संविधान का पालन ना करनेवाली सरकार को
सत्ता में रहनेका कोई अधिकार नहीं... संसद को भंग करो।
26 जनवरी 1950 के दिन हम भारतीयों ने पहला प्रजासत्ताक दिन मनाया, उस दिन देश में प्रजा की सत्ता आ गई। प्रजा इस देश की मालिक बन गई। सरकारी तिजोरी में जमा होनेवाला पैसा जनता का हैं, देश की प्राकृतिक संपदा जनता की संपदा हैं।
चूं कि सभी जनता तिजोरी का पैसा और देश की प्राकृतिक संपदा का सही नियोजन नहीं कर सकती हैं, इस लिए संविधान के मुताबिक जनता ने प्रजातांत्रिक ढंग से राज्यों के लिए एमएलए और केंद्र के लिए एमपी को अपने सेवक के नाते चुन कर विधानसभा और लोकसभा के लिए भेजा। राष्ट्रपति जी ने आयएएस, आयपीएस, आयएफएस जैसे सनदी अधिकारियों का चयन कर के (गव्हर्नमेंट सर्व्हंट) जनता के सेवक के नाते नियोजन करने के लिए भेजा हैं। भारत एक लोग कल्याणकारी राज होने के कारण जनता ने चुन कर भेजे जन प्रतिनिधी और राष्ट्रपति जी ने भेजे हुए सनदी अधिकारी इन की मिल कर बनी सरकार। संविधान के मुताबिक सरकार चलाने वाले लोगों ने देश के आम आदमी की रक्षा करनी हैं। सरकार हर नागरिक के बेहतरी के लिए प्रयास करने के लिए वचनबद्ध हैं।
देश की जनता की तरफ से संविधान को संसद में रखते समय शुरू में कहा हैं कि "हम भारत के लोग" संसद से अपेक्षा करते हैं कि, देश में सामाजिक, आर्थिक विषमता ना बढे, जाति पाँति का भेदभाव ना रहते हुए एकात्मिक भारत रहे। मानवता और प्रकृति के शोषण विना विकास हो। कारण भूगर्भ और भूपृष्ठ की संपत्ती के शोषण से कभी ना कभी देश का विनाश होगा।
संविधान में जनता और देश की भलाई के लिए कई बातें कही गई हैं, उनका सही पालन करना सरकार का कर्तव्य है और जिम्मेदारी भी हैं। यह स्पष्ट दिख रहा है कि सरकार संविधान का पालन नहीं कर रही हैं, सामाजिक विषमता बढती गई हैं, कई लोग सिर्फ खाने के लिए जी रहे हैं, तो कई लोग जीने के लिए खा रहे हैं, कई लोग क्या क्या खाऊं इसलिए जी रहे हैं, तो कई लोग क्या खाऊं इस चिंता में जी रहे हैं। गरीब और अमीर का फासला बढता जा रहा हैं।
समाज में जाति पाँति का भेदभाव ना रहे इसका सरकारने प्रयास करने के बजाए वोट हासिल करने के लिए चुनाव में जाति पाँति का जहर फैलाया जाता हैं, आम आदमी की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य हैं, लेकिन आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया हैं। कृषि प्रधान भारत में आजादी के 65 साल के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या करनेवाले एरिया के लिए सरकार पॅकेज देती हैं। सिर्फ हम ही किसानों की मदत कर रहे हैं, ऐसा बता कर जनता को भ्रमित किया जाता हैं, पॅकेज का पैसा किसानों तक नही जा रहा हैं।
सरकार को किसानों की चिंता तो नही हैं, लेकिन विदेश से बुलाई हुई निजी कंपनी की चिंता जादा हैं। राज्यों में विदेशी निजी कंपनीयों के लिए सरकार रास्ते, पानी, बिजली की विशेष सुविधा करती हैं और किसानों की जमीन जबरदस्ती से लेती हैं। किसानों ने अगर विरोध किया तो किसानों पर डंडे चलाती है, कभी कभी गोलियाँ भी चलाती है। क्या यही है हमारा प्रजातंत्र ? यही है लोकशाही ? अन्याय पूर्ण गोरे अंग्रेज और आज की सरकार में क्या फरक रहा ?
