Monday 24 December 2012

गैंगरेप के बारे में प्रधानमंत्रीजी को चिठ्ठी...



सेवा में,
श्रीमान डॅा. मनमोहन सिंह जी,
प्रधान मंत्री, भारत सरकार,
नई दिल्ली.

विषय : गैंगरेप - मानवता को कलंक लगानेवाली शर्मनाक घटना घटी और देश की जनता का जन आक्रोश गुस्सा बेकाबू होकर देश की जनता रास्ते पर उतर आयी, जनता का क्या दोष...?


महोदय,
गैंगरेप की शर्मनाक घटना से देश वासियों की गर्दन शर्म से झुक गयी। देश की जनता का गुस्सा बेकाबू हो कर देश की जनता रास्ते पर उतर आयी। कही दिनों से लगातार जनता का गुस्सा और आक्रोश बढता ही गया। खास तौर पर युवा शक्ती बडी संख्या में रास्ते पर उतर आयी। सामाजिक न्याय के लिए इतनी बडी संख्या में युवा शक्ती का रास्ते पर उतरना और अहिंसा के मार्ग से आंदोलन करना यही देश में होने जा रहे परिवर्तन के पूर्व संकेत हो सकते हैं। लगता है, अब देश में परिवर्तन का समय निकट आ रहा हैं। युवाशक्ती ही राष्ट्रशक्ती होने के कारण देश में युवा शक्ती परिवर्तन लायेगी ऐसा विश्वास हो रहा हैं। जरुरी हैं कि इस बारे में सरकार की तरफ से गम्भीर सोच हो। सरकार की तरफ से बयान आ रहे हैं कि शिघ्र ही कानून में संशोधन कर के अपराधियों को कडी से कडी सजा दी जायेगी। सरकार के कहने का यही मतलब निकलता हैं कि जनता अन्याय, अत्याचार के विरोध में बार बार आंदोलन करती रहे और आंदोलन के बाद सरकार कानून में संशोधन करने का आश्वासन देती रहेगी।

26 जनवरी 1950 को इस देश में हम भारत की जनता ने पहला प्रजासत्ताक दिन मनाया। इसी दिन जनता इस देश की मालिक बन गयी। सरकारी तिजोरी जनता की हैं। उसका सही नियोजन करने के लिए और देश की सर्वोच्च व्यवस्था न्याय व्यवस्था होने के कारण देश में कानून और सुव्यवस्था रखने के लिए देश में अच्छे अच्छे सशक्त कानून बनवाने के लिए हम देश की जनता ने राज्य के लिए विधायक और केंद्र के लिए सांसदों को जनता के सेवक के नाते भेजा हैं। मंत्री मंडल में जो लोग हैं, वह भी जनता के सेवक हैं। विधानसभा और लोकसभा का मुख्य काम हैं कानून और सुव्यवस्था के लिए सशक्त कानून बनाना। आज गैंगरेप के कारण जनता का गुस्सा बेकाबू हो गया और उधर प्रधानमंत्री के नाते आप, श्रीमती सोनिया गांधीजी और सरकार के लोग कह रहे हैं कि हम कानून में संशोधन कर के दोषियों को कठोर शासन करेंगे। आजादी के 65 साल बीत गये हैं। प्रश्न खडा होता हैं कि, महिलांओं पर इस प्रकार के अन्याय अत्याचार के देश में हजारो उदाहरण हैं। देश में सुव्यवस्था बनाये रखने के लिए नये नये कानून बनवाने और कानून में संशोधन करना यही तो सरकार का कर्तव्य था। तो 65 साल में आज तक आज तक सरकार ने कानून में संशोधन कर के फांशी या जन्मठेप जैसे सशक्त कानून क्यों नही बनवाये ?

गैंगरेप जैसी शर्मनाक घटना के लिए छह लोग दोषी बताए जाते हैं। ऐसे अपराध करनेवालों को फांशी या उम्रकैद की सजा जैसे सशक्त कानून बनवाये गये होते तो इन छह आरोपीयों की ऐसा गुनाह करने की हिम्मत ही नही होती। क्या सरकार को ऐसा नही लगता? हमें लगता हैं कि इन छह दोषी आरोपीयों को कडी से कडी सजा तो मिलनी चाहिए, लेकिन पिछले 65 साल में सशक्त कानून न बनवाने वाली सरकार भी तो उतनी ही जिम्मेदार हैं। ऐसा अगर हम कहें तो गलत नही होगा।

बढते भ्रष्टाचार के कारण जनता का जिना मुश्किल हो गया हैं। महंगाई के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो गया हैं। परेशान हो कर देश की जनता करोडों की संख्या में रास्ते पर उतर गयी थी। अगर भ्रष्टाचार को रोखने वाले सशक्त कानून बनवाये गये होते भ्रष्टाचार नही बढना था। 16 अगस्त 2011 को देशभर में जनता ने रास्ते पर उतर कर अपना गुस्सा प्रदर्शित किया था। अण्णा हजारे तो रामलिला मैदान में निमित्त मात्र थे। जनता रास्तेपर उतर गयी थी क्यों कि जनता को जिना मुश्किल हो गया और दिल में भ्रष्टाचार का बहुत गुस्सा था। आपकी सरकार ने जनता के सब्र का अब और अंत नही देखना चाहिए। कानून और सुव्यवस्था बनाये रखने हेतू सशक्त कानून बनवाने के लिए तो जनता ने सांसदों को संसद में भेजा हैं। उस कर्तव्य भावना से सशक्त कानून ना बनवाने के कारण और गैंगरेप की घटना घटती हैं तो जनता का गुस्सा होना सहज-स्वाभाविक हैं। इस में उनका क्या दोष हैं ?

सरकार चलानेवाले लोगो ने सोचना चाहिए कि यदि अपनी बेटी या अपनी बहन के साथ ऐसा व्यवहार होता तो आप क्या करते? जनता को गुस्सा आया इसमें उनका क्या दोष हैं। अहिंसा के मार्ग से जनता आंदोलन करती हैं और धारा 144 लगा कर  सरकार जनतंत्र का गला घोटने का काम करती हैं। ऐसा कहे तो गलत नही होगा। जनता को संविधान ने ही आंदोलन का अधिकार दिया हैं। जनता में ऐसा गुस्सा फिर से पैदा ना हो इस लिए महिलाओं के संरक्षण के लिए सशक्त कानून बनवाना सरकार के हाथ में हैं और यह सरकार का कर्तव्य भी हैं। आज सरकार जनता को जो आश्वासन दे रही हैं वह पहले भी तो कर सकती थी। लेकिन समाज और देश की भलाई की अपेक्षा, लगता हैं कि सत्ता और पैसे की सोच अधिक प्रभावी होने से सरकार कुछ नही कर पाती।

आज देश में युवकों ने और देश की जनता ने जो आंदोलन किया वह अहिंसा के मार्ग से किया हैं। कहीपर भी तोडफोड की घटना नही घटी। आंदोलन का यह एक आदर्श उदाहरण हैं। देश और दुनिया के लिए एक आदर्श हैं। आंदोलन कारियों का मुख्य उद्देश यही हैं महिलायों पर फिर से ऐसा अन्याय, अत्याचार ना हो ऐसा सशक्त कानून सरकार से बनवा कर दोषी लोगों को कडी सजा मिल जाए। इस आंदोलन से सरकारने समझना चाहिए कि देश का युवक, देश की जनता सामाजिक परिवर्तन चाहती हैं। संविधान के मुताबिक जीवन की जरुरत पुरी करने और अच्छा जीवन जिने का हर हर व्यक्ति को अधिकार हैं। सामाजिक अन्याय के लिए संघर्ष करनेवाली जनता को सशक्त कानून का अगर आधार मिल जाए तो देश में सामाजिक परिवर्तन का बहुत बडा काम होगा। दोषी आरोपियों को कडी से कडी सजा मिले और आगे ऐसी घटना ना हो इसलिए सशक्त कानून जल्द से जल्द बने, चाहे इसके लिए संसद का विशेष अधिवेशन बुलाना पडे तो इसपर सरकार की राय जानना चाहता हूं। इस काम के लिए सरकार चलानेवाले और कानून बनानेवाले लोगों को सद्बुद्धी मिले इस लिए 27 और 28 दिसंबर को मैं और गांव के कुछ लोग मेरे गांव रालेगण सिद्धी के श्री संत यादवबाबा मंदिर में भगवान से प्रार्थना के लिए बैठने का संकल्प किया हैं।

भवदीय,


कि. बा. तथा अण्णा हजारे.

