Monday 9 December 2013

जनलोकपाल के लिए 10 दिसम्बर 2013 से निर्णायक आंदोलन...

जनलोकपाल के लिए निर्णायक आंदोलन...

प्यारे भाई और बहनों,
  आप जानते होंगे कि पिछले 25 साल से मै जन आंदोलन के माध्यमसे भ्रष्टाचार के विरोध मे संघर्ष कर रहां हूँ। जनतंत्र के दबाव से महाराष्ट्र में जनहित मे कई कानून बने। लेकिन ये लडाई सिर्फ एक राज्य में सिमित नहीं रह सकती। इसलिए जनलोकपाल की मांग को ले कर हमने एप्रिल 2011 से राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया। 16 अगस्त 2011 को दिल्ली के रामलिला मैदान पर ऐतिहासिक आंदोलन हुआ। जिसमें देश की जनता करोडों की संख्या में रास्ते पर उतर आयी। सिर्फ भारत  में ही नही बल्कि पुरी दुनिया से इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला। जनशक्ती का दबाव बढने से संसद में प्रस्ताव पारित कर के प्रधानमंत्री जी ने मुझे याने कि देश की जनता को लिखित आश्वासन दे दिया। उसके बाद भी दो बार आंदोलन करना पडा। लोकसभा में लोकपाल बील पास हो गया। सिलेक्ट कमेटी ने भी पास किया। लेकिन एक साल से वह राज्यसभा में पडा है और हम इन्तजार कर रहे है।
         इस के दौरान मै लगातार सरकार से पत्र व्यवहार करता रहा। प्रधानमंत्री जी के दफ्तर से मुझे हर बार इस सत्र में बिल लाएंगे ऐसा लिखित आश्वासन कई बार मिलता रहा। लेकिन सरकार ने मेरे साथ और देश की जनता के साथ धोखाधडी की। फूड सिक्युरिटी बील, भूमइधिग्रहन बिल, पेन्शन बिल, जेल में होते हुए चुनाव लडनेवाला बिल ऐसे कई बिल सरकारने पास किए, लेकिन जनलोकपाल जानबुझ कर नहीं ला रहे है। विपक्ष ने भी जनलोकपाल के बारे में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायी है। लोकसभा के विपक्ष नेता श्रीमती सुषमा स्वराज जी और राज्यसभा के विपक्ष नेता श्री अरुण जेटली जी ने संसद मे जो आश्वासन दिया था वह नही निभाया। अब हमऔर इन्तजार नहीं कर सकते। देश की जनता और धोखाधडी नहीं सह सकती। मैने तो तय किया है कि, जब तक शरीर मे प्राण है तब तक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए लडता रहुंगा। इसलिए 10 दिसंबर से रालेगणसिद्धी के संत यादवबाबा मंदिर में मेरा अनशन शुरू होगा। मै देश की जनता को अनुरोध करता हूँ कि, आप सभी को इस आंदोलन में शामील होना है। ये परिवर्तन की लडाई है। ये स्वतंत्रता की दुसरी लडाई है। अब पिछे रह जाओगे तो खुद को कभी माफ नहीं करोगे। खास कर के देश के युवा इस आंदोलन को हाथ मे लेंगे तो परिवर्तन की घडी दूर नही होगी। लेकिन मै एक बात को नम्रता से कहुंगा कि, हमारा आंदोलन पुरे अहिंसात्मक और शांततपूर्ण मार्ग से होगा। 16 अगस्त 2011 के आंदोलन में आप सभी ने दुनिया को ये दिखा दिया है। आंदोलन मे शामील होने के लिए सभी को रालेगणसिद्धी में आने की जरुरत नहीं। आप अपने गांव, तहसिल, जिला या शहरों में शांततापूर्ण मार्ग से आंदोलन कर सकते है। इस शीतकालीन सत्र में सरकार को जनलोकपाल बिल लाना होगा। तब तक मेरा अनशन जारी रहेगा। अगर इस सत्र में बिल नहीं लाया गया तो बाद में सार्वत्रिक चुनाव के पहले मै देशभर जा कर सरकार की धोखाधडी के बारे में जनता को जगाऊंगा। सरकार ने जनलोकपाल के बारे में कैसी धोखाधडी की ये साथ में दिए हुए पत्र पढकर आपके समझ मे आएगा। आओ सब मिल कर स्वतंत्रता की ये दुसरी लडाई लडेंगे। जयहिंद।


