Wednesday, 9 April 2014

देश में पहिली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं के लिए संदेश...

        हमबडी आशा से आप जैसे नए युवा मतदाता की ओर देख रहे है। क्यों कि, हमे पूरा विश्वास है...
अगर इस देश का नवयुवक राष्ट्रीय भावना से जाग जाएगा तो इस देश का उज्वल भविष्य दूर नही है। लोकसभा और विधानसभा लोकशाही के पवित्र मंदीर है। देश के उज्वल भविष्य की सोच और निर्णय इसी मंदीर से होती है। जनता भारत को भाग्य विधाता सोच कर अपना पवित्र मतदान कर के अपने उम्मीदवार को चुन कर संसद के इस पवित्र मंदीर में भेजती है। आजादी के 66 साल बाद बढता हुआ भ्रष्टाचार, लूट, गुंडागर्दी, व्यभिचार, आतंकवाद और गिरती हुई राष्ट्रीय भावना देखते हुए सवाल खडा होता है कि, ऐसा होने का कारण क्या हो सकता है? जवाब मिलता है कि, लोकसभा जैसे पवित्र मंदीर मे सत्ता से पैसा और पैसों से सत्ता की सोच करनेवाले लोग इस मंदीर में चले गए। समाज और देश की सेवा करनी है, यह सेवाभाव दूर हो गया। कई लोगों को शहीद भगतसिंग, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखो लोगों ने की हुई कुर्बानी की याद नही रही।
          दिन ब दिन पक्ष और पार्टीया की सत्ता स्पर्धा बढ गई। येन-केन प्रकार से सत्ता मे आना है, उसके लिए कुछ भी करना पडे। ऐसे विचार कई पक्ष और पार्टीयों में शुरु हो गए। इस कारण पक्ष और पार्टीयोने गुंडा, भ्रष्टाचारी, लुटारु, व्यभिचारी ऐसे उम्मीदवार को तिकट देना शुरू किया। यह पक्ष और पार्टीयों का दोष है। कारण ऐसे पक्ष और पार्टीया के सामने सत्ता और पैसों की नशा है। पक्ष और पार्टीयोंने भले ही गलती की है, लेकिन देश के भलाई के लिए मै ऐसी गलती नही करुंगा यह सोच करना हर मतदाताओं का कर्तव्य है। लेकिन कई मतदाता भी अपने कर्तव्य को भुलकर देश के लिए हुआ बलिदान को भूल गया। कई मतदाता रिश्वत लेकर मतदान करने लगे। इस कारण भ्रष्टाचारी, गुंडा, व्यभिचारी, लुटारू ऐसे उम्मीदवार को लोकसभा जैसे पवित्र मंदीर मे जाने का रास्ता खुला कर दिया दिया गया।
          वास्तव में पक्ष और पार्टी के लोग जनता के सेवक है। मतदार देश का राजा हैै। राजा ने सही निर्णय ना लेने के कारण आज हमारे देश की हालात खराब बन गई है। 2014 के लोकसभा चुनाव में करोड की संख्या में युवा मतदाता पहली बार मतदान कर रहे है। उनके हाथ मे ही देश में परिवर्तन लाने की शक्ती है। युवा मतदाताओं का मत इस देश का भविष्य बदल सकता है। इस बात को याद रखना है। मेरी आप युवकों को गुजारीश है कि, शहीद भगतसिंग, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखो शहीदों   “ने जो कुर्बानी दी है उस कुर्बानी की कसमले कर, भारत माता की कसमले कर प्रतिज्ञा करो कि, मै देश के उज्वल भविष्य के लिए पहली बार मतदान कर रहा हूँ। मै जाती-पाती, धर्म, वंश को ना देखते हुए मतदान करुंगा। मै गुंडा, भ्रष्टाचारी, लुटारु ऐसे दागी उम्मीदवार को मेरा पवित्र मत नही दुंगा। मै रिश्वत ले कर, झुठे आश्वासन सुन कर वोट नही दुंगा। चाहे वह उम्मीदवार कौनसे भी पार्टी का हो। मै सिर्फ चरित्र्यशील उम्मीदवार को ही मेरा अमूल्य मत दुंगा। मुझे अगर कोई भी उम्मीदवार पसंत नही है तो मै नोटा का बटन दबा दुंगा।”
‘आपका मत अमूल्य है। इसे व्यर्थ मत जाने दो। स्वतंत्रता के लिए लाखो वीरों ने अपनी जान दे दी। आप देश के लिए सिर्फ अपना वोट दो। साथ साथ आप के मित्रै, भाई, बहन, पडोसी है उनको भी जगाओ। यही देश की सच्ची सेवा है। जागरुक मतदार यही सदृढ और निकोप लोकशाही का आधार है। अगर आप को एक भी उम्मीदवार पसंत नही है तो नोटा’ पर अपना वोट दो। लेकिन किसी भी हालात में वोटिंग करना आप का फर्ज है, यह मत भुलो। जयहिंद।

कि. बा. तथा अण्णा हजारे
राळेगणसिद्धी,
9 एप्रिल 2014

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