Tuesday, 20 November 2012

"जागृत मतदार यही लोकशाही का आधार "


                       "जागृत मतदार यही लोकशाही का आधार " 

आज़ादी के बाद देश और देश की जनता की अधोगति के कही कारण है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कारण हे  उनमे ....


देशके कही मतदार  जागृत नहीं हुये यह स्पष्ट दिखाई देता है। शराब की बोतल लेकर आपना अमूल्य मत देता है। पैसा अथवा कुछ रिश्वत लेकर अपना मत देता है। अपनी जाती-पाती को देखकर मत देता है। धर्म को देखकर मत देता है। रिश्ते देखकर मत देता है। दुसरोंके  कहने पर मत देता है। ,इस कारन गुंडा ,भ्रष्टाचारी ,व्यभिचारी,लुटारू उम्मीदवार संसद और विधानसभा जैसे हमारे लोकशाही के पवित्र मंदिरमें जाते है, ऐसे लोग जनता के उज्वल भविष्य के लिए नहीं सोचते है। आज़ादी के 65 साल के बाद जनता को अपने वोट की कींमत समज में नहीं आई, यह दुर्भाग्य की  बात है। मतदाताओं के एक मत में संसदमें , देशमे बदलाव लाने की शक्ति है ।

   
भ्रष्टाचार मुक्त भारत की निर्मिती करनी है , तो देश के हर नागरिक को यह तय करना है और प्रतिज्ञा  करनी है कि मै भ्रष्टाचार नहीं करने दूंगा ।अपना वोट देने के लिये रिश्वत लेना यह भ्रष्टाचार ही है।मतदार  खुद ही रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार करता है, तो ऐसे लोगोंने भ्रष्टाचार मुक्त भारत की अपेक्षा करना  ठिक नहीं है।


इसीलिये देश, गाँव, तहसिल ,जिल्हा स्तर  के सभी मतदारों को  जगाना होगा कि, समाज और देश के उज्वल भविष्य के लिए  किसी  पक्ष , पार्टी को न देखते हुए जाती -पाती को न देखते हुये सिर्फ चरित्र्यशिल व्यक्ति को ही मेरा मत दूंगा। मतदार जागृती अभियान चलाने के लिये गाँव स्तर तहशील स्तर, जिला स्तर पर सेवाभावी सामाजिक , राष्ट्रीय दृष्टिकोन है और देश प्रेम की भावना है ऐसे लाखो युवकोने स्वयंसेवक बनकर (वोलंटियर ) इस  काम  को देश सेवा समजकर आगे आने की जरुरत है ।

  जब तक संसद मे चरित्र्यशील उम्मीदवार नहीं जायेंगे तब तक भ्रष्टाचार को रोकनेवाले कानून नहीं बन पाएंगे। भ्रष्टाचार को कुछ हद तक रोकने के लिये जनलोकपाल  के साथ साथ देश मे राईट टू रिजेक्ट ,ग्रामसभा को  पूरा अधिकार, दप्तर दिरंगाई, एक टेबल का पेपर दुसरे टेबलपर सात (7) दिनमे जाना, जनता को दप्तर में बार बार चक्कर लगाना और रिश्वत न देना पड़े , जनता की सनद, हर दफ्तर में जनता का काम कितने दिनों मे करना, समय पर नहीं किया तो उस अधिकारी को दंडात्मक कारवाई हो, मंत्रालय की सत्ता विकेन्द्रित होकर ग्रामसभाको जादा अधिकार देना, संसद अथवा विधानसभा को गाँव की जल, जंगल, जमींन जैसी कोई भी चीज लेनी है तो ग्रामसभा की  अनुमती लेना अनिवार्य करना है। संसद मै ऐसे कानून बन गये तो नब्बे प्रतिशत  (90%) भ्रष्टाचार को रोक थम लग सकेगा।  अपने काम के लिए रिश्वत नहीं देनी पड़ेगी और गरीब आदमी को न्याय मिलेगा।  इस लिए मतदाताओंको  चरित्रशिल  उम्मीदवार को अपना मत देना है ।


