आप अपने गांव, तहसिल, जिला या शहरों में शांततापूर्ण मार्ग से आंदोलन कर सकते है। इस शीतकालीन सत्र में सरकार को जनलोकपाल बिल लाना होगा। तब तक मेरा अनशन जारी रहेगा। अगर इस सत्र में बिल नहीं लाया गया तो बाद में सार्वत्रिक चुनाव के पहले मै देशभर जा कर सरकार की धोखाधडी के बारे में जनता को जगाऊंगा। सरकार ने जनलोकपाल के बारे में कैसी धोखाधडी की ये साथ में दिए हुए पत्र पढकर आपके समझ मे आएगा। आओ सब मिल कर स्वतंत्रता की ये दुसरी लडाई लडेंगे। जयहिंद।


आपका
के. बी. तथा अण्णा हजारे,
9 दिसम्बर 2013