मैं जनता और युवा भाई बहिनों से विनंती करता हूँ, आंदोलन करते समय संयम रखे। राष्ट्रीय संपत्ती की कोई हानी ना हो। रास्ते से गुजरने वाले सभी जन हमारे भाई-बहन हैं। उन्हे तकलिफ ना हो। आपने पहले भी अगस्त 2011 में शांतिपूर्ण आंदोलन का आदर्श निर्माण किया हैं। करोडो युवक रास्ते पर उतरे। लेकिन किसी ने एक पत्थर तक नही उठाया। उस आदर्श की दुनिया ने सराहना की हैं। उसी आदर्श को सामने रखते हुए शांती के मार्ग से आंदोलन करने की विनंती करता हूँ। अन्याय और अत्याचार की विरोध में जली हुई मशाल को कभी बुझने ना देना। इसी में है समाज और देश की भलाई हैं।

जय हिंद।


Wednesday 21 November 2012



Vigilant Voter is the Asset of Democracy


Post freedom, India witnessed a substantial devaluation of democratic systems and the key reason why it happened so is the ‘non-alert’ voter.  Many voters in the country succumb to a bottle of sharab, money and other such allurements offered to them by corrupt candidates. Unfortunately, caste and creed too are proving to be influential factors rather than merit of a good candidate. Apart from this, political unawareness is also a reason why good people are not elected in Loksabha and other legislative houses. As a result, corrupt, hooligan, character-less people too are getting elected to our holy temples of democracy. Such people can never work for common people’s welfare. It is unfortunate that even after long 65 years of freedom; we the Indians have not recognized the importance of our own vote. One vote of an Indian can change the entire country, let us remember this always.

“Corruption free India” is possible only when every Indian decides not to vote for corrupts and says ‘no’ to corruption while going to election booth for voting. Every Indian must pledge that ‘I will not corrupt myself and shall not allow others to adopt corrupt practices during elections and voting’.  Unless and until voters decide for a clean voting process, stop taking bribes for casting votes, we cannot expect the India to be free from corruption.

It is therefore necessary to undertake voter’s awakening program in villages, towns, cities and metros of India. People will have to vow that they will not cast their votes in consideration of party, bribes, caste and creed and they will elect only those candidates having clean and good character. In order to take this Voter’s Awareness Campaign further, we need thousands of youth volunteers having a social concern and affection towards the motherland. The country looks forward for such a massive campaign now.

Unless the country elects clean and ethically sound people, the parliament will not be forced to make anti corruption laws such as Jan-Lokpal, Right to Reject, Right to Recall, Right to Service, Citizens’ Charter etc. The other laws that force governments to take fast, bribe-free and justified decisions in the matters concerning to a common man, must be in place. In addition, strengthening of gram-sabhas and ward sabhas, De-centralization and ‘power to people’ are key issues for our democracy. In case the parliament makes such people friendly provisions through enactment, the corruption will be substantially reduced thereby ensuring justice to a common man. It is therefore essential that people elect good people as their representatives.

Besides corruption, we will have to look into farmer’s issues seriously as the farmer’s financial situation is getting critical day by day. It is unfortunate that in our ‘agriculture dominated’ country, lacs of farmers have opted to suicide as they were never assured of their livelihood; which is a major system failure. Apart from their weak financial condition, the governments across the country are stealing their lands from them in the name of “development” which in fact is boon only to selfish politicians, corrupt officers and the ultra-corrupt corporate sector of this country. Poor farmers are cheated, their lands are acquired at a throw away price without any fair rehabilitation and if they refuse to give their lands, the governments across the country use muscle power to thrash them out merely for the benefit of these selfish politicians, corrupt babus and ultra corrupt corporate sector. In addition to this nexus, multi-national companies are also looting the land, water and other natural resources utilizing this corrupt machinery. For the greedy corporate sector and multinational companies, our own governments are beating farmers with lathis and also firing bullets when they protest against it.

Many recent incidents prove that this government is not less than the brutal British rulers who governed this country then. Privatization of land, forests and water in the interest of corporate and multinationals is a direct threat to sovereignty of our country. If people’s representatives and bureaucrats are public servants and people are owners of country, then they have no right to mismanage (the public assets and natural resources belonging to the people) for their own greed. Government must consult and consider people before taking any decision with reference to the natural and public resources.

The government which cannot protect the interest of small and poor farmers has no moral right to continue in the power. The government which cannot protect the soul of constitution has no legitimate right to continue in the power. It is now necessary to dissolve this current parliament and seek a fresh mandate of people of this country. People have lost their faith in political parties as almost all parties are rolling around power and money while having a least concern towards people. Political parties are misusing the law and many times making laws in their own common interests. For example, the donations offered to a political party to the extent of Rs. 20,000 are exempted deliberately from mentioning the name of the donor; whereby crores of rupees (black money) afforded by corporate are divided in bogus names to the limit of 20,000 and parties enjoy this money. This is misuse of power for turning black money white. The government must cease all such accounts of political parties but it will never do so because ruling party and opposition parties are mutual beneficiaries. How come these political parties will have interest in eliminating corruption?

It is therefore necessary for people to vote for good and clean candidates without considering party lines and their unholy offerings. This country will change only if we elect good representatives to our parliament. We will have to get together and form a nationwide apolitical organization to initiate a nationwide movement. We will have to build a public pressure which will govern the governments; whichever party may rule. All parties have only one crucial fear- ‘fear of losing the power’!

Let us rise and get organized. Let us build a nationwide organization. Let our youth go to the nation and awake it. My train-tour of country starts in the month of January. Let us unite and struggle as soldiers in the second war of independence.  The people who wish to participate in the movement may contact on following addresses.

Jay Hind !!


                                                                           [K.B. alias Anna Hazare]

Ralegan Siddhi
22 th November 2012, Tuesday                

Addresses for correspondence:

Bhrashtachar Virodhi jan-Andolan Nyas
At Post: Ralegan Siddhi, TQ: Parner, Dist: Ahemadnagar- 4140302
Phone: 02488-240401, 240010, Email: joinannahazare@gmail.com
Web site: joinannahazare.org.in

Delhi Office:
India Against Corruption
B-18, Sarvoday enclave, Near Mother School, Hauz Khas Road,
Barakhamba,
New Delhi

For Donation  Bank Details:-
Name :- India Against Corruption
Bank Name :- Bank Of India
Branch Name :- Hauz Khas C&P Banking
Address :-G-1, Hauz Khas Enclave,Mehrauli Road, New Delhi
A/C No-  600520110000486
IFSC Code :- BKID0006005
MICR Code :-110013010

Tuesday 20 November 2012

"जागृत मतदार यही लोकशाही का आधार "


                       "जागृत मतदार यही लोकशाही का आधार " 

आज़ादी के बाद देश और देश की जनता की अधोगति के कही कारण है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कारण हे  उनमे ....


देशके कही मतदार  जागृत नहीं हुये यह स्पष्ट दिखाई देता है। शराब की बोतल लेकर आपना अमूल्य मत देता है। पैसा अथवा कुछ रिश्वत लेकर अपना मत देता है। अपनी जाती-पाती को देखकर मत देता है। धर्म को देखकर मत देता है। रिश्ते देखकर मत देता है। दुसरोंके  कहने पर मत देता है। ,इस कारन गुंडा ,भ्रष्टाचारी ,व्यभिचारी,लुटारू उम्मीदवार संसद और विधानसभा जैसे हमारे लोकशाही के पवित्र मंदिरमें जाते है, ऐसे लोग जनता के उज्वल भविष्य के लिए नहीं सोचते है। आज़ादी के 65 साल के बाद जनता को अपने वोट की कींमत समज में नहीं आई, यह दुर्भाग्य की  बात है। मतदाताओं के एक मत में संसदमें , देशमे बदलाव लाने की शक्ति है ।

   
भ्रष्टाचार मुक्त भारत की निर्मिती करनी है , तो देश के हर नागरिक को यह तय करना है और प्रतिज्ञा  करनी है कि मै भ्रष्टाचार नहीं करने दूंगा ।अपना वोट देने के लिये रिश्वत लेना यह भ्रष्टाचार ही है।मतदार  खुद ही रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार करता है, तो ऐसे लोगोंने भ्रष्टाचार मुक्त भारत की अपेक्षा करना  ठिक नहीं है।


इसीलिये देश, गाँव, तहसिल ,जिल्हा स्तर  के सभी मतदारों को  जगाना होगा कि, समाज और देश के उज्वल भविष्य के लिए  किसी  पक्ष , पार्टी को न देखते हुए जाती -पाती को न देखते हुये सिर्फ चरित्र्यशिल व्यक्ति को ही मेरा मत दूंगा। मतदार जागृती अभियान चलाने के लिये गाँव स्तर तहशील स्तर, जिला स्तर पर सेवाभावी सामाजिक , राष्ट्रीय दृष्टिकोन है और देश प्रेम की भावना है ऐसे लाखो युवकोने स्वयंसेवक बनकर (वोलंटियर ) इस  काम  को देश सेवा समजकर आगे आने की जरुरत है ।