    भ्रष्टाचार रोकने के साथ देशमे किसानोका प्रश्न हातमे  लेना होगा, कृषि प्रधान भारत देश में किसानो की समस्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। इसीलिए  आज़ादी के 65 सालके बाद भी  किसान आत्महत्या कर रहे है। ,26 जनवरी 1950 में हमने पहला प्रजासत्ताक  दिन मनाया, उस दिन से देश में प्रजा की सत्ता आ गयी है। प्रजा इस देश की मालिक  बन गई है, सरकारी तिजोरि में जमा होनेवाला  पैसा जनता का है। देश की जल, जंगल, जमीन  जैसी प्राकृतिक सम्पदा यह जनता की है ।सरकारी तिजोरी के पैसेका सही नियोजन और प्राकृतिक संसाधनों का नियोजन करने के लिये जनता ने सविधान के मुताबिक राज्य के लिये एम्एलए  और केंद्र के लिए एमपी  अपने सेवक के नाते भेजे है, मालिक जनता है ।



    राष्ट्रपतिजीने   आएएस ,आयपीएस  जैसे  सनदी अधिकारियोंके (गवर्नमेंट सर्वेन्ट) जनता के सेवक के नाते चयन किया है। सभी  जन प्रतिनिधी  और अधिकारी जनता के सेवक है। दोनो की मिलकर बनी है सरकार। सरकार का काम जनता की सेवा करना  है। संविधान के मुताबिक किसान और गरीब आदमी की विकास की निती बनाने के बजाय विदेशी कंपनियों को यहा बुलाकर उन कंपनियो के  विकास की निती बनवा रही है, सरकार को किसान, मजदुर, गरीब आदमी की चिंता नहीं है  जीतनी विदेशी कंपनीयोंकी है।

  
सरकार  विदेशी कंपनीयों को यंहा  बुलाकर कंपनीयो को देने के लिये किसानो की जमीन जबरदस्ती से ले रही है। किसनोने जमींन नहीं दी तो किसानो पर डंडे चलाये जाते है, डंडो से  किसान बाज  नहीं आये तो किसानों पर गोलीया चलायी जाती है और जबरन किसानो की जमीन विदेशी कंपनीयो को दी जाती है ।
   
   ऐसे  कृती से  स्पष्ट  होता है कि अंग्रोजो की हुकुमशाही और आज की सरकार मे क्या फरक है ?पानी का निजीकरण, जमींन का निजीकरण, जंगलो का निजीकरण, नदियोंका निजीकरण करके सरकार जनता की  प्राकृतिक  सम्पदा विदेशी कंपनी योको बिक्री कर रही है। यह हमारे देशके  लिए बहुत बड़ा खतरा निर्माण हो गया है। वास्तव यह है कि जनता इस देश कि मालिक है। सभी जन प्रतिनिधी और अधिकारी जनता के सेवक है। जनता (मालीक ) कि  प्राकृतिक धनसंपदा सेवकोको (सरकार ) अपने मनमर्जी से बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है। सरकारने जो भी निर्णय लेने है वह जनता की राय लेकर निर्णय लेने है, इससे स्पष्ट होता है की सरकार चलानेवाले सभी सेवक होते हुये मालिक बनकर जनता की संपत्ती को लुट रहे है। क्या इसी को हम जनतंत्र कहेंगे? यही है हमारी लोकशाही ?