आपका
के. बी. तथा अण्णा हजारे,
9 दिसम्बर 2013

5 comments:

  1. प्रिय अन्नाजी,

    मैं काफी समय से आपसे और आपसे जुड़े हुए सभी लोगो से बहुत प्रभावित हूँ। जनलोकपाल के लिये आपके आंदोलन का मैं पूरा समर्थन करती हूँ। एक बेटी होने के नाते मे आपसे पूछना चाहती हूँ कि आखिर क्यों आप आम आदमी पार्टी को खुलकर अपना समर्थन नहीं देना चाहते? मानाकि आप लोगों के रास्ते अलग अलग है पर आप दोनो कि मज़िल तो एक ही है। कृपया इस बात को समझिये कि कुछ लोग आपकी भारतीय राजनीति मे अरुचि का आम आदमी पार्टी के खिलाफ अस्त्र कि तरह उपयोग कर रहे है।

    उदाहरण के रूप मॅ, आपने जो चिठ्ठी पार्टी फंडिंग के बारे मे अरविन्दजी को लिखी थी कई लोगो ने उसका उपयोग आम आदमी पार्टी कि साख को खराब करने के लिये किया।

    मैं पहले से बताना चाहती हूँ कि मैं आम आदमी पार्टी से अभी तक जुड़ी नहीं हूँ। पर जब भी मे घोटालो की खबरें पढ़ती हूँ मेरा खून खौल जाता है मैं चाहती हूँ कि आप और अरविंदजी मिलकर पूरे भारत का नेत्रत्व करें.और पूरे भारत मे स्वराज कि स्थापना करें, हम सभी को सही दिशा दे यदि फिर आप कोई पद ग्रहण करना न चाहे तो ये आपकी मर्ज़ी है।

    आपसे यही गुज़ारिश है कि आप आम आदमी पार्टी का इतना सा साथ दीजिये ताकि भविष्य मे घोटालों के कारण कोई भी बच्चा भूखा ना सोये और कोई भी इंसाफ कि आस लिये हुए ही मर ना जाये।

    कृपया मेरी इस खुली हुई चिठ्ठी के बारे मे अवश्य मनन कीजियेगा।

    जवाब के इंतेज़ार मे

    आपकी बेटी, प्रगति

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  2. प्रगति जी
    आपने अन्ना जी को बहुत सही लिखा है मेरे चिंतन के अनुसार यदि अन्ना जी मन जाते है व्यवस्था परिवर्तन के लिए जागरूक लोगों का साथ देने के लिए तो निश्चित इस देश में बेहतर मानवीय व्यस्था स्थापित हो सकती है | अन्ना जी इस विषय पर बात तो करे आम आदमी पार्टी के सयोंजक से ,और भी जगे हुवे उनके खुद के साथियों से हो सकता है वो कोई शर्त भी रखें पर उनका मनन बहुत जरुरी है .अन्ना जी राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है | अच्छा लगा आपने पत्र लिखा अन्ना जी को
    अशोक जैन ":मंथन"