  जब तक संसद मे चरित्र्यशील उम्मीदवार नहीं जायेंगे तब तक भ्रष्टाचार को रोकनेवाले कानून नहीं बन पाएंगे। भ्रष्टाचार को कुछ हद तक रोकने के लिये जनलोकपाल  के साथ साथ देश मे राईट टू रिजेक्ट ,ग्रामसभा को  पूरा अधिकार, दप्तर दिरंगाई, एक टेबल का पेपर दुसरे टेबलपर सात (7) दिनमे जाना, जनता को दप्तर में बार बार चक्कर लगाना और रिश्वत न देना पड़े , जनता की सनद, हर दफ्तर में जनता का काम कितने दिनों मे करना, समय पर नहीं किया तो उस अधिकारी को दंडात्मक कारवाई हो, मंत्रालय की सत्ता विकेन्द्रित होकर ग्रामसभाको जादा अधिकार देना, संसद अथवा विधानसभा को गाँव की जल, जंगल, जमींन जैसी कोई भी चीज लेनी है तो ग्रामसभा की  अनुमती लेना अनिवार्य करना है। संसद मै ऐसे कानून बन गये तो नब्बे प्रतिशत  (90%) भ्रष्टाचार को रोक थम लग सकेगा।  अपने काम के लिए रिश्वत नहीं देनी पड़ेगी और गरीब आदमी को न्याय मिलेगा।  इस लिए मतदाताओंको  चरित्रशिल  उम्मीदवार को अपना मत देना है ।


    भ्रष्टाचार रोकने के साथ देशमे किसानोका प्रश्न हातमे  लेना होगा, कृषि प्रधान भारत देश में किसानो की समस्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। इसीलिए  आज़ादी के 65 सालके बाद भी  किसान आत्महत्या कर रहे है। ,26 जनवरी 1950 में हमने पहला प्रजासत्ताक  दिन मनाया, उस दिन से देश में प्रजा की सत्ता आ गयी है। प्रजा इस देश की मालिक  बन गई है, सरकारी तिजोरि में जमा होनेवाला  पैसा जनता का है। देश की जल, जंगल, जमीन  जैसी प्राकृतिक सम्पदा यह जनता की है ।सरकारी तिजोरी के पैसेका सही नियोजन और प्राकृतिक संसाधनों का नियोजन करने के लिये जनता ने सविधान के मुताबिक राज्य के लिये एम्एलए  और केंद्र के लिए एमपी  अपने सेवक के नाते भेजे है, मालिक जनता है ।



    राष्ट्रपतिजीने   आएएस ,आयपीएस  जैसे  सनदी अधिकारियोंके (गवर्नमेंट सर्वेन्ट) जनता के सेवक के नाते चयन किया है। सभी  जन प्रतिनिधी  और अधिकारी जनता के सेवक है। दोनो की मिलकर बनी है सरकार। सरकार का काम जनता की सेवा करना  है। संविधान के मुताबिक किसान और गरीब आदमी की विकास की निती बनाने के बजाय विदेशी कंपनियों को यहा बुलाकर उन कंपनियो के  विकास की निती बनवा रही है, सरकार को किसान, मजदुर, गरीब आदमी की चिंता नहीं है  जीतनी विदेशी कंपनीयोंकी है।

  
सरकार  विदेशी कंपनीयों को यंहा  बुलाकर कंपनीयो को देने के लिये किसानो की जमीन जबरदस्ती से ले रही है। किसनोने जमींन नहीं दी तो किसानो पर डंडे चलाये जाते है, डंडो से  किसान बाज  नहीं आये तो किसानों पर गोलीया चलायी जाती है और जबरन किसानो की जमीन विदेशी कंपनीयो को दी जाती है ।
   
   ऐसे  कृती से  स्पष्ट  होता है कि अंग्रोजो की हुकुमशाही और आज की सरकार मे क्या फरक है ?पानी का निजीकरण, जमींन का निजीकरण, जंगलो का निजीकरण, नदियोंका निजीकरण करके सरकार जनता की  प्राकृतिक  सम्पदा विदेशी कंपनी योको बिक्री कर रही है। यह हमारे देशके  लिए बहुत बड़ा खतरा निर्माण हो गया है। वास्तव यह है कि जनता इस देश कि मालिक है। सभी जन प्रतिनिधी और अधिकारी जनता के सेवक है। जनता (मालीक ) कि  प्राकृतिक धनसंपदा सेवकोको (सरकार ) अपने मनमर्जी से बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है। सरकारने जो भी निर्णय लेने है वह जनता की राय लेकर निर्णय लेने है, इससे स्पष्ट होता है की सरकार चलानेवाले सभी सेवक होते हुये मालिक बनकर जनता की संपत्ती को लुट रहे है। क्या इसी को हम जनतंत्र कहेंगे? यही है हमारी लोकशाही ?

  जो  सरकार  संविधान के मुताबिक गरिब, किसानो  की  नहीं सोचती ऐसे  सरकार  को सत्तामे  बैठने का कोई अधिकार नहीं है। वह संविधान के विपरीत है, जो सरकार संविधान का पालन नहीं करती ऐसे सरकार को सत्ता मे बैठने का कोई  अधिकार नहीं है, यह बात स्पष्ट हो रही है, संविधान  का पालन न करने वाली संसद को जनता ने ही भंग करने का समय आ  गया है। कारन संसद जनताने  ही बनाई है। अब पक्ष  और पार्टियों से देश के लिये उज्वल भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है, हर पक्ष और पार्टी सत्तासे पैसा  और  पैसा से सत्ता की  होड़में लगी है, आज़ादी के लिये लाखों शहीदोंके बलिदान की याद नहीं रही। समाज और देशके उज्वल भविष्य की सोच नहीं रही। सभी पक्ष और पार्टियोंने सर्व संमतिसे ऐसा कानून बनवाया है की हमारी  पार्टी के  चुनाव के खर्चा के लिये जनतासे जो पैसा (डोनेशन ) मदत मिलेगा उस पैसे से बिस (20) हज़ार  रूपया का डोनेशन का हिसाब नहीं देना है और बड़े बड़े उद्योगपतियोंसे ऐसे करोडो रुपयों का डोनेशन कही पार्टिया लेती है। उनके  बीस (20) हज़ार रुपयोके तुकडे करती है और उन टुकड़ो को बोगस  व्यक्तियौका नाम देती है और  कालाधन यही से सफ़ेद होना शुरू हो जाता है। इसको रोकना है तो सभी पक्ष और पार्टी का डोनेशन का पैसा जप्त  करके सरकारने चुनाव का खर्चा करना है। तब पक्ष और पार्टी का दुर्व्यवहार कम होगा ।


जीन  पक्ष और पार्टियों की  शुरवातही भ्रष्टाचार से होती है  ऐसी  पार्टी देश का उज्वल भविष्य कैसे बना सकती है? इस लिए  जनता ने  पक्ष और पार्टी का सोच न करते हुये जनताने ही चारित्र्यशिल  उमेदवार चुनकर ऐसे उमीदवार को अपना मतदान करना है। संसदमे चारित्र्यशिल लोग भेजनेसे देशमे परिवर्तन आ सकेगा। साथ साथ देश में गाँव, तहसिल, जिला  और राज्यस्तर पर जन आंदोलन करनेवाले करोडो लोगो का संघटन  करना होगा। आज़ादी का अर्थ स्वैराचार लगाकर चलनेवाली  सरकार पर जनशक्ती  का दबाव निर्माण करके, सरकार चाहे किसी भी पक्ष या पार्टीकी  हो सरकार गिराने की शक्ती जनसंघटनमे आ गई तो जनता कहेगी  वह सरकार को करना पड़ेगा अन्यथा सत्ता छोड़कर सरकारको जाना पड़ेगा ।





देश के युवा शक्तीने जनता  को जगाकर संघटित  करने का समय आ गया है। गाव, तहसील, जिला, राज्य स्तर पर बहुत बड़ा संघटन खड़ा करना है। मै  जनवरी से  देड साल देशभर दौरा करके हर राज्य में जाकर जनता को जगाने का प्रयास करूँगा। साथ साथ युवाको ने इस काम के लिये  आगे आना है। ऐसे युवको को अवाहन करूँगा। आज़ादी की दूसरी लड़ाई समजकर राष्र्टीय स्तर पर संघटन खड़ा करने का प्रयास देश की जनता ने सब मिलकर करना है ।


इस  अन्दोलन से जुड़ने वाले कर्यकरतोओने निचे लिखे  पते पर सम्पर्क  करना है ।



(कि .बा. उपनाम अन्ना हजारे  )