  जो  सरकार  संविधान के मुताबिक गरिब, किसानो  की  नहीं सोचती ऐसे  सरकार  को सत्तामे  बैठने का कोई अधिकार नहीं है। वह संविधान के विपरीत है, जो सरकार संविधान का पालन नहीं करती ऐसे सरकार को सत्ता मे बैठने का कोई  अधिकार नहीं है, यह बात स्पष्ट हो रही है, संविधान  का पालन न करने वाली संसद को जनता ने ही भंग करने का समय आ  गया है। कारन संसद जनताने  ही बनाई है। अब पक्ष  और पार्टियों से देश के लिये उज्वल भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है, हर पक्ष और पार्टी सत्तासे पैसा  और  पैसा से सत्ता की  होड़में लगी है, आज़ादी के लिये लाखों शहीदोंके बलिदान की याद नहीं रही। समाज और देशके उज्वल भविष्य की सोच नहीं रही। सभी पक्ष और पार्टियोंने सर्व संमतिसे ऐसा कानून बनवाया है की हमारी  पार्टी के  चुनाव के खर्चा के लिये जनतासे जो पैसा (डोनेशन ) मदत मिलेगा उस पैसे से बिस (20) हज़ार  रूपया का डोनेशन का हिसाब नहीं देना है और बड़े बड़े उद्योगपतियोंसे ऐसे करोडो रुपयों का डोनेशन कही पार्टिया लेती है। उनके  बीस (20) हज़ार रुपयोके तुकडे करती है और उन टुकड़ो को बोगस  व्यक्तियौका नाम देती है और  कालाधन यही से सफ़ेद होना शुरू हो जाता है। इसको रोकना है तो सभी पक्ष और पार्टी का डोनेशन का पैसा जप्त  करके सरकारने चुनाव का खर्चा करना है। तब पक्ष और पार्टी का दुर्व्यवहार कम होगा ।


जीन  पक्ष और पार्टियों की  शुरवातही भ्रष्टाचार से होती है  ऐसी  पार्टी देश का उज्वल भविष्य कैसे बना सकती है? इस लिए  जनता ने  पक्ष और पार्टी का सोच न करते हुये जनताने ही चारित्र्यशिल  उमेदवार चुनकर ऐसे उमीदवार को अपना मतदान करना है। संसदमे चारित्र्यशिल लोग भेजनेसे देशमे परिवर्तन आ सकेगा। साथ साथ देश में गाँव, तहसिल, जिला  और राज्यस्तर पर जन आंदोलन करनेवाले करोडो लोगो का संघटन  करना होगा। आज़ादी का अर्थ स्वैराचार लगाकर चलनेवाली  सरकार पर जनशक्ती  का दबाव निर्माण करके, सरकार चाहे किसी भी पक्ष या पार्टीकी  हो सरकार गिराने की शक्ती जनसंघटनमे आ गई तो जनता कहेगी  वह सरकार को करना पड़ेगा अन्यथा सत्ता छोड़कर सरकारको जाना पड़ेगा ।





देश के युवा शक्तीने जनता  को जगाकर संघटित  करने का समय आ गया है। गाव, तहसील, जिला, राज्य स्तर पर बहुत बड़ा संघटन खड़ा करना है। मै  जनवरी से  देड साल देशभर दौरा करके हर राज्य में जाकर जनता को जगाने का प्रयास करूँगा। साथ साथ युवाको ने इस काम के लिये  आगे आना है। ऐसे युवको को अवाहन करूँगा। आज़ादी की दूसरी लड़ाई समजकर राष्र्टीय स्तर पर संघटन खड़ा करने का प्रयास देश की जनता ने सब मिलकर करना है ।


इस  अन्दोलन से जुड़ने वाले कर्यकरतोओने निचे लिखे  पते पर सम्पर्क  करना है ।



(कि .बा. उपनाम अन्ना हजारे  )


दिनांक :-21 नवम्बर 2012


पत्ता                                                                                  दिल्ली  कार्यालय 
भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन                                     इंडिया अगेंन्स करप्शन ,
मु.पो. रालेगन सिद्धी, तहशील - पारनेर,                         बी -18,सर्वोदय एनक्लयु,नियर  मदर स्कूल 
जिल्हा -अहमदनगर, पिन -414302                                हुज  खास रोड ,बारखम्बा रोड ,
पिन -414302                                                                    नई  दिल्ल्ली -110017
फ़ोन नंबर -02488 -240401,240010                                 ईमेल -annahazareofficedelhi@gmail.com
ईमेल -joinbvja@gmail.com
वेब साईट -joinannahazare.org.in



