Friday, 30 January 2015

लोकपाल के लिए फिर से आंदोलन...

आज गांधीजी का पुण्यस्मरण दिन एवं हुतात्मा दिन है। हम सबके लिये गांधीजीने शहादत दी। उस महात्मा को ज्यादा आयु मिलती तो शायद अंत्योदय और पुरे भारत में  ग्राम स्वराज का अपना सपना वो पुरा कर लेते। गांधीजी की स्मृती को मै विनम्र वंदन करता हूं।

विगत कुछ महिनोंसे मै पीठ की दर्द की वजह से लोगों में नियमित रूप से नही जा सका। अब मेरा स्वास्थ्य बिलकूल ठीक है। जनसेवा के लिए मै फिर पहले जैसा काम करूंगा ।मेरे स्वास्थ्य कें बारे में बहोत सारे देशवासीयों ने आस्था के साथ पुछताछ की एवं अपनी सद्भावनाएं प्रकट की, मै उनके प्रति मन सें आभार प्रकट करता हूं।

देश में दिन ब दिन भ्रष्टाचार बढते गया। सामान्य लोगोंका जीना मुष्कील हो गया था। इस लिए देश की जनता ने लोकपाल, लोकायुक्त के लिए आंदोलन किया। लोकपाल कानून पर 1 जनवरी 2013 को राष्ट्रपतीजी की मुहर लगी थी। खुद कानून में ही प्रावधान था की एक वर्ष के अंदर लोकपाल की नियुक्ती होना अनिवार्य है। लेकिन संविधान के आधार पर बनी संसद की संविधान से ही बनी सरकार ने पूरी तरह अवमानना की। ना ही केंद्र में लोकपाल का गठन हुवा, ना राज्यो में लोकायुक्त आये । मेरे रामलीला मैदान के 2011 के अनशन के बाद लिखीत आश्वासन देने के बावजूद भी पुरानी सरकारने लोकपाल बिल पास नही करवाया। रालेगन सिद्धी मे मैने फिर एकबार दिसंबर 2013 में अनशन किया। उसमें देश की जनता शामिल हुई। मजबूरन सरकार को लोकपाल कानून लाना पडा। आज सत्ता में आये हुवे लोगों नें उस वक्त तो बडे जोर शोर के साथ लोकपाल का समर्थन किया था। उस वक्त राज्यसभा में नेता विपक्ष रहें अरुण जेटलीजी ने मुझे पत्र लिख कर समर्थन दिया था। नेता विपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराजजी ने लोकसभा में मेरी सराहना करते हुअे लोकपाल को जल्दी लाने की वकालत भी की थी। मुझे आश्चर्य है की जैसे ही प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने कमान संभाली, सरकार ने लोकपाल के प्रति अपने रवैय्ये में  बडा "यू टर्न" लिया और सरकार के कामकाज संभालने आठ महिने बित जाने पर भी लोकपाल का गठन नही हुवा। इस बीच उच्चतम न्यायालय ने भी सरकार को लोकपाल के बारे में कुछ निर्देश दिये; फिर भी लोकपाल नही बना। सरकार को खुलकर लोगों के सामने आना चाहिये और बताना चाहिये की लोकपाल से वह इतना डरती क्यों है और अगर डरती नही है तो फिर क्या कारन है की लोकपाल गठीत नही हो रहा है? सरकार सत्ता में आने से पहले बार बार देश की जनता को आश्वासन देती रही की, हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार के विरोध की लढाई को प्राथमिकता देंगी।

इस बीच बीमार होने के बावजूद मैने प्रधानमंत्रीजी को तिन पत्र लिखे। पहला पत्र 27 अगस्त 2014  को लिखा और स्मरण हेतु दुसरा पत्र 18 अक्तूबर 2014  को लिखा। तिसरा पत्र 1 जनवरी 2015 को लिखा। दुर्भाग्य से प्रधान मंत्री जी ने कोई कार्रवाई नही की। तिनों पत्रोंकी प्रतिया मै इस विज्ञप्ती के साथ जोड रहा हूं, ताकि देशवासियोंको पुरी जानकारी हो।
नई सरकार ने अच्छे दिन लाने के वायदे तो खूब किये लेकिन चंद पुंजीपतीओं को छोड किसी भी वर्ग को अच्छे दिन दिखाई नही दें रहे है। एक तरफ जहां सांप्रदायिकता को बढावा देते वक्तव्य आ रहे है। वहीं दुसरी तरफ कामगार कानून में बदलाव कर मेहनत करने वालो के बुरे दिन लाये जा रहे है । देश के किसान संगठन मुझे मिलकर कह रहे है की भूमी अधिग्रहण कानून में संशोधन वाला जो ऑर्डिनन्स हडबडी में लाया गया है उससे किसान ध्वस्त हो जायेंगे इस कानून के विरोध में आंदोलन करना जरुरी है। सरकार  संसद को नजरअंदाज कर ज्यो ऑर्डीनन्स राज लाया  जा रहा है उसपर तो स्वयं राष्ट्रपतीजी ने चिंता जताई। सरकार चलानेवाले लोगोंने  इस तरह तानाशाही की ओर नही जाना चाहिये। यह ऑर्डीनन्स वाला मामला तांत्रीक रुप सें भले ही ठीक हो, लेकिन लोकतांत्रिक दृष्टी से कतई ठीक नही। इस देश के चंद पुंजीपती जो कथित रूपसे  विकास करना चाहते है वह विकास किसानों के दमन से नही होना चाहिये। यह पूज्य बापूजी का देश है और यहां विकास का मार्ग ग्रामविकास सें ही हो कर गुजरता है, किसानों के कफन सें नही।  यह बात इस सरकार को वक्त रहते समझ लेनी चाहिये। मै देश के किसानोंको आश्वस्त करता हूं की लोकपाल के साथ साथ इस प्रश्न पर भी आंदोलन करेंगे। सभी किसान संगठनों के साथ मिलकर हम आंदोलन करेंगे और किसानों के हक के साथ किसी को खिलवाड नहीं करने देंगे। मै किसानों के लिये आंदोलन जरूर करूंगा। क्योंकी मै भी एक किसान का बेटा हूँ।