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  3. आदरणीय अन्ना जी
    सादर वंदे,
    आपकी जांबाज़ी और राष्टीयता को नमन करते हुए आपसे कुछ निवेदन करना चाहता हूँ. चूँकि आप मेरे से उम्र में काफी बड़े है और आप ढ़ृड आत्मविश्वासी भी है मेरी तुलना में कही ज्यादा और सतत जनलोकपाल बिल को संसद से पास करवाने के लिए प्रयत्न शील भी है अतः मैं इतना ही कहूंगा कि आप द्वारा तैयार जनलोकपाल बिल ये लोग पास करने वाले नहीं है औए ये लगातार आपको धोखा भी देते आ रहे हैं | संसद में बैठे सांसद कोई भी आपके लोकपाल बिल को पास करवाना चाहते है वो ईमानदार है ?
    आपने जनलोकपाल का बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा किया दिल्ली में जिसकी वजह से कई जागरूक लोग एक जूट हुए और अपने स्तर पर और लोगो को जगाकर साथ लेते जा रहे है | ये समूह जब करीब १०% तक का हो जायेगा तो अहिंसात्मक क्रांति की सम्भावनाये बढ़ जायेगी और अच्छे लोग संसद ,राज्यसभा व विधान सभाओं में जा पाएंगे | तभी न सिर्फ सही जनलोकपाल लागु हो अपयेगा वरन एक भ्रष्टाचार मुक्त बेहतर जागरूक भारत बन पायेगा .उससे पहले तो कभी नहीं |.
    आदरणीय जयप्रकाश जी कि समग्र क्रांति भी सफल नहीं हो पाई| उस वक्त तो जनता ने इंदिरा जी कि सरकार को हरा जनता दल को बहुमत देकर सरकार में बिठाया था पर बाद में क्या हुआ ?
    ५ साल में एक लौठा पानी पेड़ों में देकर मीठे फलों को पा लेनी कि उम्मीद ही सही उम्मीदों के साथ ही बईमानी है | ये बात भारत के सामजिक तकनीशियन क्यों नहीं समाज पा रहें है और सड़े हुए पेड़ो कि टहनियों और पत्तियों का इलाज करने में पूरा जीवन लगा दे रहें है |
    आपका जीवन हम सभी के लिए ,देश कि जागरूक जनता बेशक जो कम है के लिए ,हमारे सपनो के भारत के लिए बहुत महत्व पूर्ण है | हम ह्रदय से चाहते है की कम से कम आजादी के वक्त के जागरूक जुजारु व्यक्तियों में से आप तो इस देश को बेहतर मानवीय जागरूक व्यवस्था से परिपूर्ण देश अपनी आँखों से देख पाएं | देखिये आपकी आँखे भी काफी कमज़ोर होती जा रही है |
    आप अपना पूरा आर्शीवाद प्रदान करें अपना अनशन खोले इस हुनकर के साथ कि ये सभी भ्रस्ट लोग सही जन लोकपाल लेन कि मंशा नहीं रखते है और इसका समाधान व्यवस्था परिवर्तन ही है | आप जनता को व्यवस्था परिवर्तन का आव्हान कर अपना आशीर्वाद देवें |
    वंदे मातरम् !जय हिन्द -जय भारत !इंकलाब जिन्दाबाद ! इंकलाब जिंदाबाद मेरे शहीदे आजम भगत सिंह का और उनके साथी क्रांतिकारियों का नारा ही नहीं उनके दिल कि आवाज थी |
    पुनः प्रणाम और निवेदन कि यदि आप ये पत्र पड़े तो उस पर मनन अवश्य करें और मुझे अपना जवाब आशीर्वाद के रुपमे पत्र द्वारा अवश्य देवे जिससे मुझे भी ये लगेगा कि आपने इस देश के एक जागरूक यूवा के पत्र को पड़ा और मनन किया