आन्दोलन  को आर्थिक सहयता करने के लिए  निचे दिए हुए -- Bank Details:-


Name :- India Against Corruption
Bank Name :- Bank Of India
Branch Name :- Hauz Khas C&P Banking
Address :-G-1, Hauz Khas Enclave,Mehrauli Road, New Delhi
A/C No-  600520110000486
IFSC Code :- BKID0006005
MICR Code :-110013010

इसपर आप अपनी आर्थिक सहायता चेक या डिमांड ड्राफ्ट से दे सकते है । 


  
   
  

  
    





   

    



18 comments:

  1. बस 2 ही काम आदरनीय बचे है!!!

    100 किले के मालिक का बेटा यहाँ बाप का काम यानी खेति करने में शर्म महसूस करता है जबकि बाहर पेटरल पम्प पे तेल भरता है कयोकी उन लोगो ने काम को एहमियत दी है न की व्यक्ति या पद को I वहां हर काम वो उच्च माना गया है लेकिन अपने इतनी रेखाएँ और रूल्स बना दिए की लोग काम करने में शर्म महसूस करते है I बस 2 ही काम आदरनीय बचे है, और वो है नेता या बाबा बनना I बाहर तो चपड़ासी भी कार में आता है और उसका स्टेट्स डोक्टर के बराबर है I बताओ आपको इस तरह की तहजीब तक पहुँचने में कितने हजार साल लगेंगे ? www.breaktherule.in

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  2. आपको पुराने को छोड़ने की जरूरत नहीं I

    बस नए को करने की जरूरत होती है I पुराना अपने आप अपनी सही जगह ले लेता है I आप बीज को सम्भाल के रखो की नहीं इसे तो हमेशा प्यार करना है और आप उसे कभी बोवो न, तो एक दिन गो गल सड़ जायेगा I कयोकी उसकी असली जगह जमीन में है और जब पेड़ बन जायेगा तो बीज को हमने नजर अंदाज नहीं किया बल्कि उसे हमेशा बने रहने का, अमर रहना का रास्ता बनाया है I वो बदल कर, पेड़ में प्रव
    र्तित हो कर ही अमर हो सकता है I आपके शीशे के ग्लास में उसकी हत्या हो जाएगी I हमारा पूरा इतिहास तभी जिन्दा रहेगा जब हम लगातार नये को जन्म देंगे I एक बीज तभी जिन्दा रहेगा, जब वो अपने अस्तित्व को खतम करके पेड़ बनेगा। उसको मिटना ही होगा I लेकिन उस पेड़ का अस्तित्व भी बीज के कारण है I बीज के अवयव, पेड़ के कन -कन में समाये है I हर चीज उर्जा है एक तरह की और अगर उर्जा अपना रूप न बदले तो ये नस्ट हो जाती है I जीवन भी एक उर्जा है,जो लगातार रूपांतरित होनी चाहिए I एक बीज जब अपना असितत्व छोड़ता है तो कितने हाजारो , लाखो नए फूलो,फलो,पेड़ो ,बीजो के पैदा होने की सम्भावना बनती है I लेकिन आप उस बीज को शीशे में बंद करदो, के नहीं ये तो हमारा पवित्र बीज है, तो सृजन रुक गया I क्या कभी आपने सोचा है की अगर हम बूढे न होते, हमेशा एक जैसे होते,एक जेसी ऋतुवे होती, एक जैसा तापमान होता, ह्मेस्षा एक जैसे फूल खिले रहते ,केवल रौशनी होती, सिर्फ धरती होती,समुन्द्र न होता, हवा रुकी रहती तो साथियो जीवन बड़ा बोरिंग होता I यहाँ तक आपका सारा शारीर 15 दिन में टोटली नया बन जाता है क्योकि लाखो सेल रोज मरते है और नए बन जाते है I हमें भी क्षण-क्षण जीने की कला सीखनी होगी I ये तभी हो पायेगा जब आप बाहरी प्रभावों से मुक्त होंगे और जीवन की उर्जा से जुड़ेंगे I www.breaktherule.in