दिनांक :-21 नवम्बर 2012


पत्ता                                                                                  दिल्ली  कार्यालय 
भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन                                     इंडिया अगेंन्स करप्शन ,
मु.पो. रालेगन सिद्धी, तहशील - पारनेर,                         बी -18,सर्वोदय एनक्लयु,नियर  मदर स्कूल 
जिल्हा -अहमदनगर, पिन -414302                                हुज  खास रोड ,बारखम्बा रोड ,
पिन -414302                                                                    नई  दिल्ल्ली -110017
फ़ोन नंबर -02488 -240401,240010                                 ईमेल -annahazareofficedelhi@gmail.com
ईमेल -joinbvja@gmail.com
वेब साईट -joinannahazare.org.in



आन्दोलन  को आर्थिक सहयता करने के लिए  निचे दिए हुए -- Bank Details:-


Name :- India Against Corruption
Bank Name :- Bank Of India
Branch Name :- Hauz Khas C&P Banking
Address :-G-1, Hauz Khas Enclave,Mehrauli Road, New Delhi
A/C No-  600520110000486
IFSC Code :- BKID0006005
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इसपर आप अपनी आर्थिक सहायता चेक या डिमांड ड्राफ्ट से दे सकते है । 


  
   
  

  
    





   

    



Saturday 3 November 2012

संविधान का पालन ना करनेवाली सरकार को 
सत्ता में रहनेका कोई अधिकार नहीं... संसद को भंग करो।

26 जनवरी 1950 के दिन हम भारतीयों ने पहला प्रजासत्ताक दिन मनाया, उस दिन देश में प्रजा की सत्ता आ गई। प्रजा इस देश की मालिक बन गई। सरकारी तिजोरी में जमा होनेवाला पैसा जनता का हैं, देश की प्राकृतिक संपदा जनता की संपदा हैं।
चूं कि सभी जनता तिजोरी का पैसा और देश की प्राकृतिक संपदा का सही नियोजन नहीं कर सकती हैं, इस लिए संविधान के मुताबिक जनता ने प्रजातांत्रिक ढंग से राज्यों के लिए एमएलए और केंद्र के लिए एमपी को अपने सेवक के नाते चुन कर विधानसभा और लोकसभा के लिए भेजा। राष्ट्रपति जी ने आयएएस, आयपीएस, आयएफएस जैसे सनदी अधिकारियों का चयन कर के (गव्हर्नमेंट सर्व्हंट) जनता के सेवक के नाते नियोजन करने के लिए भेजा हैं। भारत एक लोग कल्याणकारी राज होने के कारण जनता ने चुन कर भेजे जन प्रतिनिधी और राष्ट्रपति जी ने भेजे हुए सनदी अधिकारी इन की मिल कर बनी सरकार। संविधान के मुताबिक सरकार चलाने वाले लोगों ने देश के आम आदमी की रक्षा करनी हैं। सरकार हर नागरिक के बेहतरी के लिए प्रयास करने के लिए वचनबद्ध हैं।

देश की जनता की तरफ से संविधान को संसद में रखते समय शुरू में कहा हैं कि "हम भारत के लोग" संसद से अपेक्षा करते हैं कि, देश में सामाजिक, आर्थिक विषमता ना बढे, जाति पाँति का भेदभाव ना रहते हुए एकात्मिक भारत रहे। मानवता और प्रकृति के शोषण विना विकास हो। कारण भूगर्भ और भूपृष्ठ की संपत्ती के शोषण से कभी ना कभी देश का विनाश होगा।

संविधान में जनता और देश की भलाई के लिए कई बातें कही गई हैं, उनका सही पालन करना सरकार का कर्तव्य है और जिम्मेदारी भी हैं। यह स्पष्ट दिख रहा है कि सरकार संविधान का पालन नहीं कर रही हैं, सामाजिक विषमता बढती गई हैं, कई लोग सिर्फ खाने के लिए जी रहे हैं, तो कई लोग जीने के लिए खा रहे हैं, कई लोग क्या क्या खाऊं इसलिए जी रहे हैं, तो कई लोग क्या खाऊं इस चिंता में जी रहे हैं। गरीब और अमीर का फासला बढता जा रहा हैं।

समाज में जाति पाँति का भेदभाव ना रहे इसका सरकारने प्रयास करने के बजाए वोट हासिल करने के लिए चुनाव में जाति पाँति का जहर फैलाया जाता हैं, आम आदमी की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य हैं, लेकिन आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया हैं। कृषि प्रधान भारत में आजादी के 65 साल के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या करनेवाले एरिया के लिए सरकार पॅकेज देती हैं। सिर्फ हम ही किसानों की मदत कर रहे हैं, ऐसा बता कर जनता को भ्रमित किया जाता हैं, पॅकेज का पैसा किसानों तक नही जा रहा हैं।

सरकार को किसानों की चिंता तो नही हैं, लेकिन विदेश से बुलाई हुई निजी कंपनी की चिंता जादा हैं। राज्यों में विदेशी निजी कंपनीयों के लिए सरकार रास्ते, पानी, बिजली की विशेष सुविधा करती हैं और किसानों की जमीन जबरदस्ती से लेती हैं। किसानों ने अगर विरोध किया तो किसानों पर डंडे चलाती है, कभी कभी गोलियाँ भी चलाती है। क्या यही है हमारा प्रजातंत्र ? यही है लोकशाही ? अन्याय पूर्ण गोरे अंग्रेज और आज की सरकार में क्या फरक रहा ? 

सरकार नदियाँ व जल स्रोतों का निजी करण कर रही हैं। इस कारण देश की बारहो मास पानी बहाने वाली नदियाँ आज सूख गई हैं। खदानों के नाम पर जंगलों को निजी कंपनियों को बेचा जा रहा हैं और सैकडो सालों से जंगलो में रहने वाले आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा हैं। वन विभाग की हजारो हेक्टर जमीन गायब हुई हैं। उसका कोई रिकार्ड सरकार के पास नही मिल रहा है, जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर देश के गरीब आदमी का सरकार के प्रति भरोसा ही खत्म हो गया हैं। भूगर्भ और भूपृष्ठ के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर के किया हुआ विकास तो शाश्वत विकास नही है। कभी ना कभी एक दिन विनाश होगा। इस बात को जानते हुए भी सरकार उस पर गंभीर नही हैं।

निजी कंपनीयों से हमारे देश के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण होता जा रहा है, वह पर्यावरण को गंभीर खतरा हैं। प्रकृति का जितना दोहन होगा उतना यहाँ की हवा, जमीन, पानी दूषित होगा और हो रहा हैं। आगे करोडो रुपया खर्च करने पर भी उसमें सुधार नही आयेगा। आगे आनेवाली हमारी संतान का क्या होगा ? हमारे पंतप्रधान मनमोहन सिंह जी कहते हैं, देश की अर्थ नीति में बदलाव के लिए निजी कंपनीयों का देश में आना जरुरी हैं। सुना था कि पंतप्रधान मनमोहन सिंह जी पर महात्मा गांधीजी के विचारों का प्रभाव हैं, और महात्मा गांधीजी कहते थे, देश की अर्थ नीति बदलनी है तो गांव की अर्थ नीति बदलनी होगी। जब तक गांव की अर्थ नीति नही बदलती तब तक देश की अर्थ नीति नही बदलेगी। महात्मा गांधीजी और मनमोहन सिंह जी के विचारों में कितना विरोधाभास हैं।

वास्तव में देश की मालिक यदि जनता है, तो प्राकृतिक संसाधनोंके बारे में कोई भी निर्णय लेना हो तो वह जनता का हक है। सरकार ने निर्णय लेने से पहले जनता की मान्यता लेना जरूरी है। सभी अधिकार ग्रामसभा को कानून से देना जरूरी हैं। संविधान के तहत सरकार को यह दायित्व सौंपा गया है कि देश में जो भी वंचित हैं, जैसे दलित हैं, आदिवासी हैं, मुसलमान है, मछुआरे, पिछडे हुए हैं ऐसे लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए अच्छी नीतियाँ बनानी हैं। लेकिन आज इन लोगों पर अन्याय होता है। इस कारण सरकार के प्रति जनता का विश्वास उठ गया है। आज किसान और पिछडे वर्ग के हित में नीतियाँ ना बनाते हुए निजी कंपनीयों की हित रक्षा करनेवाली नीतियाँ सरकार बनाई जा रही हैं।

देश के अधोगति की जड है बढता भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार के कारण महंगाई बढ गई है। उस कारण सामान्य आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। देश के विकास काम पर होने वाले खर्च में से एक रुपये में से दस पैसा भी विकास काम पर नही लग रहा हैं। विशेष तौर पर जब सरकार चलानेवाले खुद ही भ्रष्टाचार करने लगे तो भ्रष्टाचार कैसे रुक सकता है ? कोयला घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, खेल घोटाला, एअर इंडिया घोटाला इस प्रकार सरकार के कई घोटाले बाहर आ गए हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कानून बनाना जरूरी है। इसी लिए जनलोकपाल कानून को लाने के लिए देश के करोडो लोग रास्ते पर उतर गये थे।

लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सरकार की नीयत ही साफ ना होने के कारण सरकार ने अब तक कानून नही बनवाया। देश की जनता रास्ते पर उतर गई थी। उस वक्त कोई चुनाव नही था, इस लिए सरकार को कोई डर नही लग रहा था। अब 2014 में चुनाव आ रहे हैं। अब जनलोकपाल, लोकायुक्त, जनता की सनद, ग्रामसभा को ज्यादा अधिकार, दफ्तर दिरंगाई जैसे कानून बनाने हैं। ऐसे कानून बनाने की चाभी जनता के हाथ में हैं। कानून बनवाने के लिए गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर बहुत बडा जन संगठन बनाना पडेगा। इसलिए देश भर में एक अच्छा संगठन खडा करने के लिए भ्रष्टाचार के विरोध में लडने वाली देश की जनता  http://www.joinannahazare.org.in इस वेबसाईट पर जा कर फॅार्म भर कर जुडने का प्रयास करे। जब देश की जनता संगठित हो कर करोडों की संख्या में लडने के लिए रास्ते पर आएगी तो राजशक्ती पर जनशक्ती का दबाव निर्माण होगा और सरकार को देश का भ्रष्टाचार मिटाने के लिए या तो कानून बनाने पडेंगे अन्यथा सत्ता से जाना पडेगा। मैं 30 जनवरी से देश की जनता को जगाने का प्रयास करुंगा। 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने सिर्फ चारित्र्यशील सेवाभावी उम्मीदवार का चयन कर उसे संसद मे भेजना हैं। जनता ने देश भर में संगठित हो कर सरकार पर दबाव निर्माण करना होगा।

देश भर में घूम कर देश की जनता को जगाने का प्रयास करुंगा। 2014 तक जनता को यह भी बताऊंगा कि 2014 के चुनाव में पक्ष और पार्टी को ना देखते हुए सिर्फ चारित्र्य शील उम्मीदवार को ही जनता ने चुनना हैं। जनता ने चुना हुआ उम्मीदवार सेवाभावी है, या नही हैं इसकी जाँच आंदोलन के माध्यम से की जाएगी। देश में गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर जन संगठन खडा होगा। आने वाले देड साल में करोडों लोग संगठन से जुडने की संभावना हैं। ऐसे जन संगठन से राजश्क्ती पर जनशक्ति का दबाव निर्माण कर देश में संपूर्ण परिवर्तन लाना हैं। आगे 20-25 साल तक यह प्रक्रिया देश में चालू रहेगी। साथ साथ आंदोलन के स्वयंसेवक कार्यकर्ता ग्रामविकास का कार्य भी कई गावों में शुरू करेंगे। ग्रामविकास और ग्रामविकास में लगा भ्रष्टाचार का परकोलेशन रोकना ये दोनो बाते करने से ही देश को उज्वल भविष्य मिल सकता हैं। आज देश में हर बच्चा जनम लेते समय 20-25 हजार रुपयों के कर्ज की गठरी अपने सर लेकर जनम रहा हैं। उस बच्चे का कसूर क्या हैं ? इस लिए देश के हर नागरिक ने आंदोलन में शामिल होना हैं।

आंदोलन में शामील होने वाले कार्यकर्ताओं ने जनता को जगाने के लिए निम्न तीन बातों पर ध्यान देना हैं और जनता में उनका प्रचार-प्रसार करना हैं-
1) जनता ने पक्ष, पार्टी को ना देखते हुए सिर्फ चारित्र्यशील उम्मीदवार को अपना मतदान करना हैं।
2) राजशक्ति पर जनशक्ति का दबाव निर्माण करने के लिए चारित्र्यशील कार्यकर्ताओं का गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर संगठन खडा करना हैं।
3) फिल हाल चुनाओं में जो 50% मतदान होता है और 18% से 20% प्रतिशत मतदान पानेवाले चुनकर आ कर जनता पर राज करते हैं। यह लोकशाही सही नही। इस लिए चुनाव में होने वाले मतदान को लोक शिक्षा और लोक जागृति के द्वारा 85% से 90% प्रतिशत पर कैसे ले जाया जाय इसलिए प्रयास करना हैं।
हर नागरिक ने प्रतिज्ञा करनी है कि "मैं भारत माँ की शपथ लेकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं रिश्वत ना लेते हुए सिर्फ चारित्र्यशील उम्मीदवार को ही मेरा वोट दुंगा।"

इन बातोंसे देश में बदलाव आ सकता हैं। यदि युवक प्रयास करे तो बिल्कूल असंभव नही हैं। क्यों कि युवा शक्ति ही राष्ट्र शक्ति हैं। यदि देश की युवा शक्ति जाग जाए तो समाज और देश का उज्वल भविष्य दूर नहीं हैं। युवकों ने शहिद भगतसिंग, राजगुरू और सुखदेव जैसे लाखो लोगों की कुर्बानी की याद रखकर देश के लिए और देश की जनता के लिए समय निकालना हैं।
जय हिंद, जय भारत।



कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे.
रालेगणसिद्धी,
3 नवम्बर 2012

Join Anna's  Movement against corruption... 
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Thursday 18 October 2012


Jan Lokpal and Corruption Free India : Agitation  to be launched in
January 2013 From Gandhi Maidan, Patna (Bihar) in January 2013

The preparations to launch a nation-wide movement for Jan Lokpal and Corruption Free India are at finishing stage, organizing the karykartas all over India is an important task at this juncture which is being achieved using latest information technology tools. Preparations are going ahead at a great pace and with enthusiasm.
Ever-increasing corruption is a great concern for our country men. In addition, price rise (which is, in a way, an offshoot of corruption) has made it very difficult for the common man to survive.     
The year 2011 was a landmark year which witnessed two outsized sessions of anti-graft movement. In the month of April and August this year, for agitations held at Jantar-Mantar and Ram Leela Maidan respectively; people gathered in phenomenal numbers and also turned out in large numbers on the streets. Post independence, this proved to be a unique movement against corruption which achieved a significant mass awakening throughout the country. However, irrespective of people’s response to the movement, effective Jan Lokpal still remains a dream to come true due to the ill intentions of the central government.
Although the parliament failed to enact stringent law against corruption; our movement against corruption has awakened all citizens across the country. At Ralegan Siddhi, we are receiving letters from all over India wherein thousands of youth are expressing their strong will to actively participate in the movement, offering to dedicate their lives for the cause. In additions, many retired IAS, IPS, IRS, Military Officers and high profile people have also expressed their willingness to join the movement.
I am thoroughly overwhelmed to experience such a response from my fellow Indians! These days, while many important movements in this country are suffering from lack of karykartas, this movement is getting an over-sized, self-instigated response from people in terms of number of such karykartas. I do not know whether it is merely a consequence or it is God’s own determination to take up this work ahead. In view of this response, we have considered it important to make use of modern information technology to ensure a better connectivity.  Through this technology support and networking, we will be able to communicate unto the village level grass root swayamsevaks (volunteers) of this movement. We will take up this movement ahead with a better organization of people.
I am sure, in India, revolution is round the corner. Experience of last 65 years of Indian Independence shows that not the political force; but the people’s force brings revolution. People’s control on political force is a prerequisite for bringing up the change.
The nation has waken-up now; so also the youth. The government is not afraid of people coming to streets when the elections are not ahead, but yes, with a fear of losing power, it gets afraid of people coming on streets when elections are ahead, round the corner.
The pressure of people’s movement on governing forces is most important aspect and electing good candidates to represent people is important too. To ensure that people elect only good character candidates, we will have to create awareness to such extent where people themselves are determined to do so. The voters of entire country will have to take adored bharat mata’s oath and decide firmly not to succumb to direct-indirect inducements offered by corrupt candidates, not to consider caste and creed, and elect only good character people to represent them. Starting from January 2013 till the general elections of the year 2014, we will work hard to build such awareness in this regard in the wake of which the government will be forced to take effective steps for public causes such as Jan lokpal, Right to Reject, Right to Recall, Powers to Gram- Sabhas, people’s Right to Service, Citizen’s Charter, Lokayuktas at States, etc. We will have to work hard for Peoples Organisation and Peoples Education for which the volunteers all over the country are ready now.  
For some time, the movement was held back due to my eye surgery, however, now I am in a cherishing health and have got back to planning and spearheading of the movement with my colleagues. We have decided that I will start rallying the country from January 2013. The re-organized movement will begin from Gandhi Maidan in Patna, Bihar, the same place from where loknayak Shri Jayprakash Narayan-ji had started his historic movement. We will travel across India and will form organization to fight against corruption.
In order to spread this movement across the country, it is important to use modern  information technology techniques for better communication.   I had held a meeting with a group of around ten IT experts on the 14th of this month at Ralegan Siddhi. We discussed ways in which the internet, website, social websites, blogs, SMS and such other currently prevalent / popular means of communication could be utilized to snowball this movement. These experts assured me that they will continue to dedicate themselves to this movement always.
In about week’s time, we will facilitate online registration for people wanting to be a part of this movement. People/volunteers who wish to associate themselves to this movement can contact us on the address and email address provided at the end of this blog.
There is distress among our people regarding corruption, inflation, issues of farmers and workers, more so about education, health, and environment along with exploitation of natural resources as well as humanity. In this scenario, the struggle to bring a change is long-lasting, challenging and difficult, however I completely believe that we can bring about this change by joining hands and creating awareness about this common cause and make this movement a huge success.