सरकार नदियाँ व जल स्रोतों का निजी करण कर रही हैं। इस कारण देश की बारहो मास पानी बहाने वाली नदियाँ आज सूख गई हैं। खदानों के नाम पर जंगलों को निजी कंपनियों को बेचा जा रहा हैं और सैकडो सालों से जंगलो में रहने वाले आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा हैं। वन विभाग की हजारो हेक्टर जमीन गायब हुई हैं। उसका कोई रिकार्ड सरकार के पास नही मिल रहा है, जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर देश के गरीब आदमी का सरकार के प्रति भरोसा ही खत्म हो गया हैं। भूगर्भ और भूपृष्ठ के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर के किया हुआ विकास तो शाश्वत विकास नही है। कभी ना कभी एक दिन विनाश होगा। इस बात को जानते हुए भी सरकार उस पर गंभीर नही हैं।
निजी कंपनीयों से हमारे देश के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण होता जा रहा है, वह पर्यावरण को गंभीर खतरा हैं। प्रकृति का जितना दोहन होगा उतना यहाँ की हवा, जमीन, पानी दूषित होगा और हो रहा हैं। आगे करोडो रुपया खर्च करने पर भी उसमें सुधार नही आयेगा। आगे आनेवाली हमारी संतान का क्या होगा ? हमारे पंतप्रधान मनमोहन सिंह जी कहते हैं, देश की अर्थ नीति में बदलाव के लिए निजी कंपनीयों का देश में आना जरुरी हैं। सुना था कि पंतप्रधान मनमोहन सिंह जी पर महात्मा गांधीजी के विचारों का प्रभाव हैं, और महात्मा गांधीजी कहते थे, देश की अर्थ नीति बदलनी है तो गांव की अर्थ नीति बदलनी होगी। जब तक गांव की अर्थ नीति नही बदलती तब तक देश की अर्थ नीति नही बदलेगी। महात्मा गांधीजी और मनमोहन सिंह जी के विचारों में कितना विरोधाभास हैं।
वास्तव में देश की मालिक यदि जनता है, तो प्राकृतिक संसाधनोंके बारे में कोई भी निर्णय लेना हो तो वह जनता का हक है। सरकार ने निर्णय लेने से पहले जनता की मान्यता लेना जरूरी है। सभी अधिकार ग्रामसभा को कानून से देना जरूरी हैं। संविधान के तहत सरकार को यह दायित्व सौंपा गया है कि देश में जो भी वंचित हैं, जैसे दलित हैं, आदिवासी हैं, मुसलमान है, मछुआरे, पिछडे हुए हैं ऐसे लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए अच्छी नीतियाँ बनानी हैं। लेकिन आज इन लोगों पर अन्याय होता है। इस कारण सरकार के प्रति जनता का विश्वास उठ गया है। आज किसान और पिछडे वर्ग के हित में नीतियाँ ना बनाते हुए निजी कंपनीयों की हित रक्षा करनेवाली नीतियाँ सरकार बनाई जा रही हैं।
देश के अधोगति की जड है बढता भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार के कारण महंगाई बढ गई है। उस कारण सामान्य आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। देश के विकास काम पर होने वाले खर्च में से एक रुपये में से दस पैसा भी विकास काम पर नही लग रहा हैं। विशेष तौर पर जब सरकार चलानेवाले खुद ही भ्रष्टाचार करने लगे तो भ्रष्टाचार कैसे रुक सकता है ? कोयला घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, खेल घोटाला, एअर इंडिया घोटाला इस प्रकार सरकार के कई घोटाले बाहर आ गए हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कानून बनाना जरूरी है। इसी लिए जनलोकपाल कानून को लाने के लिए देश के करोडो लोग रास्ते पर उतर गये थे।
लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सरकार की नीयत ही साफ ना होने के कारण सरकार ने अब तक कानून नही बनवाया। देश की जनता रास्ते पर उतर गई थी। उस वक्त कोई चुनाव नही था, इस लिए सरकार को कोई डर नही लग रहा था। अब 2014 में चुनाव आ रहे हैं। अब जनलोकपाल, लोकायुक्त, जनता की सनद, ग्रामसभा को ज्यादा अधिकार, दफ्तर दिरंगाई जैसे कानून बनाने हैं। ऐसे कानून बनाने की चाभी जनता के हाथ में हैं। कानून बनवाने के लिए गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर बहुत बडा जन संगठन बनाना पडेगा। इसलिए देश भर में एक अच्छा संगठन खडा करने के लिए भ्रष्टाचार के विरोध में लडने वाली देश की जनता http://www.joinannahazare.org.in इस वेबसाईट पर जा कर फॅार्म भर कर जुडने का प्रयास करे। जब देश की जनता संगठित हो कर करोडों की संख्या में लडने के लिए रास्ते पर आएगी तो राजशक्ती पर जनशक्ती का दबाव निर्माण होगा और सरकार को देश का भ्रष्टाचार मिटाने के लिए या तो कानून बनाने पडेंगे अन्यथा सत्ता से जाना पडेगा। मैं 30 जनवरी से देश की जनता को जगाने का प्रयास करुंगा। 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने सिर्फ चारित्र्यशील सेवाभावी उम्मीदवार का चयन कर उसे संसद मे भेजना हैं। जनता ने देश भर में संगठित हो कर सरकार पर दबाव निर्माण करना होगा।