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  3. भारत को एक क्रान्ति चाहिए पर उस क्रांति के उदय के लिए हमें अपने अन्तःमन की ओर झांकना होगा होगा। शायद अपने कुछ लोकतान्त्रिक मूल्यों का बलिदान भी देना होगा। लोकत्रंत्र की परिभाषाओं का तो वैसे भी हर तरफ उल्लंघन ही हो रहा है। हमें गांधी से आगे बढ़ना होगा। गांधी का अनुसरण करने से समस्याएं ख़तम नहीं होंगी। गांधी स्वयं भी तो किसी व्यक्ति विशेष का अनुसरण नहीं कर रहे थे। वे महात्मा थे, उन्होंने अपने रास्ते स्वयं खोजे थे। देश जाग रहा है। युवा जाग रहे हैं। शराब की बोतलों और धर्म के नाम पर वोट देने का समय अब जा चुका है। अन्ना जी, आने वाले समय में भारत की जनता आपके द्वारा उठाये गए कदमो की ऋणी होगी।

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    1. Yeh friend all people who did something great didnt follow anyone but they made their own paths.You are also right when you say that Gandhi may not be relevant today. Every age should have its own hero. Let old fruits falloff,so taht new may come up

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  4. देश को एक एतिहासिक क्रांति की जरुरत आन पड़ी है क्योंकि हमारे देश के तीनो आधार स्तंभों में भ्रस्टाचारी रूपी कीड़ा प्रवेश कर चूका है जिस तरह से कैंसर की दवा खोजते - खोजते हमारे वैज्ञानिको ने कैंसर की दवा अंततः खोज लिया और उसका फर्क कुछ हद तक कैंसर रोंगिओ को होने लगा है ठीक उसी प्रकार से हिंदुस्तान ने भी भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए अन्ना हजारे को खोज लिया है अब वह दिन दूर नहीं जब हम आप सच्चे ह्रदय से कहेंगे "हमारा भारत महान है "

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    1. आप गलत कह रहे हैं राकेश जी। भारत को एक ऐतिहासिक नहीं बल्कि एक वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए अन्ना प्रयासरत ज़रूर हैं पर देश में भ्रष्टाचार तबतक नहीं ख़तम हो सकता जबतक इस देश के व्यक्तियों में भ्रष्टाचार ख़तम नहीं होता। आप मुझे एक बहुत आसान से प्रश्न का उत्तर दे दो। क्या आप स्वयं भी कहीं न कहीं भ्रष्ट नहीं हैं?

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    2. Yeh you are right We need a revolution that build our character.We should not revolve round particular men We had great people with us but our basic character didnt change. We need to build character and shift in attitude too

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  5. anna ji ka blog post karne wale sajjan se gujarish hai ki blog se bahut 'typing spelling mistake' hai. post karne se pehle check kar le.

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    1. yeh Javed khan ji dhnyavad I will keep in mind and yes to me are always free to remind personaly as well

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  6. आप दो सदीओ पुराने सच परोसे जा रहे हो I

    हा हमने हर चीज को दूषित कर दिया है I हर काम को निंदनीय कर दिया है I हम जिस चीज को पकड़ते है वो गन्दी हो जाती है क्योकि हमारा व्यक्तिव उसमे चला जाता है I जैसे हम कोई भी शर्ट डालते है हमारा शारीर की बदबू उसमे चली जाती है और इसको कोई दूसरा नहीं पहनना चाहता I इसे हाथ भी नहीं लगाना चाहता I इस्सी तरह से हमारे काम को हमारे बच्चे नहीं दोहराना चाहते कयोकी हमने इस काम में नीरसता भर दी है I और हमारे बच्च इसे नहीं करना चाहते I उन्हें विदेशो में पेट्रोल पम्प पे तेल भरने में शान महसूस होती है कयोकी किसी ने इस काम में अछि भावना भरी है, इस कम में जज्बे का भाव भरा है I हमारे ग्रन्थ को,हमारे धर्म को, हमारी भाषा को हमारे ही देश के क दुसरे लोग हाथ भी नहीं लगाना चाहते, उसके बारे में सोचना तक भी नहीं चाहते I कायो ? क्यकी हमारा अक्स हमारा वयाक्तितव उसमे चला गया और हमारा व्यक्तित्व बदबू मरता है I आप देखते है पंडित,ज्ञानी जैसे शब्द को कोई नही कहलवाना चाहता क्योकि हमने इनको कुछ और ही मतलब दे दिया वरना ये शब्द तो बहुत सुंदर थे I इसी तरह से हमारा सारा कल्चर westernize होता जा रहा है कयोकी लोगो को अछि feelings चाहिए जो आप दे नहीं रहे I आप तो सदीओ पुराने सच परोसे जा रहे हो !!!!