(K.B. alias Anna Hazare)
Ralegansiddhi (Maharashtra)

18th October 2012

Contact No. 02488 240401, 240010.
Address : Ralegansiddhi, Tal - Parner, Dist - Ahmednagar, PIN - 414302. 



जन लोकपाल एवं भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिये लडाई
जनवरी २०१३ में बिहार के गांधी मैदान (पटना) से शुरू होगी

समुचे देश को सम्मिलीत कर भ्रष्टाचार-मुक्त भारत एवं जन लोकपाल की लडाई शुरू करने की तैय्यारीया अंतिम चरण में है& देशभर में लोगोंको इकठ्ठा करना इस लडाई का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है& जिसे साध्य करने हेतू आधुनिक सूचना तंत्रज्ञान का इस्तेमाल करना शुरू हुआ है& आंदोलन की तैय्यारिया अब बडे जोर एवं उत्साह के साथ शुरू हुई है& 

देशमे लगातार बढतें भ्रष्टाचार के चलते आम आदमी का रोज-मर्रा का जीना मुश्कील हो रहा है& इसके साथ ही बढती महंगाई (जिसका सबसे महत्वपूर्ण कारण भ्रष्टाचार ही है&) ने आम आदमी को पुरी तरहसे परेशान कर रख्खा है&

पुरे देश को अवगत है की वर्ष २०११ के एप्रिल माह में जंतरमंतर पर हुआ आंदोलन एवं उसके बाद ऑगस्ट माह में हुये रामलीला मैदान आंदोलन के दौरान देश के करोडो लोग रस्ते पर उतर आये और आंदोलन ने विशाल रूप धारण किया& स्वाधीनता के ६५ साल बाद जो अभूतपूर्व आंदोलन देशवासिंयोंने किया उससे भ्रष्टाचार के विरोध में विशाल जन-जागरण हुवा, जो अन्यथा करोडों रुपये खर्च करनेसे भी शायद संभव नही था& जन लोकपाल कानून एवं भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के निर्माण को लेकर सरकार की नियत साफ न होने के कारण एवं जन लोकपाल कानून बनाने की सरकार की मंशा नही होने के कारण अबतक कानून नही बन पाया&

कानून नही बन पाया, आपितु; देश के शहर एवं गावोंको इस आंदोलन ने पुरी तऱह सें जगाया  जरूर है& देशके हर राज्य के हर जिले एवं हर तालुके सें कईं हजार युवा कार्यकर्तांओ ने राळेगणसिद्धि पत्र भेज यह इच्छा जताई की वो इस आंदोलनसें जुडना चाहते है& एवं अपना जीवन इस कार्य मे समर्पित करना चाहते है& साथ ही साथ सेंकडो सेवानिवृत् आयएएस, आयपीएस, मिलिटरी ऑफिसर्स और अन्य उच्चतम अधिकारीओं ने हमे पत्र लिख आंदोलन सें उनको जोडने की उनकी इच्छा जताई है& 

लोगोंके इस प्रतिसाद सें मै भाव-विभोर हुं, जानता नहीं की यह अपने आप मे महज एक संयोग है या स्वयं ईश्वर की ही इच्छा है की यह कार्य अब कामयाब हो जाए& इन दिनो जहां एक तरफ देश मे आंदोलानोंको कार्यकर्ताओं की खोज करनी पड रही है, वहीं दुसरी तरफ इस आंदोलन मे शामिल होने के लिये लोग स्वयं-प्रेरणा सें तैयार हो रहे है& देश मे परिवर्तन लाने की दृष्टीसे यह बेहद महत्वपूर्ण है& और हमने इस स्थिती के मद्देनजर यह आवश्यक समझा की आधुनिक सूचना तंत्रज्ञान का उपयोग कर इन सभी कार्यकर्ताओं के साथ देश मे करोडों कार्यकर्ताओं को भी आंदोलन सें जोडा जा सकता है& कई हजार कार्यकर्ताओं की संख्या एक ही वर्ष में एक करोड तक पहुंच सकती है& इस प्राद्यौगिकी (तंत्रज्ञान) आधार सें हम राज्य-स्तरीय, जिला-स्तरीय, तालुका-स्तरीय, गाव-स्तरीय कार्यकर्ताओं का नेटवर्किंग कर उनसे आवश्यकता के अनुरूप जब चाहे चर्चा एवं विचार-विमर्श कर सकते हैप्रभावी जन संघटन के निर्माण सें सरकार का बंद मुंह खोला जा सकता है& मुझे अनुभव हो रहा है की देश मे परिवर्तन का समय समीप आ चुका है&   
    
स्वाधीनता के ६५ सालोंका अनुभव ज्यादातर यही दर्शांता है की राजशक्ती नहीं, जनशक्ती ही देश के परिवर्तन को संभव बनायेगी& राजशक्ती पर जनशक्ती का अंकुश (नियंत्रण) जब तक निर्माण नही होगा तब तक परिवर्तन संभव नही है&

आज देश जाग गया है, देश का युवक जाग गया है, जनता जाग गई है& सरकार अगर किसी बात सें डरती है& तो वह डर है सत्ता सें बाहर होने का डर! चुनाव ना होने के समय लोग रस्ते पर उतरते है तो सरकार डरती नही, हां चुनाव के नजदीक सत्ता का परिवर्तन करने लोग रस्ते पर आते है तो सरकार जरूर डरेगी&

जनशक्ती का राजशक्ती पर दबाव होने के साथ ही संसद मे चरित्रवान लोगोंका जाना जरुरी है& इसे साध्य करने हेतू लोगोंको संकल्पबद्ध करना होगा& पुरे देशके मतदाताओं को भारत माता की शपथ लेकर प्रतिज्ञा करनी होगी की वे किसी प्रलोभन को लेकर वोटिंग नही करेंगे एवं जाति-धर्म-वंश-पैसा इन को नजरअंदाज कर केवल चरित्रवान लोगों को ही चुनाव मे विजयी बनाये& २०१४ मे होनेवाले आम चुनावों तक हम देशभर में जन-जागरण करेंगे जिसके चलते सरकारको जन लोकपाल के साथ साथ राईट टू रिजेक्ट, राईट टू रिकॉल, ग्रामसभा को अधिकार, दफ्तर दिरंगाई कानून, सिटीझन्स चार्टर, राज्योंमे लोकायुक्त जैसे जनहितैषी मामलों मे सही फैसले लेनेही होंगे& जन-संघठन एवं जन-शिक्षण के लिये आनेवाले दिनों कडी मेहनत करनी पडेगी जिसके लिये देशभर के कार्यकर्ता तैय्यार रहे&

मेरी आंख के ऑपरेशन के कारण पुरे देशभर जन जागरण मुहीम शुरू करनेमे देर हुई& अब मै एकदम अच्छे स्वास्थ्य मे मुहीम की योजना बनाने में मेरे सभी साथीयोंके साथ पुरी तरह सें जुट गया हूँ& अब हमने तय किया है की जानेवारी २०१३ सें मै पुरे देश भर घुमना शुरू करूंगा, आंदोलन की शुरुवात करूंगा& इस आंदोलन की शुरुवात गांधी मैदान, पटना (बिहार) सें शुरू होगी; ठीक वहीं से, जहांसे लोकनायक जयप्रकाश नारायणजी ने अपने आंदोलन की शुरुवात की थी& मै और मेरे साथी देशके विभिन्न राज्योमे जायेंगे एवं दिल्ली सें लेकर देश के हर गाँव मे भ्रष्टाचार के खिलाफ लडने के लिये संघठन बनायेंगे&

इस आंदोलन को पुरे देश मे फैलाने हेतू सूचना प्राद्यौगिकी के इस्तेमाल की योजना बनाने के लिये मैने विगत १४ तारीख को दस विषेशज्ञों सें राळेगण मे एक मिटिंग की है& इंटरनेट, वेबसाईट, सोशल वेबसाइट्स, ब्लॉग, एसएमएस जैसे आज के युग के संपर्क-साधनोंका पुरे देश तक पहुंचने के लिये कैसा इस्तेमाल हो इसपर दीर्घ बहस हुई& सभी विषेशज्ञों ने भरोसा दिलाया है की वे इस कार्य मे हमेशा के लिये, समर्पित भाव सें जुट जायेंगे&