देश भर में घूम कर देश की जनता को जगाने का प्रयास करुंगा। 2014 तक जनता को यह भी बताऊंगा कि 2014 के चुनाव में पक्ष और पार्टी को ना देखते हुए सिर्फ चारित्र्य शील उम्मीदवार को ही जनता ने चुनना हैं। जनता ने चुना हुआ उम्मीदवार सेवाभावी है, या नही हैं इसकी जाँच आंदोलन के माध्यम से की जाएगी। देश में गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर जन संगठन खडा होगा। आने वाले देड साल में करोडों लोग संगठन से जुडने की संभावना हैं। ऐसे जन संगठन से राजश्क्ती पर जनशक्ति का दबाव निर्माण कर देश में संपूर्ण परिवर्तन लाना हैं। आगे 20-25 साल तक यह प्रक्रिया देश में चालू रहेगी। साथ साथ आंदोलन के स्वयंसेवक कार्यकर्ता ग्रामविकास का कार्य भी कई गावों में शुरू करेंगे। ग्रामविकास और ग्रामविकास में लगा भ्रष्टाचार का परकोलेशन रोकना ये दोनो बाते करने से ही देश को उज्वल भविष्य मिल सकता हैं। आज देश में हर बच्चा जनम लेते समय 20-25 हजार रुपयों के कर्ज की गठरी अपने सर लेकर जनम रहा हैं। उस बच्चे का कसूर क्या हैं ? इस लिए देश के हर नागरिक ने आंदोलन में शामिल होना हैं।
आंदोलन में शामील होने वाले कार्यकर्ताओं ने जनता को जगाने के लिए निम्न तीन बातों पर ध्यान देना हैं और जनता में उनका प्रचार-प्रसार करना हैं-
1) जनता ने पक्ष, पार्टी को ना देखते हुए सिर्फ चारित्र्यशील उम्मीदवार को अपना मतदान करना हैं।
2) राजशक्ति पर जनशक्ति का दबाव निर्माण करने के लिए चारित्र्यशील कार्यकर्ताओं का गांव, तहसिल, जिला, राज्य स्तर पर संगठन खडा करना हैं।
3) फिल हाल चुनाओं में जो 50% मतदान होता है और 18% से 20% प्रतिशत मतदान पानेवाले चुनकर आ कर जनता पर राज करते हैं। यह लोकशाही सही नही। इस लिए चुनाव में होने वाले मतदान को लोक शिक्षा और लोक जागृति के द्वारा 85% से 90% प्रतिशत पर कैसे ले जाया जाय इसलिए प्रयास करना हैं।
हर नागरिक ने प्रतिज्ञा करनी है कि "मैं भारत माँ की शपथ लेकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं रिश्वत ना लेते हुए सिर्फ चारित्र्यशील उम्मीदवार को ही मेरा वोट दुंगा।"
इन बातोंसे देश में बदलाव आ सकता हैं। यदि युवक प्रयास करे तो बिल्कूल असंभव नही हैं। क्यों कि युवा शक्ति ही राष्ट्र शक्ति हैं। यदि देश की युवा शक्ति जाग जाए तो समाज और देश का उज्वल भविष्य दूर नहीं हैं। युवकों ने शहिद भगतसिंग, राजगुरू और सुखदेव जैसे लाखो लोगों की कुर्बानी की याद रखकर देश के लिए और देश की जनता के लिए समय निकालना हैं।
जय हिंद, जय भारत।
इन बातोंसे देश में बदलाव आ सकता हैं। यदि युवक प्रयास करे तो बिल्कूल असंभव नही हैं। क्यों कि युवा शक्ति ही राष्ट्र शक्ति हैं। यदि देश की युवा शक्ति जाग जाए तो समाज और देश का उज्वल भविष्य दूर नहीं हैं। युवकों ने शहिद भगतसिंग, राजगुरू और सुखदेव जैसे लाखो लोगों की कुर्बानी की याद रखकर देश के लिए और देश की जनता के लिए समय निकालना हैं।
जय हिंद, जय भारत।
रालेगणसिद्धी,
3 नवम्बर 2012
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Yopu right Anna ji
ReplyDeleteAapke vichaaro aur lekh se puri tareh sehmat hoon.. lekin mujhe nahi lagta desh ka kuch hoga...... we lack national character... n not many of us are patriotic... everyone is occupied to earn bread...and govt. Will keep them busy coz of rising prices.... govt. Has given them weekend and nightlife in terms 9f development... n they r happy with it... and they say country is developing..... sad....
ReplyDeleteअन्ना जी आपकी बात सही है, लेकिन जब तक सरकार लोगों को मुफ्त में भोजन का लालच देकर रखेगी उसकी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आएगा, इसी लिए तो काम की व्यवस्था नहीं करती है ये पार्टियां।
ReplyDeleteहम आपके साथ हैं अन्नाजी अब इस सरकार को और इस देश को बदलना ही होगा. हमें तमाम नकारात्मक बातों पर ध्यान न देकर सकारात्मक विचारों के साथ अपने उद्देश्य की और बढ़ना होगा . " जय हिन्द जय हिन्द की जनता "
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