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  7. Ksab...Ksab.....Ksab......Ksab

    AAp sabne pehle ravn ko har sal jla kar use hero bna diya or aaj ghar ghar me Ravn peda ho gya or Ram ka namo nishan mit gya. AAj aapne Afjal ko Hero bna diya. mai FB pe har kisi ke naam pe Ksab v afjal ka naam dekh rha hu. AApko shrm aani chahiye.AApko bhagat singh kayo nahi yaad aata AAp burai ka virodh karke use majboot kar rahe hai jaise aapne ravn ko amr kar diya hai,jo hmari rag,rag me bsa hai. Tum samjhte ho,tum bde chalak ho,nahi tum bahut mu.....By Himanshu Kumar


    "आओ कसाब को फाँसी दें !

    उसे चौराहे पर फाँसी दें !
    बल्कि उसे उस चौराहे पर फाँसी दें
    जिस पर फ्लड लाईट लगाकर

    विधर्मी औरतों से बलात्कार किया गया
    गाजे-बाजे के साथ
    कैमरे और करतबों के साथ
    लोकतंत्र की जय बोलते हुए

    उसे उस पेड़ की डाल पर फाँसी दें
    जिस पर कुछ देर पहले खुदकुशी कर रहा था किसान
    उसे पोखरन में फाँसी दें
    और मरने से पहले उसके मुंह पर
    एक मुट्ठी रेडियोएक्टिव धूल मल दें

    उसे जादूगोड़ा में फाँसी दें
    उसे अबूझमाड़ में फाँसी दें
    उसे बाटला हाउस में फाँसी दें
    उसे फाँसी दें.........कश्मीर में
    गुमशुदा नौजवानों की कब्रों पर

    उसे एफ.सी.आई. के गोदाम में फाँसी दें
    उसे कोयले की खदान में फाँसी दें.
    आओ कसाब को फाँसी दें !!

    उसे खैरलांजी में फाँसी दें
    उसे मानेसर में फाँसी दें
    उसे बाबरी मस्जिद के खंडहरों पर फाँसी दें
    जिससे मजबूत हो हमारी धर्मनिरपेक्षता
    कानून का राज कायम हो

    उसे सरहद पर फाँसी दें
    ताकि तर्पण मिल सके बंटवारे के भटकते प्रेत को

    उसे खदेड़ते जाएँ माँ की कोख तक......और पूछें
    जमीनों को चबाते, नस्लों को लीलते
    अजीयत देने की कोठरी जैसे इन मुल्कों में
    क्यों भटकता था बेटा तेरा
    किस घाव का लहू चाटने ....
    जाने किस ज़माने से बहतें हैं
    बेकारी, बीमारी और बदनसीबी के घाव.....

    सरहद की औलादों को ऐसे ही मरना होगा
    चलो उसे रॉ और आई.एस.आई. के दफ्तरों पर फाँसी दें
    आओ कसाब को फाँसी दें !!