एक हफ्ते के अंदर अंदर एक ऑन-लाईन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध की जायेगी जिसके माध्यम सें लोग आंदोलन मे उनके सहभाग की रजिस्ट्रेशन ऑन-लाईन कर सकेंगे& वे सभी कार्यकर्ता जो इस आंदोलन मे जुडना चाहते है, निचे दिये गये पते एवं ई-मेल पर संपर्क कर सकते है&

भ्रष्टाचार, महंगाई, किसान एवं कारगीरों के अपने प्रश्न, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण के क्षेत्र मे दिन-प्रतीदिन बढती अस्वस्थता, प्राकृतिक संसाधन एवं मानवता का शोषण इन सभी मुद्दोको लेकर हमारा देश अस्वस्थ है& इस स्थिती मे परिवर्तन की लडाई कितनी भी दीर्घ और मुश्कील क्यो न हो, हम सब मिल जूलकर, संघठन एवं जन जागरण के माध्यम सें उसे कामयाब जरूर  बनायेंगे&  



कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे.
रालेगणसिद्धी,
18 अक्तुबर 2012

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Sunday 7 October 2012

पार्टियों द्वारा जनता से वसूला चंदा जप्त करें,
चुनाव का संपूर्ण खर्च सरकार वहन करे
इस हेतु एक नया कानून बनाया जाए...
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शक्त कानून बनाने और उनके कारगर कार्यान्वयन से बढते भ्रष्टाचार पर काबू पाने और आम आदमी को राहत दिलवाने के लिए पिछले बीस वर्षों से आंदोलन के माध्यम से लगातार कोशिश किए जा रहा हूं।

सूचना का अधिकार जनता का मौलिक अधिकार है। लगातार दस वर्ष तक धरना, मोर्चा, अनशन आदि से जनशक्ती का दबाव बन पाया। फलस्वरूप महाराष्ट्र में सन 2002 तथा केंद्र में सन 2005 में सूचना का अधिकार कानून बन गया। इस उपलब्धी के नतीजे अब दृष्यमान हो रहे है।

टीम अण्णा द्वारा बनाये गए मसौदे के अनुसार यदि जनलोकपाल कानून बन जाए तो भ्रष्टाचार को रोकना संभव होगा। इस कानून के बनाने के लिए पिछले दो वर्षों में बारम्बार अनशन हुए, करोडों की तादाद में जनता सडकपर उतर आई, पर... ? सरकार की तो नीयत ही नही है कि देश भ्रष्टाचार मुक्त बने। कैसे बनेगा जनलोकपाल कानून ?

विधानसभा और लोकसभा विधी विधान बनाने के लिए ही बनी है। हर सांसद और विधायक का कर्तव्य बनता है कि समाज व राष्ट्र के हित में अच्छे कानून बनायें। जनता ने उन्हे इसलिए तो चुना हैं और अपने सेवक के रूप में संसद भेजा है। किन्तु धन व सत्ता के मद में चूर यह सरकार अपना दायित्व ही भूल चुकी हैं। और इसी कारण भ्रष्ट व्यक्तियोंके सहारे, उन्ही को साथ ले कर सरकार टिक पाई हैं। न उन्हे अहसास हैं, न फिक्र कि अपने कारण देश व समाज को अधोगति की खाई में धकेला जा रहा हैं।

ऐसी सत्ता किस काम की... कि जिस सत्ता से न तो समाज का, न ही राज्य या राष्ट्र का भला हो पाए ? अब जनता ही को सोचना होगा। जनलोकपाल की मॉंग में करोडो की तादाद में इस देश की जनता सडक पर उतर आई, तेरह दिन अनशन हुआ, फिर भी सरकार मुकर गई। अगले चुनाओमें ऐसे सांसदों को अपना मत नही दे कर उन्हे संसद में प्रवेश करने से जनता को रोकना होगा। यदि वे फिर से सांसद बन जाएंगे तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल, राईट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा, जनता की सनद जैसे कानून कभी नही बन पाएंगे। वे नही चाहते कि अपना भारत देश कभी भ्रष्टाचार मुक्त बने।

दुर्भाग्य की बात हैं कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सशक्त जनलोकपाल कानून बनाने के बजाय सरकार जनता को अनशन करने को मजबूर करें। उस से भी बढ कर दुर्भाग्य हैं, सरकार का आंदोलन कारियों पर  किचड उछालना। मुझे तिहाड जेल में भेजा गया। किस अपराध में ? क्या इसी को हम प्रजातन्त्र कहेंगे ? फिर हमारी सरकार और अँग्रेजों की हकूमत में फर्क ही क्या रहा ? क्या ऐसी तानाशाही प्रवृत्ति के लोगों को हम फिर से सांसद बनाएंगे ? जनता ही को सोचना हैं। क्यों की ये भ्रष्ट तानाशाह. ये गुण्डे संसद में खुद चलके नही गए, हमीं ने तो उन्हे चुन कर भेजा हैं - अपना सेवक बनाकर, देश के उज्वल भविष्य बनाने के लिए!

लोकशाही के लिए सबसे बडा खतरा अगर है तो वह हैं लालच के वशीभूत मत देने की प्रवृत्ति। जब तक मतदाता प्रलोभन की लालच में मत देते रहेंगे तब तक इस देश में से भ्रष्टाचार का हटना असम्भव है। भ्रष्टाचार को हटाने शुरुआत खुद अपने से करनी होगी। न मैं खुद भ्रष्टाचार करुंगा, न ही किसी और को करने दुंगा। ऐसा निर्धार - ऐसी प्रतिज्ञा से यदि हर कोई डट कर प्रयास करे तभी कुछ आशा बन पाएगी। लालच के वशीभूत हो कर प्रलोभन स्वीकारना और बदले में भ्रष्टाचारी गुण्डे, लुटेरों को मत देना तो खुद ही रिश्वत ले कर भ्रष्टाचार करना है। आगे चल कर उन्हे और भ्रष्टाचार करने के मौका मुहैय्या करवाना हैं। यही हमारी भेडचाल रही तो कैसे मिटेगा इस देश का भ्रष्टाचार ?

जनतंत्र का मूलाधार - जागृत मतदाता
इस देश में बदलाव लाने के लिए जरुरी हैं कि कोई भी मतदाता अपना मत अपराधी-भ्रष्टाचारी प्रत्याशी को कतई न दे, केवल चरित्र्यवान उम्मीदवार को ही अपना मत दें। कोई भी इन्सान जन्म से बुरा नही होता हैं। कुछ परिस्थितीयॉं उसे वैसा बनाती हैं। आज की राजनीति के ये मोहरे जन्म से ही बुरे नही पैदा हुए। चुनाव तंत्र ही कुछ ऐसा बनाया गया हैं कि इन्सान को वह भ्रष्ट बना देता हैं। सभी पार्टियों ने आपसी मिलीभगत से एक कानून बनाया हैं कि जनता द्वारा दी गई दान राशि में से बीस हजार रुपयों से कम रकम का हिसाब रखना जरुरी नहीं हैं। कई पार्टियॉं करोडो रुपया जमा करती हैं और उन्हे बीस हजार के टुकडों में बॉंटकर हिसाब के चंगूल से बच जाती हैं। फर्जी नामों के जरिये यह काला धन सफेद बन जाता हैं। यही से शुरू होता हैं राजनैतिक पार्टियों का भ्रष्टाचार। आरम्भ ही भ्रष्टाचार करनेवाले नेता गण देश की जनता को क्या नीति का, चरित्र का पाठ देंगे ? ऐसी राजनैतिक पार्टियों से भ्रष्टाचार मुक्त भारत की उम्मीद करना फिजूल हैं।

तगडे धन संग्रह के बल पर मतदाताओं को आकृष्ट करने हेतू कई प्रलोभन दिये जाते हैं। और वही लोग जब चुने जाते हैं तब सत्ता हासिल कर शासकीय यंत्रणा में से भी जनता का पैसा हडपते हैं। कुछ भले लोग भी ऐसे में गलत रास्ता अपना लेते हैं। धन सत्ता और बाहूबल के जरिये आज की कुछेक पार्टियॉं इतनी ताकदवर बन बैठी हैं कि कोई अकेला व्यक्ति न ही उनके खिलाफ चुनाव लड सकता हैं, जीत पाना तो दूर की बात। गलत तरिकों से बनी विना परिश्रम की अपार संपत्ती के धनी ये बाहुबली मुंह मॉंगी किंमत चुका कर राजनैतिक पार्टियों से उमीदवार हसिल करते हैं। और चुने जाने पर घूस भी मॉंगते हैं। और जनता की तिजोरी में सेंध भी लगाते रहते हैं। तनिक भी अहसास नहीं हैं उन्हे कि एक न एक दिन उन्हे भी मौत आनी हैं और सब कुछ यही पर छोड जाना पडेगा। न ही उन्हे उन लाखों शहीदोंकी कुरबानी याद हैं जिन्हो ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण निछावर कर दिए।

