Sunday 26 August 2018

2 अक्टुबर से शुरू होनेवाले आंदोलन के बारे में.....

सभी कार्यकर्ताओं के लिए पत्र...
दिनांक- 26/08/2018
जा.क्र.जन. 21/2018-19

प्रति,
सन्माननीय सभी कार्यकर्ता,
महोदय,
मुझे युवा अवस्था में स्वामी विवेकानंद जी की किताब से प्रेरणा मिली। महात्मा गांधीजी के विचार का जीवन में प्रभाव पडा। और जीवन का ध्येय ग्रामविकास को गती देना और विकास में भ्रष्टाचार का जो महारोग लगा है उसको रोकने की कोशिश करना यह जीवन का ध्येय निश्चित किया।
घर की आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं थी। प्रश्न खडा हुआ, अगर शादी कर लूँ तो चुल्हा जलाने में समय बित जायेगा। मैं ग्रामविकास और भ्रष्टाचार को रोकथाम लगाने का काम नहीं कर पाऊँगा। इसलिए तय किया कि, शादी नहीं करनी। यह दोनों कार्य समाज और देश के भलाई के लिए बहुत महत्वपुर्ण है। लेकिन उतना ही कठीन भी है। इन दोनों कार्य में विरोध बहुत होता है, निंदा होती है। लेकिन स्वामी विवेकानंद कहते है कि, ध्येयवादी बनों। ध्येय निश्चित कर के उस ध्येयप्राप्ती के लिए चलते रहो। कठनाईयाँ आयेगी, विरोध होगा, निंदा होगी, बदनामी होगी फिर भी रुको मत चलते रहो। सिर्फ जीवन में आचार शुद्ध हों, विचार शुद्ध हों, जीवन निष्कलंक हों, जीवन में त्याग हों और अपमान पिने की शक्ती इन बातों को संभालते हुए चलते रहो। रुको मत। इन विचारों का मेरे जीवन में प्रभाव पडा। और मैने भी जीवन का ध्येय निश्चित किया की, मेरे गांव से मुझे शुरूवात करनी है। और गांव, समाज, देश की सेवा करने का व्रत लिया। इस कार्य में कितनी कठनाईयाँ आयी यह शब्दों से व्यक्त नहीं होती। लेकिन यह युवकों के लिए, कार्यकर्ताओं के लिए एक उदाहरण बन गया है। एक युवकने जीवन में ध्येय निश्चित कर के ध्येयप्राप्ती की राह पर चलते रहें। धन नहीं, दौलत नहीं, सत्ता नहीं, पैसा नहीं फिर भी वह युवक समाज और देश के लिए कितना काम कर सकता है।
इस ध्येयप्राप्ती के कारण जो एक गाँव बन गया है उसे देखने देश, विदेश से दस लाख लोग आए है। पांच लोगोंने गाँव पर पी.एचडी. की है। कई गाँवोंने प्रेरणा ले कर अपने अपने गांव में कार्य शुरू किए है। विकास के साथ साथ भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इसलिए मैं 25 साल से आंदोलन करते आया हूँ। आंदोलन में बहुत विरोध होता रहाँ। निंदा होती रहीं। कई बार मुझे जेल में भी डाल दिया गया था। जेल में डालकर मैं कैसा दोषी हूँ ऐसी गलत फहमी फैलाकर बदनामी की कोशिश होती रहीं। लेकिन जीवन में ध्येयवादी बनने के कारण मन को थकावट नहीं आयी। इस कारण सूचना का अधिकार, ग्रामसभा को जादा अधिकार, नशाबंदी, लोकपाल, लोकायुक्त जैसे कई कानून बनाने में सफलता मिली।
इस सभी कानून से मेरा वैयक्तिक कोई लाभ नहीं है। यह समाज और देश की सेवा है। जनता के लाभ के लिए अभी तक जो जो कानून बने है, उन का लाभ जनता को हो रहा है। क्योंकी हमारा देश कानून के आधार पर चला है। देश का भ्रष्टाचार कम हो इसलिए लोकपाल, लोकायुक्त कानून बने इसलिए सरकार से बार बार बिनती करते आया हूँ। जब सरकार नहीं मानती है तो, संविधान ने जो हम जनता को आंदोलन करने का अधिकार दिया है वह आंदोलन करते आया हूँ। जीवन में समाज के भलाई के लिए 19 बार अनशन किया है।
23 मार्च 2018 को किसानों को खर्चा पर आधारीत कृषि पैदावारी के दाम मिले और लोकपाल, लोकायुक्त की नियुक्ती हों इसलिए दिल्ली के रामलिला मैदान में मैने अनशन किया था। और नरेंद्र मोदी सरकार ने मुझे अनशन छोडने के लिए लिखीत आश्वासन दिया था। वह लिखीत आश्वासन का पत्र साथ में जोडा है। 29 मार्च 2018 को अनशन छोडते समय मैने सरकार को बताया था कि, छह माह में इन आश्वासनों की पूर्ती हों। सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों की पूर्ती करने के लिए पाँच माह का समय बीत गया है। पाँच माह में छेह बार प्रधानमंत्रीजी को पत्र लिखा लेकिन आश्वासन के बाद भी सरकराने कुछ निर्णय नहीं लिया है। 2 अक्टूबर 2018, महात्मा गांधीजी के जयंती के अवसर पर किसानों के खेतीमाल को स्वामीनाथन आयोग के अहवाल के मुताबीक C2+50 आधार पर खेतीमाल को दाम मिले और लोकपाल, लोकायुक्त की नियुक्त हों इसलिए मेरा आंदोलन मेरे गाँव रालेगणसिद्धी में शुरू होगा।
जनता से मेरी बिनती है, जीन जीन कार्यकर्ताओं को लगता है की, ऐसे आंदोलन करना जरूरी है। तो अपने गाँव में, तहसिल में, जिला में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आंदोलन करें। आंदोलन करने के लिए रालेगणसिद्धी आने का प्रयास ना करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
कि. बा. तथ अण्णा हजारे