नये आंदोलन की योजनाएं बन रही है। शीघ्रही हम नये टीम का गठन करेंगे। संगठन की आवश्यकता को लेकर विचारविमर्श चल रहा है। संगठन में अवसरवादी लोगों की नही, प्रामाणिकता से काम करने वालों  की जरूरत है। देश के बहुत सारे युवा अब फिर सें राष्ट्र को भ्रष्टाचार एवं अमानवीय  पुंजीवाद सें बचाने के लिये आंदोलन मे शरीक होना चाहते है, उनका स्वागत है । रालेगन सिद्धी में कार्यकर्ता प्रशिक्षण निरंतर चलता है, उन सभी कार्यकर्ताओं को भी राष्ट्र कार्य में जोडा जायेगा।  रालेगन में मीडीया सेंटर (Rural Development Information Centrer) अब पूर्ण रूप से तैय्यार हो रहा है जहां से मै व्हीडीओ कॉन्फरन्स के जरिये देश के लोगों तक पहूंच सकता हूं।

मेरी हर सांस देश को समर्पित है। मैने  मेरी  युवा उम्र में ही प्रतिज्ञा की थी की जिऊंगा तो देश के लिये और मरूंगा तो भी देश के लिये। भ्रष्टाचार के खिलाफ लडने की प्रतिबद्धता को दोहराने के साथ साथ मै देशवासियों को फिर एक बार आंदोलन के लिये तैयार रहने की अपील करता हूं। जो कार्यकर्ता इस आंदोलन से जुडना चाहते है, उन्होने निचे दिए हुए पतेपर फोनद्वारा, इमेलद्वारा या वेबसाईटपर रजिस्ट्रेशन करके संपर्क करे।

जयहिंद।

भवदीय,
कि. बा. तथा अण्णा हजारे 


संपर्क के लिए पताः
भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास
रालेगणसिद्धी, ता. पारनेर, जि. अहमदनगर
महाराष्ट्र 414302, फोनः (02488) 240401
ईमेल- annahazareoffice@gmail.com

वेबसाईट- www.annahazare.org, www.joinannahazare.org.in 

9 comments:

  1. अन्ना को फिर से जनलोकपाल के मुद्दे पर आन्दोलन की बात कहनी पड़ी। इसके कई मतलब है पर एक मतलब बिलकुल साफ है कि अन्ना को लगता है कि आन्दोलन को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी जिनपर थी। वे या तो सत्ता के फेर में पड़ गए है और आन्दोलन उनकी प्राथमिकता नही रहा। या फिर वे इस काबिल नही रहे कि उस पैमाने का आन्दोलन चला सकें। या फिर उनकी विश्वसनीयता पर ही प्रश्न है। लेदे कर अन्ना का वापस आन्दोलन की बात करना। आन्दोलन से जुड़े लोगों के मुंह पर तमाचा है।

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  2. आना आप आगे बढो हम आप के साथ है !

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  3. सही कदम उठाया है आपने अण्णाजी .
    हम आपके साथ है ।
    सप्रेम जय भारत ।।

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  4. Ashok kumar Gautam31 January 2015 at 01:37

    Politics has got mired in lies and falsehood both at the Center and States! I am with you in your selfless struggle to purge our polity as much as possible.May you succeed!

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  5. हम लोग तो पिछले आंदोलन से ही साथ में थे। पूर्वी उत्तर pradesh के
    आंदोलन में महत्व पूर्ण रोलरोल प्ले किया था। आजमगढ़ में अन्ना की
    विशाल सभा करवायी.
    अग्रिम कार्यवाही हेत पुनः समर्पित
    डॉ इन्द्र देव सिंह
    लखनऊ
    9305586683

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  6. Chunav ladne or ladwane wale kisi neta ko ab andolan se mat judne dena isbar congress or AAP wale fir mouka dekha kar aapka upyog karne ke liye aayenge unse duri rakhana

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  7. Dr. Supriyo Mondal, Asst. Prof., LNIPE, NERC, Guwahati1 February 2015 at 08:57

    All the best Anna Ji. The whole nation is with you for the cause.

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  8. Band Karo Anna Ji. Aap ke chele politics me aa hate hai. Aap log andilan kar kar ke Eco omy ki baat laga doge. Things are going good now. Kabhi kyun?

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  9. Band Karo Anna Ji. Aap ke chele politics me aa hate hai. Aap log andilan kar kar ke Eco omy ki baat laga doge. Things are going good now. Kabhi kyun?

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