पार्टियों का मकसद हैं मताधिक्य प्राप्त करना और सत्ता हासिल करना। तो बजाय प्रत्याशी के चरित्र का, प्रामाणिकता का, योग्यता का विचार किये, मात्र यह देखा जाता है कि क्या वह प्रत्याशी पर्याप्त धनराशि खर्च कर चुनाव जीतने की काबिलियत रखता है ? अपराध जगत के इन बाहुबलियों की धन शक्ती व बल के आगे कई अच्छे चरित्रवान कार्यकुशल उम्मीदवार हार जाते हैं। सुनने में तो यों भी आया है कि सत्ता स्थानो पर विराजित कुछेक लोगों के अपराध जगत के गैंगस्टरों के साथ सीधे संबंध हैं। और उसिके बल बुते पर राजनिती में उनका प्रवेश और अस्तित्व बना रहता हैं। आज की राजनिती के इस परिदृष्य को देखते हुए देश के उज्वल भविष्य की उम्मीद नही के बराबर हैं। राजनैतिक पार्टियॉं जब तक चरित्रवान प्रत्याशियों को टिकट दे कर उनको चुन कर नही लाती तब तक कोई उम्मीद नही हैं। अब तो यह भी बात आम हो गई हैं कि कोई नेता या मंत्री यदि भ्रष्टाचार के कारण किसी पार्टी से निकाला जाता है तो दुसरी पार्टी उनका अपनी पार्टी में स्वागत करने को पलक पॉंवडे बिछा कर तैयार बैठी होती हैं।

चुनाव जीत कर करीबन डेढ सौ से जादा दागी सांसद आज की संसद में बैठे हैं। कई संगीन अपराधों के इल्जाम में उन पर मुकदमे दायर हो चुके हैं। मंत्री मंडल के 15 मंत्रीयों पर संगीन आरोप हैं। यह भी स्पष्ट होने लगा हैं कि ये आरोप तथ्यहिन नही हैं। आज की राजनीति में राष्ट्र की अपेक्षा पक्ष को.... और पक्ष की अपेक्षा व्यक्ति को अहमियत दी जा रही हैं। प्रजातंत्र के लिए यह गंभीर खतरा हैं। पक्ष नेतृत्व की अपेक्षा व्यक्ती का माहात्म्य बढ चला हैं।

भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए गये मंत्री या नेता से पल्ला झाडने के बजाय समुची पार्टी उसके व पार्टी के बचाव में हर संभव प्रयास करती दिखती हैं। हमारे देश में कानून आधारीत व्यवस्था हैं। न्याय पालिका का स्थान सर्वोपरि हैं। कानून अपराधी तो निश्चित कर देता है लेकिन कमजोर कानून के कारण रिश्वत लेने और देने का दरवाजा खुल जाता हैं। कई बेशरम सरकारी मुलाजिम खुले आम... आम आदमी से घूस मॉंगते हैं। सरकार में जहॉं देखो वहॉं सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार पनम रहा हैं। सशक्त कठोर कानून बनाकर सख्ती से कार्यान्वयन के बगैर भ्रष्टाचार को रोकना संभव नहीं हैं।

समय आया है कि इस देश की मालिक जनता अब जाग जाए, संगठित हो जाए और पक्ष-पार्टी और पक्षाधारित सरकार की संकल्पना को ही नकार दे। इसके लिए जरुरी है कानून में संशोधन और उन पर सख्ती से अमल। अब हमारे देश की गणना दुनिया के समृद्ध देशों में होती हैं। मगर यह भी वास्तविकता हैं कि इस देश का देशवासी दुनिया के गरीबों में भी गरीब है। यह चित्र भ्रष्टाचार से भी भयावह हैं। फलस्वरूप स्वाधीनता के 65 वर्षों बाद भी हमारे देश का किसान खुदकुशी करने को मजबूर हैं। 

अब यदि परिवर्तन लाना हो तो हर मतदाता को जागना चाहिए। केवल चरित्रवान व्यक्ती को ही अपना मत दें। गुण्डे, लुटेरे, व्यभिचारी, भ्रष्टाचारी प्रत्याशी को अपना मत कदापि न दे। देश की जनता को जगाने के लिए जन आंदोलन, लोकशिक्षण - लोक जागृति करना जरुरी हैं। मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र, हरियाना, उत्तर प्रदेश के क्षेत्रो में जहॉं आंदोलन द्वारा लोक शिक्षण हो पाया, वहॉं अच्छे परिणाम नजर आते हैं। जरुरी है कि जनता राष्ट्रीय स्तर पर संगठित हो जाए और चुनाव पद्धती को बदलने के लिए सरकार पर दबाव बनाये। चुनाव का पुरा खर्चा सरकार द्वारा ही किया जाए तथा पार्टियों द्वारा वसुला गया चंदा जनता का पैसा हैं, उसे जब्त कर सरकारी तिजोरी में जमा कर दें। इस मॉंग के लिए देश भर में एक विशाल आंदोलन खडा करने की अतिव आवश्यकता हैं। यदि ऐसा हो पाए तो पार्टियों की संपत्ती पर नियंत्रण आयेगा। बदचलन भ्रष्टाचारी का प्रभाव मिट जाएगा। गुणी जनों को चुनाव लडना संभव हो पाएगा। चरित्रवान प्रत्याशी के सामने भ्रष्टाचारीयोंकी तुती नही बजेगी। यदि चरित्रवान प्रत्याशी चुनकर विधान सभा और संसद में पहुंच पाएं तो लोकतंत्र के पवित्र मंदिरों को फिर से पवित्रता बहाल होगी। कुछ आशा बन पाएगी।


यदि राजनीतिक पार्टियों को अर्थ बल हिन किया जाता हैं तो उनके द्वारा खडे किये गये भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जनता आवाज उठाएगी और उन्हे चुनाव जितने ही नही देगी। इस कदर भ्रष्टाचार पर काबू पाना और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण हो पाना संभव हैं। न ही किसी को उस हेतू धरना देना पडे, न ही मोर्चे निकालने पडे और न ही अनशन करना पडे। देश में सही मायने में प्रजा तंत्र बहाल होगा। चरित्रवान लोग ही इस देश की कमान संभालेंगे। जनलोकपाल, राईट टू रिजेक्ट, राईट टू रिकॉल, ग्रामसभा जैसे कानून बन पाएंगे। किसानों की मजदूरों की समस्याएं हल होगी। देश भर में इस हेतू लोकशिक्षण व जन जागरण करना जरुरी हैं।


अगले डेढ साल में इस काम के लिए देश भर में घूम कर लोकशिक्षण व जन जागरण करना चाहता हूं। लेकिन गॉंव-गॉंव, बाडी-बस्तियों में जा कर लोकशिक्षण व जन जागरण का कार्य करने के लिए मैं युवा शक्ती पर उम्मीद लगाए बैठा हूं। युवा शक्ती आगे बढे, स्वयंसेवी संघटन व जनता अपनी ओर से पहल करे। जो भी कार्यकर्ता अपना समय इस कार्य के लिए दे सकते है. देना चाहते है, वे निम्नलिखित नंबर पर अपना मोबाईल नंबर, ई-मेल आदि सहित अपना नाम पता दर्ज करें ताकि आपके साथ इंटरनेट, फेसबुक, ई-मेल द्वारा संपर्क बना रहेगा।

निरंतर संपर्क बनाए रखने से आगामी कार्यक्रमों की जानकारी मिलती रहेगी, साथ ही दो से तीन दिन का प्रशिक्षण भी देना संभव होगा। परिवर्तन लाने के लिए राज शक्ती पर जन शक्ती का अंकुश कैसे बनाये रखें इसका विचार होना जरुरी है। राज शक्ती की अपेक्षा जन शक्ती का स्थान बहुत उंचा है, लेकिन जनता उसे भूल चुकी है।

हो सकता है कि जनशक्ती के दबाव के कारण सन 2014 के पहले ही जनलोकपाल कानून बन भी जाए, लेकिन संपूर्ण परिवर्तन की लडाई बहुत लंबी लडाई है। उसके लिए कई सालों तक प्रयास करने होंगे। इसके लिए युवकोने आगे आने की तैयारी रखनी होगी।


कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे.
रालेगणसिद्धी,
8 अक्तुबर 2012

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