    यहाँ न्याय एक सामूहिक हिस्टीरिया है
    आओ कसाब की फाँसी को राष्ट्रीय उत्सव बना दें

    निकालें प्रभातफेरियां
    शस्त्र-पूजा करें
    युद्धोन्माद,
    राष्ट्रोन्माद,
    हर्षोन्माद
    गर मिल जाए कोई पेप्सी-कोक जैसा प्रायोजक
    तो राष्ट्रगान की प्रतियोगिताएं आयोजित करें
    कंगलों को बाँटें भारतमाता की मूर्तियां
    तैयारी करो कम्बख्तो ! फाँसी की तैयारी करो !

    इस एक फाँसी से
    कितने मसले होने हैं हल
    निवेशकों में भरोसा जगना है
    सेंसेक्स को उछलना है
    ग्रोथ रेट को पहुँच जाना है दो अंको में

    कितने काम बाकी हैं अभी
    पंचवर्षीय योजना बनानी है
    पढनी है विश्व बैंक की रपटें
    करना है अमरीका के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास
    हथियारों का बजट बढ़ाना है...
    आओ कसाब को फाँसी दें !

    उसे गांधी की समाधि पर फाँसी दें
    इस एक काम से मिट जायेंगे हमारे कितने गुनाह

    हे राम ! हे राम ! हे राम !..."

    --अंशु मालवीय


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  9. What is wrong with us ?

    http://breaktherule.in/forum/showthread.php?637-What-is-wrong-with-us

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  10. भ्रष्टाचाराच्या रूपाने देशाला फसवणे सुद्धा देशद्रोहच आहे, भ्रष्ट आणि गुन्हेगार व्यक्ती संसदेमध्ये बसले आहेत, हा सुद्धा पवित्र संसदेवर एकप्रकारचा हल्लाच आहे. संसदेमध्ये, मंत्रिमंडळामध्ये जे भ्रष्टाचारी-देशद्रोही बसले आहेत त्यांच्यावर पण देशद्रोहाचा खटला चालवा, तिथे जास्त गरज आहे. लोकतंत्रमध्ये लोकांसाठी वेगळा न्याय आणि खासदार- आमदार साठी वेगळा न्याय असे चित्र सध्या पहायला मिळत आहे.

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    1. आपले खरे आहे. त्यासाठी काय करायला पाहिजे याची आवशकता आहे. आता नुसते लिहून चालणार नाही.

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  11. ऊपर font साफ़ नहीं होने की वजह से पढने में काफी तकलीफ हो रही थी इसलिए मैंने font सही करके फिर पोस्ट किया है
    admin से अनुरोध है की वो "http://www.google.com/transliterate" का प्रयोग कर के हिंदी लिख सकते है

    "Ctrl " + "+" से size बडा कर के पढ सकते है :


    इस आन्दोलन से जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने नीचे लिखे पते पर सम्पर्क करना है ।
    (कि .बा. उपनाम अन्ना हजारे )


    दिनांक :-21 नवम्बर 2012
    पता दिल्ली कार्यालय
    भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन इंडिया अगेंन्स करप्शन ,
    मु.पो. रालेगन सिद्धी, तहशील - पारनेर, बी -18,सर्वोदय एन्क्लेव , नियर मदर स्कूल
    जिला -अहमदनगर, पिन -414302 हौज़ खास रोड ,बारखम्बा रोड ,
    पिन -414302 नई दिल्ल्ली -110017
    फ़ोन नंबर -02488 -240401,240010 ईमेल -annahazareofficedelhi@gmail.com
    ईमेल -joinbvja@gmail.com
    वेब साईट -joinannahazare.org.in



    आन्दोलन को आर्थिक सहयता करने के लिए नीचे दिए हुए -- Bank Details:-

    Name :- India Against Corruption
    Bank Name :- Bank Of India
    Branch Name :- Hauz Khas C&P Banking
    Address :-G-1, Hauz Khas Enclave,Mehrauli Road, New Delhi
    A/C No- 600520110000486
    IFSC Code :- BKID0006005
    MICR Code :-110013010
    इसपर आप अपनी आर्थिक सहायता चेक या डिमांड ड्राफ्ट से दे सकते है ।


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  12. i think there is something wrong with this site in google transliterate it was coming properly

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