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  4. आदरणीय अण्णा १६ ऑगस्त २०११ रोजी आपण सक्षम लोकपाल बिलासाठी दिल्लीत आंदोलन सुरु केलेत. भारतीय राजकीय व्यवस्था पारदर्शक व्हावी यासाठी आपण महाराष्ट्रात भरीव काम केलेले आहे. आपल्या आळंदीच्या आंदोलनापासून प्रेरणा घेवून मी सतत आपल्या आंदोलनाचा एक भाग म्हणून माझ्या परीने आपणास अप्रत्यक्षपणे मदत करण्याचा प्रयत्न केला. त्याचा कधी गवगवा केला नाही किंवा तुमच्या नावाने प्रसिद्धी मिळवण्याचा प्रयत्न केला नाही. परंतु आपल्या दिल्लीतल्या आंदोलनाने देशभर आपल्या विचारणा चालना मिळून आपण जगभर प्रसिद्धीही मिळवलीत,त्या आंदोलनाचे गाव,तालुका,जिल्हा,राज्य तसेच देश पातळीवर नियोजन होणे गरजेचे होते. पण तसे झाले नाही आणि ज्यांनी ज्यांनी मनापासून आंदोलन टिकावे म्हणून प्रयत्न केले ते आज निराश झाले आहेत.कारण आपल देशाच आंदोलन तुमच्या दिल्लीतील सहकाऱ्यांनी दिल्लीपुरती मर्यादित करून त्याचा वापर स्वताच्या राजकीय स्वार्थासाठी केला आणि जनलोकपाल बिल रखडल गेल याला जबाबदार सरकार नसून तुमचे सहकारी अरविंद केजरीवाल आणि त्यांची *आप*जबाबदार आहे. हे बिल येवू नये म्हणून राजकीय पक्ष प्रयत्न करत होते आणि त्याला आपल्या अति महात्वाकांशी स्वभावामुळे केजरीवाल बळी पडले. आपण केजरीवाल यांच्या पक्ष स्थापनेला आणि आपल्या नावाचा वापर करण्याला विरोध केलात तरीही केजारीवालानी आपल्या सूचनांना केराची टोपली दाखवत जनांदोलनाचे श्रेय घेवून निवडणुकित यश प्राप्त केले. एवढ होऊन सुद्धा आपण केजरीवाल यांना झुकत माप देवून त्याचं अभिनंदन करन किंवा सरकार स्थापनेबाबत सल्ला देन हे माझ्या सारख्या सामान्य कार्यकर्त्याला पटलेलं नाही आणि कळलेलं सुद्धा नाही. आज त्याच गोष्टीची पुनरावृत्ती करण्याचा प्रयत्न केला जात आहे . महाराष्ट्रात *आप*ची पाळेमुळे रुजवण्यासाठी आपल्या आंदोलनाचा फायदा घेण्याचा प्रयत्न चालला आहे आणि त्याचसाठी प्रसार माध्यमांची मदत घेतली जात आहे. अण्णा माझी तुम्हाला विनंती आहे महाराष्ट्रातील आपल्या प्रामाणिक नेत्या व्यतिरिक्त कुणाच्याही हातात आंदोलन देवू नका. चांगली लोक राजकारणात आणण्यासाठी मेघाताई पाटकर,विश्वंभर चौधरी,धर्माधिकारी अश्या लोकांची मदत घ्या तरच हे आंदोलन यशस्वी होईल आणि आम्हाला आपला अभिमान वाटेल. जय -हिंद ,भारत मता की जय ! आपला हितचिंतक उमेश जामसंडेकर ,अध्यक्ष ,भ्रष्टाचार निर्मुलन जन जागृती मंच ,जिल्हा ठाणे

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    1. आदरणीय आण्णांनी सुरू केलेले आंदोलन यशस्वी फक्त 'जनलोकपाल' पास झाल्याने होऊ शकते, आणि त्यांचा हेतु तोच आहे. परंतु, जर सरकारने या हिवाळी अधिवेशनात ते पास केले नाही तर काय करायचे ते ठरवणे गरजेचे आहे. अण्णांचे उपोषण कोणत्याही परिस्थित त्यांच्या शरीरासाठी हानिकारक होता कामा नये. एक महात्मा या देशासाठी आपले आयुष्य अर्पण करून स्वत: शारिरीक यातना भोगत आहे, याची आपण सर्व भारतवासियांनी जान ठेवली पाहिजे. या परिस्थितीत आण्णांनी स्वत: योग्य निर्णय घेऊन समाजाला योग्य तर्‍हेने मार्गदर्शन करणे जरुरीचे आहे. भगवान अण्णांना बळ देवो, ही प्रार्थना. वंदे मातरम! भारत माता की जय!

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